मुंबई, 25 अप्रैल (भाषा) केंद्रीय इस्पात मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि भारत वैश्विक इस्पात मांग में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए तैयार है।
उन्होंने साथ ही इस बात पर जोर दिया कि सरकार घरेलू इस्पात उद्योग को अनुचित डंपिंग और तर्कहीन रूप से कम कीमत से संरक्षण देने में सक्षम रही है।
इस्पात मंत्रालय और उद्योग मंडल फिक्की की तरफ से आयोजित ‘स्टील इंडिया 2025’ कार्यक्रम में गोयल ने कहा कि निर्यातकों और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर इस्पात मिलना जारी रहेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘ भारत लगातार आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। जब हम आत्मनिर्भरता की बात करते हैं, तो हम दुनिया के लिए दरवाजे बंद नहीं कर रहे हैं। हम वास्तव में और अधिक दरवाजे खोल रहे हैं क्योंकि हर देश के पास अलग-अलग उत्पादों के लिए अपने प्रतिस्पर्धी लाभ होंगे।’’
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने कहा कि भारतीय इस्पात उद्योग एक बहुत ही कुशल और लागत प्रभावी, उच्च गुणवत्ता वाला उत्पादक है।
मंत्री ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि यह ऐसा क्षेत्र है, जहां हम न केवल भारत की बढ़ती जरूरतों को पूरा करेंगे, बल्कि 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में भी हम बेहद प्रतिस्पर्धी माहौल में दुनिया की जरूरतों को पूरा करेंगे।”
गोयल ने कहा, ‘‘भारत वैश्विक इस्पात मांग में महत्वपूर्ण योगदान देने और इस्पात उद्योग को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। ’’
हाल ही में इस्पात आयात पर 12 प्रतिशत सुरक्षा शुल्क लगाए जाने के सरकार के फैसले पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार अनुचित व्यापार प्रथाओं के खिलाफ भारतीय उद्योग को समर्थन देने के लिए सदैव सतर्क और सक्रिय है।
गोयल ने कहा, ‘‘इसी के साथ हम ग्राहकों की मांगों और जरूरतों में भी संतुलन बनाए रखते हैं। इसलिए हम इस्पात उद्योग को इस्पात की अनुचित डंपिंग और तर्कहीन कम कीमतों से बचाने में सक्षम रहे हैं, जिसका पता डीजीटीआर की जांच से चला।’’
उन्होंने कहा कि इस कदम के साथ ही निर्यातकों और एमएसएमई क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर इस्पात मिलना जारी रहेगा।