नफरती भाषणों से निपटने के लिए मौजूदा नियामक तंत्र अपर्याप्त : राजद सांसद मनोज झा

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नयी दिल्ली, एक अप्रैल (भाषा) राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज कुमार झा ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग जैसे मौजूदा नियामक तंत्र देश में नफरत फैलाने वाले भाषणों और कृत्यों से निपटने के लिए अपर्याप्त हो गए हैं।

राजद सदस्य ने विभिन्न समुदायों के बीच दुश्मनी पैदा करने वाले नफरती भाषणों और कृत्यों की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसी चीजें कुछ लोगों को प्रसिद्धि दिला रही हैं और नफरत को सामान्य बात बना दिया गया है।

उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान झा ने संयुक्त राष्ट्र के एक पूर्व महासचिव की टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा कि नफरत के कारण ही गैस चैंबर (जर्मनी में नाजी शासनकाल में यहूदियों के नरसंहार के लिए) बना।

बोस्निया, कंबोडिया जैसे देशों का नाम लेते हुए उन्होंने कहा, “मैं अपने देश को इस सूची में नहीं देखना चाहता।” उन्होंने कहा कि आज की वास्तविकता यह है कि लोग चाहते हैं कि त्योहार बिना किसी त्रासदी के, शांतिपूर्ण तरीके से बीत जाए।

शून्यकाल में ही कांग्रेस सदस्य रजनी पाटिल ने महानगरों में शिक्षा पर बढ़ते खर्च और सरकारी स्कूलों की खराब स्थिति पर चिंता जताई और शिक्षा को अधिक समावेशी बनाने के लिए शिक्षा का अधिकार कानून के तहत ‘‘आथिक रूप से कमजोर’’ वर्गों से संबंधित प्रावधान लागू करने की मांग की।

उन्होंने कुछ सर्वेक्षणों का हवाला देते हुए कहा कि अभिभावक प्रारंभिक शिक्षा में औसतन 40,000 रुपये से दो लाख रुपये सालाना खर्च करते हैं तथा यह खर्च और बढ़ रही है।

उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों का उद्देश्य सस्ती शिक्षा प्रदान करना था, लेकिन वे अपने उद्देश्य में विफल हो रहे हैं।

भाजपा सदस्य के. लक्ष्मण ने कहा कि तेलंगाना सरकार ने हैदराबाद विश्वविद्यालय द्वारा दावा की गई सैंकड़ों एकड़ भूमि की नीलामी करने का निर्णय लिया है। वहीं भाजपा सदस्य सुजीत कुमार ने दो अप्रैल को ‘‘विश्व ऑटिज्म दिवस’’ के संदर्भ में ‘ऑटिज्म’ बीमारी से पीड़ित बच्चों का मुद्दा उठाया। उन्होंने अनुरोध किया कि ‘ऑटिज्म’ के बारे में जागरूकता के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।

भाजपा सदस्य राधामोहन दास अग्रवाल ने स्कूलों में मध्याह्न भोजन और बच्चों में बढ़ते कुपोषण का मुद्दा उठाया वहीं माकपा सदस्य केआरएन राजेश कुमार ने मनरेगा से जुड़ा मुद्दा उठाया।

शून्यकाल में ही भाजपा के ईरण कडाडी ने आरोप लगाया कि कर्नाटक सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याण से जुडी योजनाओं को अन्य योजनाओं में खर्च कर दिया।

कांग्रेस सदस्य मुकुल वासनिक ने बिहार के बोधगया स्थिर महाबोधि मंदिर को गैर-बौद्धों के नियंत्रण से मुक्त कराने और इसके लिए संबंधित कानून में संशोधन की मांग की।

एमडीएमके सदस्य वाइको सहित कुछ अन्य सदस्यों ने भी शून्यकाल में लोक महत्व के विषय के तहत अपने-अपने मुद्दे उठाए।

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