लखनऊ, 13 अप्रैल (भाषा) उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने रविवार को कहा कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर न केवल भारत के संविधान निर्माता थे, बल्कि वे एक महान समाज सुधारक, चिंतक और न्यायप्रिय नेता भी थे जिन्होंने जीवनभर सामाजिक असमानता के विरुद्ध संघर्ष किया।
मंत्री ने यह भी कहा कि बाबा साहेब ने शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन का प्रमुख साधन माना।
उपाध्याय रविवार को लखनऊ स्थित मरीन ड्राइव चौराहा से राज्य स्तरीय ‘‘जय भीम पदयात्रा’’ को हरी झंडी दिखाने बाद लोगों को संबोधित कर रहे थे।
इस मौके पर अपने संबोधन में उपाध्याय ने कहा, ‘‘डॉ आंबेडकर ने ‘शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो’ का जो संदेश दिया था, वही आज के युवाओं के लिए सबसे बड़ा पथप्रदर्शक है।”
यह पदयात्रा बाबा साहेब की जयंती के एक दिन पूर्व आयोजित की गयी, जिसमें सैकड़ों युवाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
यहां जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार मंत्री ने युवाओं के साथ कदम मिलाते हुए मरीन ड्राइव चौराहा से आंबेडकर स्मृति स्थल तक पदयात्रा की जिसका उद्देश्य सामाजिक न्याय, समानता और संविधान के मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाना था।
कार्यक्रम की शुरुआत उच्च शिक्षा मंत्री ने सामाजिक परिवर्तन प्रतीक स्थल पर डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर मौन श्रद्धांजलि के साथ की। इसके बाद युवाओं के साथ संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक वाचन किया और बाबा साहेब के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनके विचारों को उपस्थित जनसमूह के समक्ष रखा।
उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘प्रकृति में आरंभ से ही सामाजिक समरसता और समता का भाव रहा है। बाबा साहेब ने इस विचार को संविधान में मूलभूत अधिकारों और कर्तव्यों के माध्यम से सशक्त किया।’’
उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे संविधान के मूल्यों को आत्मसात करते हुए समावेशी समाज के निर्माण में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा, ‘‘भारत एक है और हमें समतामयी, ममतामयी समाज की स्थापना करनी है।’’
मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देशभर में ‘जय भीम पदयात्रा’ जैसे आयोजनों के माध्यम से बाबा साहेब के विचारों को घर-घर तक पहुंचाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि यह पदयात्रा केवल श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि एक जन-जागरण अभियान है जो युवाओं को सामाजिक समता, बंधुत्व और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए प्रेरित करती है।