अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर पुनर्विचार करे भारत, शून्य-से-शून्य शुल्क की पेशकश करे: जीटीआरआई

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नयी दिल्ली, 10 अप्रैल (भाषा) भारत को अमेरिका के साथ व्यापक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत पर पुनर्विचार करना चाहिए, क्योंकि इससे कृषि, मोटर वाहन और दवा जैसे घरेलू क्षेत्रों के लिए चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं।

आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (जीटीआरआई) ने अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को लेकर बृहस्पिवार को आगाह किया और कहा कि इसके तहत अमेरिका की कई मांगें जैसे कि न्यूनतम मूल्य समर्थन के तहत किसानों को दी जाने वाली राशि को कम करना, आनुवंशिक रूप से संशोधित खाद्य आयात की अनुमति देना, कृषि शुल्क कम करना, दवा एकाधिकार को बढ़ाने के लिए पेटेंट कानूनों में बदलाव करना और अमेरिकी ई-कॉमर्स दिग्गजों को सीधे उपभोक्ताओं को सामान बेचने की अनुमति देना… बड़े जोखिम उत्पन्न करते हैं।

जीटीआरआई ने कहा कि इन जोखिमों में किसानों की आय, खाद्य सुरक्षा, जैव विविधता, सार्वजनिक स्वास्थ्य और छोटे खुदरा विक्रेताओं के अस्तित्व को होने वाली हानि शामिल है।

इसमें कहा गया, ‘‘ कृषि उत्पादों पर शुल्क कम करने से करोड़ों लोगों की आजीविका प्रभावित हो सकती है। कार पर शुल्क कम करने से उस क्षेत्र को नुकसान हो सकता है जो भारत के विनिर्माण उत्पादन का लगभग एक तिहाई हिस्सा है। 1990 के दशक में भारी शुल्क कटौती के बाद ऑस्ट्रेलिया के कार उद्योग का पतन एक चेतावनीपूर्ण उदाहरण है।’’

आर्थिक शोध संस्थान ने अमेरिका के भारत पर अतिरिक्त 26 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने के कदम को 90 दिन के लिए टालने के निर्णय की पृष्ठभूमि में यह टिप्पणी की है। हालांकि अमेरिकी बाजार में प्रवेश करने वाले घरेलू सामानों पर पांच अप्रैल से 10 प्रतिशत का मूल शुल्क लागू है।

जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ अमेरिका के साथ व्यापक एफटीए से बचें क्योंकि इससे भारत को नुकसानदेह रियायतें देने पर मजबूर होना पड़ेगा। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘ यह ऐसा सौदा है जिससे भारत को जितना लाभ होगा, उससे कहीं अधिक नुकसान होगा। 90 प्रतिशत औद्योगिक वस्तुओं पर शून्य-से-शून्य सौदे तक सीमित रहें। यूरोप ने अमेरिका को इसी तरह के सौदे का सुझाव दिया है।’’

‘शून्य-से-शून्य’ शुल्क से तात्पर्य किसी देश से निर्यात किए जाने वाले उत्पादों पर कोई शुल्क नहीं लगाना है।

श्रीवास्तव ने रसायन, मशीनरी और इलेक्ट्रॉनिक जैसे क्षेत्रों में चीन के साथ उत्पाद मूल्य श्रृंखला बनाने का सुझाव दिया।

उन्होंने कहा कि भारत कार जैसी संवेदनशील वस्तुओं को छोड़कर 90 प्रतिशत औद्योगिक वस्तुओं पर अमेरिका के साथ सीमित ‘शून्य-से-शून्य’ शुल्क समझौते का प्रस्ताव कर सकता है।

जीटीआरआई के संस्थापक ने कहा, ‘‘ यदि अमेरिका इसे स्वीकार कर लेता है, तो यह डब्ल्यूटीओ (विश्व व्यापार संगठन) के अनुरूप केवल वस्तुओं का समझौता बन सकता है। अमेरिका को एकतरफा रियायतें देना बंद करें।’’

उन्होंने कहा कि भारत को यूरोपीय संघ, ब्रिटेन तथा कनाडा के साथ मुक्त व्यापार वार्ता को प्राथमिकता देनी चाहिए और चीन व रूस जैसे देशों के साथ व्यापक साझेदारी पर विचार करना चाहिए।

सरकार को घरेलू सुधारों पर भी ध्यान देना चाहिए जैसे शुल्क को सरल बनाना, गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों का परेशानी मुक्त व न्यायसंगत क्रियान्वयन, माल एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रक्रियाओं में सुधार और व्यापार प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना आदि।

उन्होंने कहा, ‘‘ यदि भारत वैश्विक बदलावों का अधिकतम लाभ उठाना चाहता है तो ये बदलाव महत्वपूर्ण हैं, हालांकि प्रगति धीमी हो सकती है।’’

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