बिहार की महिला किसानों ने सौर ऊर्जा वालों पंपों को अपनाकर बदली अपनी किस्मत

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मुजफ्फरपुर, दो मार्च (भाषा) जमीन विवाद के कारण अपने पति को खो चुकी बिहार के सूर्याही गांव की निवासी इंदु देवी के पास जमीन के छोटे से टुकड़े और कर्ज के अलावा अब कुछ नहीं बचा था लेकिन कारोबार के लिए खेतों में सौर ऊर्जा वाले पंपों के इस्तेमाल से उन्हें आर्थिक संबल मिला।

इंदु ने खेतों में सौर ऊर्जा वाले पंपों के इस्तेमाल के बारे में सुना जो आजीविका का साधन भी बन सकते हैं। उनके पास सौर ऊर्जा वाले पंप के बारे में कोई तकनीकी ज्ञान नहीं था। इसके बावजूद इंदु ने स्वयं पर विश्वास रखा और इसे अपनी आजीविका बनाया।

इंदु पड़ोसी खेतों में आज पानी की आपूर्ति करके एक स्थिर आय अर्जित करती हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘केचन स्विच चालू और बंद करना होता है लेकिन इसने मुझे संभलने का एक नया तरीका दिया।’’

इस क्षेत्र में इंदु की कहानी प्रेरणादायक है लेकिन वह अकेली नहीं हैं जो ऐसा कर रही हैं। स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) से जुड़कर कई महिलाओं ने सिंचाई के लिए अपनी जमीन पर सौर ऊर्जा वाले पंपों में निवेश किया जिससे उन्हें आजीविका का नया साधन तो मिला ही, उनका जीवन भी पूरी तरह बदल गया।

बिहार में दशकों से सिंचाई एक बड़ी चुनौती रही है। जलवायु परिवर्तन के बीच बेमौसम बारिश, अत्यधिक गर्मी और खस्ताहाल बिजली आपूर्ति के कारण किसानों को खेती के लिए संघर्ष करना पड़ता है।

डीजल पंप महंगे और कम कारगर हैं जिससे छोटे किसान, खासकर महिलाएं सिर्फ मौसम की मेहरबानी पर ही निर्भर रह जाते हैं।

आगा खान ग्रामीण सहायता कार्यक्रम (आगा खान रूरल सपोर्ट प्रोग्राम) के ‘टीम लीडर’ मुकेश चंद्रा ने कहा, ‘‘सौर ऊर्जा से चलने वाले सिंचाई पंपों के इस्तेमाल ने यहां पूरा माहौल ही बदल दिया है। महिलाओं द्वारा संचालित ये पंप बहुत कम लागत पर पानी उपलब्ध कराते हैं।’’

मुजफ्फरपुर के काकराचक की निवासी देवकी देवी ने कहा कि जब उन्होंने सौर ऊर्जा वाले पंप लगाने के बारे में अपने पति से बात कही तो उन्होंने इसका विरोध किया।

उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने मुझे एसएचजी बैठक के लिए घर से बाहर नहीं जाने दिया लेकिन जब मैंने उन्हें बताया कि हम इससे कितनी आय कमा सकते हैं तो वह आखिरकार मान गए।’’

देवकी ने जुलाई 2023 में 10 प्रतिशत ब्याज दर पर डेढ़ लाख रुपये का कर्ज लेकर पांच हॉर्स पावर क्षमता का पंप लगाया। अब वह 229 रुपये प्रति एकड़ की दर से 12 खेतों को पानी की आपूर्ति करती है जो डीजल पंपों पर खर्च की गई राशि से भी कम है। कुछ ही महीनों में उन्होंने अपने परिवार के खर्चों की पूर्ति के लिए काफी आय अर्जित कर ली है।

सीता देवी और रश्मि कुमारी जैसी महिलाओं को भी अपने परिवार और समाज के लोगों से विरोध का सामना करना पड़ा।

करणपुर की 75 वर्षीय संगीता देवी ने कहा, ‘‘आज भी हम पितृसत्ता का दंश झेल रही हैं।’’

संगीता के पास महज इतनी ही जमीन है जिस पर सौर ऊर्जा वाला पंप लग सके और इसके लिए उन्होंने अपने गांव के एसएचजी से 2.5 लाख रुपये का कर्ज लिया। वह आज आस-पास के खेतों में पानी की आपूर्ति करती हैं और अपनी बचत से अपने कच्चे मकान को पक्का बनाने की इच्छा रखती हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘अभी मैं कर्ज चुका रही हूं।’’

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