प्रधानमंत्री मोदी ने लोक सेवकों को सुशासन के लिए ‘नागरिक देवो भव’ मंत्र दिया

0
asdfgfdsa

नयी दिल्ली, 21 अप्रैल (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को लोक सेवकों से वंचित लोगों की समस्याओं के समाधान के दौरान ‘‘नागरिक देवो भव’’ के सिद्धांत का पालन करने को कहा और समावेशी विकास के लिए अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने पर जोर दिया।

यहां 17वें सिविल सेवा दिवस समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि लोक सेवकों को स्वयं को केवल प्रशासक के रूप में ही नहीं देखना है, बल्कि विकसित भारत के शिल्पकार के रूप में खुद को तैयार करना है।

मोदी ने कहा कि भारत दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है और उन्होंने बुनियादी सुविधाओं को प्राथमिकता देने तथा अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने पर विशेष रूप से ध्यान देने पर जोर दिया।

उन्होंने नागरिकों की बढ़ती जरूरतों और आकांक्षाओं का हवाला देते हुए कहा कि सिविल सेवा को प्रासंगिक बने रहने के लिए समकालीन चुनौतियों के अनुकूल बनना होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अब तक की उपलब्धियों को कई गुना बढ़ाया जाना चाहिए तथा प्रगति के लिए उच्च मानक स्थापित किए जाने चाहिए।

उन्होंने प्रौद्योगिकी-चालित विश्व में मानवीय निर्णय के महत्व पर बल दिया तथा लोक सेवकों से संवेदनशील बने रहने, वंचितों की आवाज सुनने, उनके संघर्षों को समझने तथा उनके मुद्दों के समाधान को प्राथमिकता देने का आग्रह किया।

मोदी ने ‘‘नागरिक देवो भव’’ का मंत्र दिया और इसकी तुलना ‘‘अतिथि देवो भव’’ के सिद्धांत से की तथा लोक सेवकों से समर्पण एवं करुणा की भावना के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करने की अपील की।

प्रधानमंत्री ने नागरिकों के लिए पोषण में सुधार के वास्ते नये सिरे से प्रतिबद्धता की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि अंतिम लक्ष्य 100 प्रतिशत कवरेज और 100 प्रतिशत प्रभाव होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि कि इस दृष्टिकोण ने पिछले दशक में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है और विश्वास जताया कि इससे गरीबी मुक्त भारत बनेगा।

मोदी ने कहा कि वैश्विक परिवर्तनों के बीच भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र, स्टार्टअप और युवा उद्यमियों के पास अभूतपूर्व अवसर हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को वैश्विक सर्वोत्तम परंपराओं में अपनी स्थिति का निरंतर मूल्यांकन करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जहां भारतीय उद्योगों का लक्ष्य विश्व स्तर पर सर्वोत्तम उत्पाद तैयार करना है, वहीं भारत की नौकरशाही का लक्ष्य विश्व में सर्वोत्तम सुगम अनुपालन का वातावरण उपलब्ध कराना होना चाहिए।

मोदी ने लोक सेवकों के लिए ऐसे कौशल हासिल करने की आवश्यकता पर बल दिया, जो न केवल उन्हें प्रौद्योगिकी को समझने में मदद करेगा, बल्कि स्मार्ट और समावेशी शासन के लिए इसके उपयोग में भी दक्ष बनाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी के युग में, शासन का मतलब प्रणालियों का प्रबंधन करना नहीं है, बल्कि संभावनाओं को बढ़ाना है।’’

प्रधानमंत्री ने नीतियों और योजनाओं को प्रौद्योगिकी के माध्यम से अधिक सुलभ बनाने के लिए तकनीक अपनाने के महत्व पर बल दिया। मोदी ने सटीक नीति डिजाइन और कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए डेटा-संचालित निर्णय लेने में विशेषज्ञता की आवश्यकता को भी रेखांकित किया।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता और क्वांटम भौतिकी में तेजी से हो रही प्रगति को देखते हुए, प्रौद्योगिकी में आने वाली क्रांति का उल्लेख करते हुए मोदी ने लोक सेवकों से कहा कि वे इस तकनीकी क्रांति के लिए तैयार रहें, ताकि सर्वोत्तम सेवाएं प्रदान की जा सकें और नागरिकों की आकांक्षाओं को पूरा किया जा सके।

प्रधानमंत्री ने तेजी से बदलते समय में वैश्विक चुनौतियों पर पैनी नजर रखने की आवश्यकता पर बल दिया तथा यह उल्लेख किया कि खाद्य, जल और ऊर्जा सुरक्षा प्रमुख मुद्दे बने हुए हैं, विशेष रूप से ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए, जहां चल रहे संघर्षों के कारण कठिनाइयां बढ़ रही हैं तथा जनजीवन और आजीविका पर असर पड़ रहा है।

मोदी ने इन उभरते वैश्विक मुद्दों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए स्थानीय रणनीति विकसित करने की आवश्यकता पर बताई।

प्रधानमंत्री ने बुनियादी ढांचे, नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य, आंतरिक सुरक्षा, भ्रष्टाचार को समाप्त करने और सामाजिक कल्याण योजनाओं, खेल और ओलंपिक से संबंधित लक्ष्यों जैसे प्रमुख क्षेत्रों को रेखांकित किया और हर क्षेत्र में नए सुधारों के कार्यान्वयन की अपील की।

इस साल प्रधानमंत्री द्वारा जिलों के समग्र विकास, आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम और लोक सेवकों के लिए नवाचार श्रेणियों में 16 पुरस्कार प्रदान किए गए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *