लखनऊ, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने बृहस्पतिवार को केंद्र से नये वक्फ विधेयक के प्रावधानों पर पुनर्विचार करने और फिलहाल के लिए इसे निलंबित रखने का आह्वान किया।
मायावती ने कहा कि हाल में पारित इस विधेयक में वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिमों को शामिल करने का प्रावधान ठीक प्रतीत नहीं होता है।
बसपा प्रमुख ने यहां संवाददाताओं को बताया, “राज्य वक्फ बोर्ड का हिस्सा बनने की गैर मुस्लिमों को अनुमति देना गलत है। मुस्लिम समुदाय भी इस पर आपत्ति कर रहा है। यदि केंद्र सरकार इसी तरह के विवादास्पद प्रावधानों में सुधार के लिए इस पर पुनर्विचार करे और फिलहाल के लिए वक्फ कानून को निलंबित रखे तो बेहतर होगा।”
संसद ने चार अप्रैल को वक्फ (संशोधन) विधेयक पारित कर दिया। राज्यसभा में इस विधेयक के पक्ष में 128 मत पड़े, जबकि विरोध में 95 मत पड़े। तीन अप्रैल को इसे लोकसभा में पारित कर दिया गया था।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पांच अप्रैल को इस विधेयक को मंजूरी प्रदान की।
मायावती ने कहा कि जिस तरह से बौद्ध भिक्षुओं और उनके अनुयायियों की बोध गया में महाबोधि मंदिर के प्रबंध पर एकल नियंत्रण की लंबे समय से मांग रही है, उसी तरह, मुस्लिम समुदाय ने भी धार्मिक मामलों में बाहरी दखल के बारे में वाजिब चिंता जताई है।
उन्होंने कहा, “बसपा की मांग है कि केंद्र वक्फ कानून को लागू किये जाने पर तत्काल रोक लगाए और आवश्यक संशोधनों के जरिए चिंताओं को दूर करे। जिस तरह से बौद्धों ने कांग्रेस के शासन काल में 1949 में बनाये गये महाबोधि मंदिर प्रबंधन कानून का विरोध किया, उसी तरह मुस्लिम अपने धार्मिक मामलों में अनावश्यक दखल का जायज विरोध कर रहे हैं।”
वर्ष 1949 के बोध गया मंदिर अधिनियम के संदर्भ में मायावती ने कहा कि यह चार हिंदुओं और चार बौद्धों वाली प्रबंधन समिति की अनुमति देता है जिसका अध्यक्ष जिलाधिकारी होता है। उन्होंने कहा कि यह ढांचा भेदभावपूर्ण और अनुचित है एवं यह भारत के संविधान की धर्मनिरपेक्ष भावना का उल्लंघन है।
बसपा प्रमुख का कहना था कि धार्मिक स्वायत्तता और प्रबंधन का काम उसे दिया जाना चाहिए जिसकी उस धर्म में आस्था है। चाहे वह वक्फ बोर्ड हो या बोध गया मंदिर, सरकारी हस्तक्षेप विशेषकर अन्य धर्मों के सदस्यों द्वारा हस्तक्षेप से विवाद पैदा होता है।
मायावती ने केंद्र और बिहार में राजग सरकार से संवैधानिक धर्मनिरपेक्षता के मुताबिक बोध गया मंदिर अधिनियम में संशोधन करने की अपील की। उन्होंने दोहराया कि बसपा चाहती है कि सभी धार्मिक समुदायों को अपने अपने धार्मिक संस्थान चलाने की स्वायत्तता दी जाए।
मायावती ने कहा, “सरकारों को धार्मिक मुद्दों से निपटते समय राजनीतिक उद्देश्य छोड़कर संविधान के मुताबिक काम करना होता है। यही राष्ट्र के हित में है।”