बाल संरक्षण गृहों में सीसीटीवी निगरानी बढ़ाने की जरूरत: नीलम गोरहे

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ठाणे, 17 अप्रैल (भाषा) महाराष्ट्र विधान परिषद की उपसभापति नीलम गोरहे ने ठाणे जिले के खडवली क्षेत्र स्थित एक बाल आश्रय गृह से 29 बच्चों को बचाने के कुछ दिन बाद बाल संरक्षण संस्थाओं में सीसीटीवी निगरानी को सशक्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।

बाल आश्रय स्थल में यह कार्रवाई बच्चों की पिटाई और यौन उत्पीड़न की शिकायतों के बाद की गई थी।

बुधवार को गोरहे ने बताया कि उक्त आश्रय गृह से जिन बच्चों को निकाला गया, उनका पता ‘रेलवे स्टेशन’ दर्ज था। इसे उन्होंने “अत्यंत संदेहास्पद” बताया।

उन्होंने सवाल उठाया, “क्या ये बच्चे वास्तव में स्टेशन पर रहते थे? या फिर जानबूझकर गलत जानकारी दी गई? पुलिस को इसकी गहराई से जांच करनी चाहिए।”

गोरहे ने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश दिए कि जिला परिषद और नगरपालिका स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के पते दोबारा जांचें, ताकि किसी भी अवैध या पंजीकरण से बाहर चल रहे आश्रय गृहों की पहचान की जा सके।

खडवली क्षेत्र में एक गैर-पंजीकृत आश्रय गृह से 11 अप्रैल को 20 लड़कियों और 9 लड़कों को बचाया गया था। आरोप था कि वहां बच्चों को पीटा जाता था और उनका यौन उत्पीड़न किया जाता था।

इस मामले में पांच लोगों के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम, 2015 और पॉक्सो अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।

बुधवार को गोरहे ने उस राहत केंद्र का दौरा किया, जहां इन बच्चों को रखा गया है और उनकी सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की।

उन्होंने राज्य में सभी बाल संरक्षण गृहों का सर्वेक्षण कर अवैध रूप से चल रहे संस्थानों पर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग, कानून प्रवर्तन अधिकारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ एक समीक्षा बैठक भी की।

गोरहे ने कहा, “इस मामले में सरकार की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। अभियुक्तों को कड़ी से कड़ी सज़ा दिलाने के लिए सक्षम अभियोजकों की नियुक्ति की जाएगी।”

उन्होंने यह भी कहा कि पीड़ित बच्चों की शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना जरूरी है।

उन्होंने कहा, “इन बच्चों को सुरक्षित वातावरण और शिक्षा का अधिकार है। उनका भविष्य प्रभावित नहीं होना चाहिए। किशोर न्यायालय यह तय करेगा कि उन्हें आगे किस आश्रय गृह में रखा जाए।”

आगे ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उन्होंने बाल गृहों में सीसीटीवी निगरानी बढ़ाने, दुष्कर्म मामलों में बी-संक्षेप रिपोर्ट (एक प्रकार की समापन रिपोर्ट) की समीक्षा करने और दक्ष कानूनी विशेषज्ञों की नियुक्ति करने पर बल दिया।

उन्होंने कहा, “राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों को संरक्षण, सशक्तिकरण और न्याय मिले।”

उन्होंने कहा कि सरकार बच्चों के खिलाफ अपराधों को लेकर ‘कतई बर्दाश्त नहीं’ की नीति पर कायम है।

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