दिल्ली की इलेक्ट्रिक वाहन नीति से 20,000 नौकरियां पैदा होने की उम्मीद

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नयी दिल्ली, 12 अप्रैल (भाषा) दिल्ली की इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) नीति 2.0 से 20,000 तक नौकरियां पैदा हो सकती हैं और इसके तहत बैटरी संग्रह केंद्र भी स्थापित किए जाएंगे, साथ ही चार्जिंग और बैटरी अदला-बदली स्टेशनों का शहरव्यापी नेटवर्क भी स्थापित किया जाएगा।

नई प्रस्तावित नीति के बारे में पीटीआई-भाषा से बात करते हुए दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने शनिवार को कहा कि इस नीति का उद्देश्य प्रदूषण को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने को प्रोत्साहित करना है।

इसका मुख्य ध्यान दोपहिया, बस, तिपहिया और माल वाहक जैसे बड़े वाहनों पर होगा, जिसका उद्देश्य उन्हें इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलना है।

पीटीआई-भाषा द्वारा प्राप्त नीति के मसौदे के अनुसार, जीएनसीटीडी (दिल्ली सरकार) नीति अवधि के दौरान 20,000 ईवी नौकरियों के सृजन का लक्ष्य रखेगी और बैटरी रीसाइक्लिंग (पुनर्चक्रण) पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए बैटरी संग्रह केंद्र भी स्थापित कर सकती है।

सिरसा ने कहा, “सरकार ने लक्ष्य रखा है कि 2027 तक सभी नए पंजीकृत वाहनों में से 95 प्रतिशत इलेक्ट्रिक होंगे, जिससे शहर में उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आएगी।”

उन्होंने कहा, “हमारा महत्वाकांक्षी लक्ष्य चार्जिंग और बैटरी अदला-बदली बुनियादी ढांचा तक व्यापक सार्वजनिक पहुंच सुनिश्चित करना है। साल 2030 तक हमारा लक्ष्य सभी प्रकार के ईवी के लिए रिचार्जिंग सुविधाओं की 100 प्रतिशत उपलब्धता हासिल करना है।”

नीति में बैटरी संग्रहण केंद्रों की स्थापना तथा चार्जिंग एवं अदला-बदली बैटरी स्टेशनों का शहरव्यापी नेटवर्क स्थापित करना भी शामिल है।

नई प्रस्तावित नीति में ईवी पारिस्थितिकी तंत्र में प्रशिक्षण प्रदान करने और शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से ईवी-कुशल कार्यबल बनाने के लिए कौशल केंद्र स्थापित करने का भी प्रस्ताव है।

इसका उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों के लाभों और नीति के प्रमुख तत्वों के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर केंद्रित एक गहन सार्वजनिक पहुंच कार्यक्रम विकसित करना है।

चूंकि, सरकार राजधानी में स्वच्छ परिवहन को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार कर रही है, इसलिए इस नीति का उद्देश्य दिल्ली के परिवहन परिदृश्य को बदलना और उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी लाना है।

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