
पंकज गांधी जायसवाल
डिजिटलीकरण ने मोबाइल सबके हाथ में पकड़ा दिया है और इस यंत्र के सहारे शेयर मार्किट अब देश के आम आदमी की मुट्ठी में आ गया है. एक दशक पूर्व शेयर मार्किट में निवेश करना एक क्लिक बटन दबाने जैसा नहीं था. डिजिटल इंफ़्रा के विकास ने इसे शहरों से लगायत गांव कस्बों के लोगों तक सुलभ बना दिया है. डिजिटल मोबाइल मंच के कारण शेयर मार्किट में रिटेल इन्वेस्टर बढ़ें हैं और इसमें से सबसे अधिक संख्या युवाओं एवं मध्य वर्ग की है.
शेयर मार्किट की बहुत सारी अच्छाइयों के बीच दो जोखिम है, पहला यह फंडामेंटल की बजाय शार्ट टर्म में वातावरण और ख़बरों के सेंटीमेंट्स पर रियेक्ट करता है जैसा कि इस समय अमेरिका के टैरिफ वॉर के कारण हो रहा है. दूसरा इसी सेंटीमेंट्स का फायदा उठाने के लिए बाजार में कुछ फ्रॉड लोग भी होते हैं जो ऐसे नव निवेशकों को अपना शिकार बनाते हैं. अगर आप चालाक और जानकार नहीं हैं तो ज्यादा संभावना यही रहती है कि आप इनके झांसे में आकर निवेश कर दें.
युवाओं को पहले कंपनी और उसके सेक्टर के बारे में ज्ञान कर लेना चाहिए, फिर निवेश करना चाहिए. शेयर बाजार कोई जुआ नहीं. यह एक विज्ञान और कला है जहाँ आपको कंपनी की मौलिकता, उद्योग की स्थिति, आर्थिक संकेतकों और बाज़ार के ट्रेंड को समझना होता है। सोशल मीडिया में ऐसे जालसाज भरे पड़े हैं जो लोगों को निवेश के लिए उकसाते हैं. इसमें फंसकर ज्यादातर मामलों में लोग या तो फंसे ही रहते हैं या हानि में शेयर बचकर मजबूरी में पैसा खाली करते हैं.
इससे बचने के लिए युवाओं को कंपनियों के फंडामेंटल, बैलेंस शीट, प्रॉफिट लॉस अकाउंट, अनुपात विश्लेषण, क्रेडिट रेटिंग रिपोर्ट कैसे पढ़ते हैं, उसका ज्ञान लेना चाहिए. इसको समझने का बेसिक ज्ञान Nifty, Sensex, Investopedia जैसे अन्य प्रामाणिक वेबसाइट पर भी मिल सकता ती है। शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव सामान्य है, घबड़ाना नहीं चाहिए। शेयर मार्किट में आपका शेयर कितना भी गिर जाए, यह काल्पनिक हानि ही होती है जब तक कि आप उसे बेचते नहीं हैं. अतः गिरने के वक़्त घबरा कर बेचना नहीं चाहिए. ठहर कर अच्छे वक़्त का इन्तजार करना चाहिए और चढ़ते वक़्त उतावला भी नहीं होना चाहिए क्यूंकि इसके पीछे कुछ और फैक्टर भी हो सकते हैं.
फालतू टिप्स से भी बचें. यह आपके लिए बिछाया गया जाल भी हो सकता है. शेयर मार्केट में कोई भी निश्चित लाभ नहीं होता। ये दावे करने वाले अक्सर धोखाधड़ी ही करते हैं। और हां, एक या दो कंपनी के शेयर में पैसा लगाने की जगह विभिन्न सेक्टर्स और उसमे भी अच्छी और विभिन्न कंपनियों में अपना निवेश बांट दे. इसे जोखिम का विविधता पूर्वक बंटवारा बोलते हैं। सारी पूंजी एक ही स्टॉक या एक ही सेक्टर में लगाना खतरनाक हो सकता है। अलग-अलग क्षेत्रों और कंपनियों में निवेश करना जोखिम को कम करता है। एक सेक्टर या एक कम्पनी डूबती है तो दूसरी आपको बचा लेती है.
यहां शेयर मार्किट में किस तरह के फ्रॉड होने की संभावना रहती है, उसका कुछ उदाहरण दे रहा हूं जिससे आम आदमी को जागरूकता मिल सकती है.
मसलन कुछ ग्रुप सस्ते स्टॉक जिसे पेनी स्टॉक कहते हैं, में पैसे लगाते हैं और फिर सोशल मीडिया, यूट्यूब या व्हाट्सएप ग्रुप्स में उस स्टॉक की झूठी तारीफ फैलाते हैं। इनका उद्देश्य लोगों को खरीदने पर मजबूर करना है जिससे कीमत बढ़े तो वे ऊंचे दाम पर बेच कर निकल लें. कुछ यूट्यूब चैनल, टेलीग्राम ग्रुप, या सोशल मीडिया पर लोग “फ्री टिप” देते हैं लेकिन असल में वो किसी निवेशक ग्रुप, कंपनी या स्टॉक के प्रमोटर से पैसे लेकर प्रचार करते हैं। वह स्वतंत्र सलाह नहीं होती। कई बार जानबूझकर कोई अफ़वाह फैलाई जाती है जैसे “बड़ी कंपनी इस स्टार्टअप को खरीदने जा रही है” ताकि लोग उस स्टार्टअप के शेयर खरीदें और कीमत चढ़े और वो अपना पहले से खरीदा शेयर बेच लाभ कमा लें। कुछ ग्रुप आपस में सर्कुलर ट्रेडिंग कर बार-बार शेयर खरीद-बेच कर के ट्रेडिंग वॉल्यूम दिखाता है जिससे लगे कि शेयर में तेजी है। लोग आकर्षित होते हैं और खरीदते हैं. फिर ये ग्रुप अंततः ऊंचे दाम पर शेयर बेच देते हैं।
कुछ स्टॉक प्रमोटर्स कुछ सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स से पार्टनरशिप कर लेते हैं ताकि वे उनकी बातों को फैला सकें। दर्शक उन्हें फॉलो करते हैं और बेवजह उस स्टॉक में निवेश करते हैं। कुछ बड़े प्लेयर्स अल्गोरिदम के जरिए ऑर्डर्स लगाकर गलत सिग्नल भेजते हैं, जैसे खरीदारी दिखाना लेकिन असल में वे बेचने की प्लानिंग में होते हैं। बड़े खिलाड़ी शेयर को पहले बेचते हैं, मतलब शार्ट सेल करते हैं और फिर उसे सस्ते में खरीदकर मुनाफा कमाते हैं। इस बीच वे शेयर को डाउनट्रेंड में लाने की कोशिश करते हैं और लगातार बड़े-बड़े सेल ऑर्डर लगाते हैं। इससे डर फैलता है, छोटे निवेशक घबराकर बेचने लगते हैं। डिमांड कम, सप्लाई ज़्यादा जिससे शेयर का दाम गिरने लगता है। कई बार मीडिया, यूट्यूब चैनल या टेलीग्राम पर झूठी खबरें फैलाते हैं निवेशकों में डर फैलता है और लोग बेच देते हैं. जो लोग पहले से इस स्टॉक को गिराना चाहते थे, वे अब इसे सस्ते दाम में खरीद लेते हैं। कई बार कुछ बड़े ट्रेडर्स मिलकर किसी स्टॉक को गिराने का प्लान बनाते हैं। ये लोग भारी मात्रा में शॉर्ट सेलिंग करते हैं और मार्केट में डर फैलाते हैं। जानबूझकर लोअर प्राइस पर ऑर्डर लगाते हैं, मीडिया में घबराहट वाली बातें फैलाते हैं, उनका लक्ष्य होता है कि स्टॉक टूटे और वो सस्ते में खरीद सकें।
कई बार कुछ बड़े ट्रेडर्स किसी स्टॉक में एक तय समय में अचानक से बड़ी मात्रा में बिकवाली करते हैं जैसे 9:15 पर मार्केट खुलते ही या ठीक 3 बजे बंद होने से पहले। ये देखकर आम निवेशक घबरा जाते हैं और बड़े प्लेयर शेयर को गिराकर, कुछ घंटों/दिनों बाद सस्ते में वापस खरीद लेते हैं। कुछ ऑपरेटर शेयर के ऑर्डर बुक में बहुत सारे “सेल आर्डर” डालते हैं लेकिन असल में वो ऑर्डर कभी फुलफिल नहीं होते। लोगों को क्या लगता है कि भारी बिकवाली आ रही है, जिससे डर फैलता है और निवेशक अपने शेयर बेचने लगते हैं। फिर ऑपरेटर चुपचाप सस्ते में खरीद लेते हैं।
इसलिए लोगों को सलाह है कि घबराकर या अफवाहों पर आधारित ट्रेडिंग ना करें, कंपनी के असली फंडामेंटल देखें, किसी भी टिप पर आंख बंद करके भरोसा ना करें, खुद रिसर्च करें. कंपनी के फाइनेंशियल्स देखें, सेबी रजिस्टर्ड सलाहकार से ही सलाह लें, लालच में जल्दी पैसे कमाने के चक्कर में ना आएं। हर गिरावट धोखा नहीं होती लेकिन हर गिरावट में मौका भी नहीं होता. इस धोखे से बचने का सबसे अच्छा तरीका है धैर्य और रिसर्च।