
उत्तम स्वास्थ्य के लिए अच्छे व संतुलित आहार के साथ-साथ ताजे फलों एवं सब्जियों के रस भी बहुत लाभकारी होते हैं। इनमें खनिज लवणों, विटामिनों, एंजाइम आदि तत्वों की भरपूर मात्रा होती है।
फलों के रस शरीर में संचारित होने वाले रक्त के अल्कलाइन भंडार में वृद्धि करते हैं जिससे शरीर के भीतर आंतरिक रसों का उत्पादन बढ़ता है। जिनकी पाचन शक्ति कम होती है या जो उदर रोगों से पीडि़त रहते हैं, ऐसे लोगों के लिए फलों एवं सब्जियों का रस अत्यन्त उपयोगी होता है। आइये, देखते हैं कुछ रसों का महत्त्व-
चुकन्दर का रस – चुकन्दर रक्त शुद्धि के लिए बेहद उपयोगी है। खून की परेशानियों, त्वचा संबंधी रोग व कब्ज से पीडि़त रोगों के लिए चुकन्दर लाभकारी है। इसके सेवन से लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण में मदद मिलती है। अनीमिया के रोगियों के लिए यह बहुत लाभकारी होता है। सुबह-सुबह दो बड़े चम्मच चुकन्दर का रस पीने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है तथा दिन भर ताज़गी बनी रहती है।
टमाटर का रस – पके हुए टमाटर में विटामिन ‘ए’ और विटामिन ‘सी’ प्रचुर मात्रा में एवं अन्य विटामिन व खनिज सूक्ष्म मात्रा में मौजूद होते हैं। टमाटर का रस सुस्त जिगर को सक्रिय करता है। यह यकृत, पाचन क्रिया एवं त्वचा की सभी परेशानियों को दूर करने में मदद करता है।
पालक का रस – इसमें विटामिन ‘ए’ और कई खनिजों का अच्छा स्रोत पाया जाता है। इसे टमाटर या गाजर के रस के साथ मिलाकर अगर लिया जाए तो यह काफी फायदेमंद साबित होता है। अल्सर, अनीमिया, कब्ज, मोटापा, आंखों की तकलीफ एवं सिरदर्द से पीडि़त व्यक्तियों के लिए पालक का रस बहुत लाभकारी होता है।
मेथी का रस – मेथी के पत्तों का रस कृमिनाशक, अपच को दूर करने वाला व बवासीर में लाभ पहुंचाने वाला होता है। मेथी में विपुल मात्रा में लौह तत्व होता है अतः पाण्डुरोग में भी यह गुणकारी होता है। यद्यपि कच्ची भाजी के रस का सेवन अत्यधिक लाभदायक होता है, तथापि पकाने की इच्छा हो तो उसे प्रेशरकुकर में अथवा वाष्प से थोड़ी मात्रा में उबालकर उसी पानी में उसका सूप पीना लाभदायक होता है।
पोदीना का रस – पोदीना (पुदीना) के पत्तों को पीसकर उसका रस निकाल लिया जाता है। दो चम्मच पोदीना का रस, एक चम्मच नींबू का रस तथा दो चम्मच शहद का मिश्रण पेट की शिकायतों में लाभ प्रदान करता है। यह कृमिनाशक, हैजा रोधी तथा सुपाचक होता है। पोदीना, प्याज तथा नींबू के रस को बराबर मात्रा में मिला कर लेने से हैजा में निश्चित लाभ होता है।
अनन्नास का रस – इसमें कई विटामिन एवं खनिज होते हैं। इसमें ‘पापाइन’ तथा ‘ब्रोमेलिन’ नामक दो एंजाइम पाए जाते हैं। ये प्रोटीन के पाचन में सहायक होते हैं। गले के दर्द, टांसिल, सर्दी-जुकाम व पेट की गड़बड़ी में अनन्नास का रस बहुत उपयोगी होता है।
गाजर का रस – इसका रस रक्त शुद्धि के लिए अत्यन्त उपयोगी है। जिन लोगों को एसिडिटी हो, आंखों में इंफेक्शन हो या सांस संबंधी तकलीफ हो, उन्हें इनका सेवन अवश्य करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को नित्य गाजर के रस का सेवन करना चाहिए। इससे मां एवं शिशु दोनों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। गाजर का रस बल-पुष्टि प्रदान करता है।
खीरे का रस – खीरा एवं ककड़ी के रस के सेवन से मूत्रा संबंधी अनेक रोग दूर होते हैं। इसका रस मूत्रा की निकासी में तेजी लाता है और अवशिष्ट व नुक्सानदेह पदार्थों को मूत्रा के माध्यम से बाहर निकालने में मदद करता है। यह मूत्रा तंत्रा को सही रखता है तथा शीघ्र स्खलन एवं कामशीतलता को भी दूर करता है। इसका रस त्वचा की आभा को भी निखारने में मदद करता है।
नींबू का रस – नींबू के रस में यदि शहद मिलाकर सेवन किया जाए तो मोटापा घटाने में सहायक होता है। इसके सेवन से पेट और खून भी साफ होता है। पेट में जलन या एसिडिटी होने पर नींबू का सेवन नहीं करना चाहिए। नींबू के रस की सहायता से त्वचा कोमल होती है तथा कील मुंहासे दूर होते हैं।
संतरे का रस – संतरे में विटामिन ‘सी’ अत्यंत प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। स्कर्वी नामक रोग से यह विटामिन बचाता है। विटामिन ‘सी’ के साथ-साथ इसमें कैल्शियम और फास्फोरस भी पाये जाते हैं। संतरे का रस सर्दी-जुकाम में अत्यंत लाभकारी होता है। यह उदरकृमि, उदरशूल का नाश करता है तथा हड्डियों को मजबूत करता है।