नयी दिल्ली, 30 अप्रैल (भाषा) भारत की सोने की मांग इस साल जनवरी-मार्च तिमाही में 15 प्रतिशत घटकर 118.1 टन रह गई, जबकि बढ़ती कीमतों के कारण इसका मूल्य 22 प्रतिशत बढ़कर 94,030 करोड़ रुपये हो गया।
विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) के बुधवार को जारी पूर्वानुमान के अनुसार, 2025 तक भारत की सोने की मांग 700-800 टन के बीच रह सकती है।
वर्ष 2025 के आरंभ से सोने की कीमतें 25 प्रतिशत तक बढ़ चुकी हैं, जो 1,00,000 रुपये प्रति 10 ग्राम की सीमा पर पहुंच गई जिससे उपभोक्ता के खरीद के तरीके में बदलाव आया है।
डब्ल्यूजीसी इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सचिन जैन ने अपनी तिमाही रिपोर्ट में कहा, ‘‘ ऊंची कीमतों ने सामर्थ्य को प्रभावित किया है। फिर भी सोने का स्थायी सांस्कृतिक महत्व विशेष रूप से अक्षय तृतीया तथा आगामी विवाह ‘सीजन’ खरीदारी की भावना को समर्थन दे रहा है।’’
विशेषज्ञों के अनुसार, अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर स्वर्ण बाजार उत्साह से भरा हुआ है। इस दिन का भारत में अत्यधिक सांस्कृतिक महत्व है तथा पारंपरिक रूप से इस अवसर पर सोने की खरीदारी में भारी वृद्धि होती है।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा उच्च भाव के कारण कुछ लोग सावधानी बरत सकते हैं, लेकिन अक्षय तृतीया के दौरान सोने का अंतर्निहित सांस्कृतिक महत्व तथा विश्वसनीय परिसंपत्ति के रूप में इसकी स्थायी स्थिति, खरीदारी में निरंतर सकारात्मक गति का संकेत देती है।
फिर भी निवेश मांग मजबूत बनी रही और यह जनवरी-मार्च में 43.6 टन से सात प्रतिशत बढ़कर 46.7 टन हो गई।
हालांकि, कैलेंडर वर्ष 2025 की पहली (जनवरी-मार्च) तिमाही के दौरान आभूषणों की मांग 25 प्रतिशत घटकर 71.4 टन रह गई, जो एक साल पहले समान अवधि में 95.5 टन थी।
डब्ल्यूजीसी के अनुसार, यह 2020 के बाद से सबसे कम मात्रा थी, हालांकि मूल्य सालाना आधार पर तीन प्रतिशत अधिक रहा।
सोने का आयात जनवरी-मार्च तिमाही में आठ प्रतिशत बढ़कर 167.4 टन हो गया, जबकि उपभोक्ताओं द्वारा रिकॉर्ड कीमतों के बावजूद अपने सोने को बचाए रखने के कारण पुनर्चक्रण 32 प्रतिशत घटकर 26 टन रह गया।
इस वर्ष की पहली (जनवरी-मार्च) तिमाही में सोने की औसत तिमाही कीमत 79,633.4 रुपये प्रति 10 ग्राम रही जबकि 2024 की पहली तिमाही में यह 55,247.2 रुपये थी।
इस बीच, 2025 की जनवरी-मार्च तिमाही में वैश्विक सोने की मांग एक प्रतिशत बढ़कर 1,206 टन हो गई है जो 2019 के बाद पहली तिमाही में दर्ज सर्वाधिक मांग है।