अमित शाह चार और पांच अप्रैल को छत्तीसगढ़ का दौरा करेंगे, अगले सप्ताह जम्मू कश्मीर भी जा सकते हैं

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नयी दिल्ली, 31 मार्च (भाषा) केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ में नक्सल-विरोधी अभियानों का जायजा लेने के लिए चार और पांच अप्रैल को राज्य का दौरा करेंगे। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

शाह सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए सात और आठ अप्रैल को जम्मू कश्मीर का दौरा भी कर सकते हैं।

सूत्रों ने बताया कि छत्तीसगढ़ दौरे के दौरान शाह एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता करेंगे और चल रहे अभियानों की समीक्षा करेंगे।

गृह मंत्री ने देश में नक्सलवाद को खत्म करने के लिए 31 मार्च 2026 तक का लक्ष्य रखा है। उन्होंने बार-बार माओवादियों से आत्मसमर्पण करने और मुख्यधारा में शामिल होने की अपील की है और आश्वासन दिया है कि सरकार उनका उचित पुनर्वास करेगी।

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए आंकड़ों के अनुसार, इस साल अब तक छत्तीसगढ़ में मुठभेड़ों में कम से कम 130 नक्सली मारे गए हैं। इनमें से 110 से ज़्यादा बस्तर संभाग में मारे गए, जिसमें बीजापुर और कांकेर समेत सात जिले शामिल हैं।

देश के विभिन्न हिस्सों से 105 से अधिक नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया और 2025 में अब तक 164 ने आत्मसमर्पण कर दिया है।

वर्ष 2024 में कुल 290 नक्सलियों को मार गिराया गया और 1,090 को गिरफ्तार किया गया तथा 881 ने आत्मसमर्पण किया। अब तक 15 शीर्ष नक्सली नेताओं को मार गिराया गया है।

आंकड़ों के अनुसार, 2004 से 2014 के बीच नक्सली हिंसा की कुल 16,463 घटनाएं हुईं। हालांकि, 2014 से 2024 के बीच ऐसी घटनाओं की संख्या में 53 फीसदी की कमी आई है और यह घटकर 7,744 रह गई है।

इसी प्रकार, इस अवधि के दौरान सुरक्षा बलों के हताहतों की संख्या में 73 प्रतिशत की कमी आई, जो 1,851 से घटकर 509 हो गई। हताहत होने वाले नागरिकों की संख्या में 70 प्रतिशत की कमी आई और यह आंकड़ा 4,766 से घटकर 1,495 रह गया।

सूत्रों ने बताया कि अस्थायी कार्यक्रम के अनुसार गृहमंत्री जम्मू कश्मीर की अपनी यात्रा के दौरान सुरक्षा स्थिति और आतंकवाद रोधी अभियानों की समीक्षा करेंगे।

उनके जम्मू क्षेत्र के अग्रिम इलाकों का दौरा करने और सीमा सुरक्षा के लिए तैनात सैनिकों से मिलने की भी संभावना है।

गृह मंत्रालय के कामकाज पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान 21 मार्च को शाह ने आंकड़े साझा किए, जिनसे पता चलता है कि 2004 से 2014 के बीच जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की 7,217 घटनाएं हुईं, जो 2014 से 2024 के बीच उल्लेखनीय रूप से घटकर 2,242 रह गईं।

आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि के दौरान कुल मौतों की संख्या में 70 प्रतिशत की कमी आई, नागरिकों की मौतों की संख्या में 81 प्रतिशत की कमी आई तथा सुरक्षाकर्मियों की हताहतों की संख्या में 50 प्रतिशत की कमी आई।

वर्ष 2010 से 2014 तक हर साल औसतन 2,654 संगठित पथराव की घटनाएं हुईं, लेकिन 2024 में ऐसी कोई घटना सामने नहीं आई।

वर्ष 2010-14 के दौरान 132 संगठित हड़तालें हुईं, लेकिन 2024 में कोई भी नहीं हुयी।

उन्होंने कहा कि इस अवधि के दौरान पत्थरबाजी की घटनाओं में 112 नागरिक मारे गए और 6,000 घायल हुए, लेकिन अब ऐसी घटनाएं पूरी तरह बंद हो गई हैं।

वर्ष 2004 में 1,587 आतंकवादी घटनाएं हुईं, जबकि 2024 में यह संख्या घटकर मात्र 85 रह गयी।

शाह ने कहा कि वर्ष 2004 में 733 नागरिक मारे गए थे, जबकि 2024 में यह संख्या घटकर 26 हो गयी। सुरक्षा बल कर्मियों की मृत्यु की संख्या 2004 में 331 से घटकर 2024 में 31 हो गयी।

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