जातीय जनगणना है ‘सबसे अधिक वैज्ञानिक’ प्रक्रिया : कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर

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बेंगलुरु, 19 अप्रैल (भाषा) जातीय जनगणना को ‘‘सबसे अधिक वैज्ञानिक’’ प्रक्रिया करार देते हुए कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने शनिवार को कहा कि मंत्रिमंडल सभी मंत्रियों की राय सुनने के बाद इसके क्रियान्वयन पर निर्णय लेगा।

उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब समाज के विभिन्न वर्गों ने इस जनगणना को ‘अवैज्ञानिक’ करार देते हुए सर्वेक्षण रिपोर्ट का विरोध किया है। उन्होंने मांग की है कि इसे खारिज किया जाए और नया सर्वेक्षण कराया जाए।

जातीय जनगणना रिपोर्ट पर विचार-विमर्श करने के बृहस्पतिवार को बुलाई गई मंत्रिमंडल की विशेष बैठक कथित तौर पर सरकार के आंतरिक मतभेदों के कारण बेनतीजा रही थी।

मंत्रिमंडल की फिर दो मई को इस विषय पर बैठक होने वाली है।

परमेश्वर ने कहा, ‘‘सभी मंत्रियों से अपनी राय बताने को कहा गया है। हममें से कुछ ने मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान चर्चा में भाग लिया है, चर्चा जारी रहेगी, सभी अपनी राय रखेंगे। सभी की राय सुनने के बाद मंत्रिमंडल निर्णय लेगा। यह किसी व्यक्ति या मुख्यमंत्री का नहीं, बल्कि मंत्रिमंडल का निर्णय होगा।’’

उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा कि कुछ समुदायों ने इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि सर्वेक्षण में उनकी जनसंख्या कम दिखाई गई है।

परमेश्वर ने कहा कि सर्वेक्षण का अध्ययन करने के बाद उन्हें लगता है कि यह ‘सबसे वैज्ञानिक’ कवायदों में एक है।

उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण में तो यहां तक जानकारी जुटायी गयी है कि क्या किसी व्यक्ति द्वारा खोदा गया बोरवेल पर्याप्त मात्रा में पानी के साथ सफल रहा या फिर वह सूखा निकला।

उन्होंने कहा, ‘हर घर से सूचनाएं जुटाने के बाद हस्ताक्षर लिए गए हैं और उनपर पर्यवेक्षकों के हस्ताक्षर भी हैं। ये आंकड़े/सूचनाएं उपलब्ध हैं। सर्वेक्षण के दौरान 1.37 करोड़ परिवारों से संपर्क किया गया और सभी सूचनाएं हस्ताक्षरों के साथ मौजूद हैं।’’

सूत्रों का कहना है कि बृहस्पतिवार को मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान कुछ मंत्रियों ने सर्वेक्षण रिपोर्ट पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि कई लोगों ने इसे अवैज्ञानिक और पुराना बताते हुए उनके समुदाय के लोगों की कम संख्या बताने को लेकर चिंता जताई है। इसके बाद मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने सभी मंत्रियों से लिखित या मौखिक रूप से अपनी राय देने को कहा।

विशेषकर दो प्रमुख समुदायों – वोक्कालिगा और वीरशैव लिंगायत – समेत कर्नाटक के कई समुदायों ने इस सर्वेक्षण पर कड़ी आपत्ति जताई है और इसे “अवैज्ञानिक” बताया है। उन्होंने मांग की है कि इसे खारिज किया जाए और एक नया सर्वेक्षण कराया जाए।

सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर से भी इसके खिलाफ जोरदार आवाजें उठ रही हैं।

हालांकि, सभी लोग इसका विरोध नहीं कर रहे हैं। दलितों और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के कुछ वर्गों का प्रतिनिधित्व करने वाले नेता और संगठन इसके समर्थन में हैं और चाहते हैं कि सरकार सर्वेक्षण रिपोर्ट को सार्वजनिक करे और इस पर आगे बढ़े।

उनका कहना है कि सरकार ने इस पर करीब 160 करोड़ रुपये खर्च किया है जो जनता का पैसा है।

विपक्ष की इस आलोचना पर कि रिपोर्ट किसी कोने में बैठकर लिखी गई है, गृह मंत्री ने कहा कि विपक्ष ऐसी आलोचना करता है तथा सरकार ने उनकी आलोचना और टिप्पणियों पर गौर किया है।

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