
2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने के लक्ष्य के तहत सरकार ने 100 दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान की शुरुआत की थी। प्रधानमंत्री द्वारा इसे एक निर्णायक कदम बताया गया, लेकिन वास्तविकता यह है कि टीबी आज भी लाखों जिंदगियों के लिए गंभीर खतरा बनी हुई है। 347 जिलों में चलाया गया यह अभियान क्या वास्तव में वांछित परिणाम दे पाया? आंकड़े बताते हैं कि टीबी उन्मूलन की राह अब भी कठिन बनी हुई है। क्षय रोग (टीबी) एक संक्रामक बीमारी है, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्यूलोसिस (Mycobacterium tuberculosis) नामक जीवाणु से फैलती है। यह मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है लेकिन शरीर के अन्य अंगों को भी नुकसान पहुँचा सकता है।
भारत में टीबी की स्थिति
भारत में राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के तहत टीबी के मामलों में कमी आई है, लेकिन यह गिरावट पर्याप्त नहीं है। 2015 में प्रति 100,000 आबादी पर 237 मामलों की तुलना में 2023 में यह संख्या घटकर 195 हुई, लेकिन यह 100% उन्मूलन से अब भी बहुत दूर है। टीबी से संबंधित मौतों में भी 21.4% की कमी आई है, फिर भी हर साल हजारों लोग इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की वैश्विक तपेदिक रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत में टीबी के मामलों में गिरावट की दर वैश्विक औसत (8.3%) से दोगुनी तेज रही है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह दर 2025 तक उन्मूलन के लिए पर्याप्त होगी? विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर टीबी को पूरी तरह खत्म करना है, तो सिर्फ दवाओं से ही नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक सुधारों से भी जुड़कर काम करना होगा।
भारत सरकार ने टीबी के उन्मूलन को गति देने के लिए 100 दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान शुरू किया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा ने हरियाणा के पंचकूला में इस पहल की शुरुआत की। यह अभियान 347 जिलों में असुरक्षित आबादी के लिए टीबी की पहचान, निदान में देरी को कम करने और उपचार के परिणामों को बेहतर बनाने पर केंद्रित था लेकिन क्या यह पूरी तरह सफल रहा? विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ 100 दिनों में किसी महामारी जैसी बीमारी को नियंत्रित करना अव्यावहारिक है। टीबी उन्मूलन के लिए निरंतर प्रयास, मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली, व्यापक जन-जागरूकता, पोषण सुधार और सामाजिक-आर्थिक स्थितियों को बेहतर बनाने की जरूरत है।
टीबी से बचाव और उपचार में कहां चूक हो रही है?
टीकाकरण: बीसीजी (BCG) वैक्सीन नवजात शिशुओं को दी जाती है, लेकिन यह सिर्फ गंभीर टीबी के मामलों से बचाव करती है। सक्रिय टीबी की रोकथाम के लिए नए टीकों की जरूरत है।
जल्दी पहचान और इलाज: टीबी के मामलों की रिपोर्टिंग में अब भी देरी हो रही है, जिससे संक्रमण का प्रसार बढ़ता है।
साफ-सफाई और पोषण: कुपोषण टीबी को बढ़ावा देने वाला एक बड़ा कारक है, लेकिन इस दिशा में सरकार के प्रयास अधूरे हैं।
सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल: जागरूकता अभियान चल रहे हैं, लेकिन ग्रामीण और गरीब तबके तक इनकी पहुंच अब भी सीमित है।
क्या भारत 2025 तक टीबी मुक्त हो सकता है?
भारत ने 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह लक्ष्य कठिन है। WHO की “End TB” रणनीति के तहत संक्रमित व्यक्तियों के उपचार पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन मौजूदा गति से यह संभव नहीं दिखता।
टीबी उन्मूलन सिर्फ एक स्वास्थ्य मुद्दा नहीं है, बल्कि गरीबी, कुपोषण, भीड़भाड़, कमजोर स्वास्थ्य सेवाओं और जागरूकता की कमी से भी जुड़ा हुआ है। अगर सरकार और समाज ने मिलकर अधिक गंभीर प्रयास नहीं किए तो 2025 का लक्ष्य एक असफल वादा बन सकता है।
टीबी के उन्मूलन के लिए सिर्फ संकल्प ही नहीं बल्कि ठोस रणनीति और निरंतर प्रयासों की जरूरत है। 100 दिन का अभियान सराहनीय था, लेकिन यह मात्र एक शुरुआत थी। इसे लंबी अवधि की नीति, सशक्त स्वास्थ्य प्रणाली और सामाजिक सुधारों से जोड़ना होगा। टीबी से मुक्त भारत का सपना तभी साकार होगा जब हम सभी इस अभियान में सक्रिय भूमिका निभाएंगे और “टीबी हारेगा, देश जीतेगा!” के संकल्प को पूरी निष्ठा से साकार करेंगे।
भारत में टीबी की स्थिति
भारत में राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के तहत टीबी के मामलों में कमी आई है, लेकिन यह गिरावट पर्याप्त नहीं है। 2015 में प्रति 100,000 आबादी पर 237 मामलों की तुलना में 2023 में यह संख्या घटकर 195 हुई, लेकिन यह 100% उन्मूलन से अब भी बहुत दूर है। टीबी से संबंधित मौतों में भी 21.4% की कमी आई है, फिर भी हर साल हजारों लोग इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की वैश्विक तपेदिक रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत में टीबी के मामलों में गिरावट की दर वैश्विक औसत (8.3%) से दोगुनी तेज रही है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह दर 2025 तक उन्मूलन के लिए पर्याप्त होगी? विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर टीबी को पूरी तरह खत्म करना है, तो सिर्फ दवाओं से ही नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक सुधारों से भी जुड़कर काम करना होगा।
भारत सरकार ने टीबी के उन्मूलन को गति देने के लिए 100 दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान शुरू किया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा ने हरियाणा के पंचकूला में इस पहल की शुरुआत की। यह अभियान 347 जिलों में असुरक्षित आबादी के लिए टीबी की पहचान, निदान में देरी को कम करने और उपचार के परिणामों को बेहतर बनाने पर केंद्रित था लेकिन क्या यह पूरी तरह सफल रहा? विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ 100 दिनों में किसी महामारी जैसी बीमारी को नियंत्रित करना अव्यावहारिक है। टीबी उन्मूलन के लिए निरंतर प्रयास, मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली, व्यापक जन-जागरूकता, पोषण सुधार और सामाजिक-आर्थिक स्थितियों को बेहतर बनाने की जरूरत है।
टीबी से बचाव और उपचार में कहां चूक हो रही है?
टीकाकरण: बीसीजी (BCG) वैक्सीन नवजात शिशुओं को दी जाती है, लेकिन यह सिर्फ गंभीर टीबी के मामलों से बचाव करती है। सक्रिय टीबी की रोकथाम के लिए नए टीकों की जरूरत है।
जल्दी पहचान और इलाज: टीबी के मामलों की रिपोर्टिंग में अब भी देरी हो रही है, जिससे संक्रमण का प्रसार बढ़ता है।
साफ-सफाई और पोषण: कुपोषण टीबी को बढ़ावा देने वाला एक बड़ा कारक है, लेकिन इस दिशा में सरकार के प्रयास अधूरे हैं।
सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल: जागरूकता अभियान चल रहे हैं, लेकिन ग्रामीण और गरीब तबके तक इनकी पहुंच अब भी सीमित है।
क्या भारत 2025 तक टीबी मुक्त हो सकता है?
भारत ने 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह लक्ष्य कठिन है। WHO की “End TB” रणनीति के तहत संक्रमित व्यक्तियों के उपचार पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन मौजूदा गति से यह संभव नहीं दिखता।
टीबी उन्मूलन सिर्फ एक स्वास्थ्य मुद्दा नहीं है, बल्कि गरीबी, कुपोषण, भीड़भाड़, कमजोर स्वास्थ्य सेवाओं और जागरूकता की कमी से भी जुड़ा हुआ है। अगर सरकार और समाज ने मिलकर अधिक गंभीर प्रयास नहीं किए तो 2025 का लक्ष्य एक असफल वादा बन सकता है।
टीबी के उन्मूलन के लिए सिर्फ संकल्प ही नहीं बल्कि ठोस रणनीति और निरंतर प्रयासों की जरूरत है। 100 दिन का अभियान सराहनीय था, लेकिन यह मात्र एक शुरुआत थी। इसे लंबी अवधि की नीति, सशक्त स्वास्थ्य प्रणाली और सामाजिक सुधारों से जोड़ना होगा। टीबी से मुक्त भारत का सपना तभी साकार होगा जब हम सभी इस अभियान में सक्रिय भूमिका निभाएंगे और “टीबी हारेगा, देश जीतेगा!” के संकल्प को पूरी निष्ठा से साकार करेंगे।