हम नशा क्यों करते है?

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इस संसार में हर जीव सुख चाहता है। इसके लिए वो तरह तरह के उपाय करता है। किसी को सात्विक तरीके पसंद है तो कोई तामसिक तरीकांे में सुख ढूढंता है। नशा करना भी इसी तामसिक तरीके में शामिल है और अंततः नशा नाश का कारण बन जाता है। नशा में सुख ढूंढने निकले लोग विनाश करके ही लौटते है।
जिंदगी की परेशानियों का जब हम कोई हल नही निकाल पाते तो अक्सर नशे की शरण में चले जाते है लेकिन नशा समाधान नहीं, अभिशाप बन कर हमारे जीवन में ग्रहण डाल देता है और हम इन बातों को तब समझ पाते हैं जब जीवन का बहुमूल्य समय बर्बाद हो जाता है।
हमारे आसपास नशा करने वाले जितने भी लोग हैं उनके जीवन को गहराई से देखें तो पायंेगे कि नशे ने इनके जीवन को और बर्बाद कर दिया है। इसका सीधा सा मतलब है कि हम बर्बादी में समाधान ढूंढ रहे है।
नशा करने वाले को लगता है कि वह इससे सांसारिक झंझटों से कुछ समय के लिए बाहर आ जाता है। कुछ समय यह संसार उसे परेशान नहीं करता। हो सकता है कि इसमें कुछ हद तक सच्चाई हो लेकिन यही सच्चाई है, ऐसा नही है। नशा कुछ पल दर्द से निजात दिलाता लेकिन जिंदगी की समस्याओं का समाधान नही दिलाता। इसके ठीक उलट यह और जटिलताओं को जीवन में डाल देता है।
नशे से बर्बाद हुए परिवारों की व्यथा हम में से किससे छुपी है? नशें में झगड़े की कहानियां रोज सुनने को मिलती है। नशा असल में जीवन बर्बाद करने का साधन है। जो इसमें समाधान ढूंढ़ रहे हैं, उन्हें कभी मिलेगा नहीं। यह सौ फीसदी सही है और नशा करने वाला व्यक्ति भी इसे जानता है।
जिस दिन हमें यह पक्का विश्वास हो जायेगा कि नशे से मुक्ति नहीं, विनाश मिलता है हम आधी लड़ाई जीत जायेंगे। नशा अगर कुछ समय के लिए सांसारिक बंधनों से मुक्ति देता है तो आध्यात्म सभी तरह सांसारिक समस्याओं से बेहतर तरीके से हल करने का रास्ता बताता है।
असल में यह संसार भी परेशानी नही देता। हम संसार को लेकर जो मान्यताएं गढ़ते हैं, अपनी समझ बना लेते हैं, वो परेशानी पैदा करती हैं और हम नशे की शरण में चले जाते है। नशा थोड़े समय के लिए सुख देता है लेकिन इस थोड़े समय के बाद बहुत बड़े संकट में डाल देता है। सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल करता है, धन की हानि होती है,आपसी क्लेश बढ़ जाता है। पारिवारिक मधुरता का नाश हो जाता है,प्रगति बाधित हो जाती है। इन घरों के बच्चों की मानसिक स्थिति पर बहुत ही नकारात्मक प्रभाव इससे पड़ता है।
इसलिए कुछ ऐसे रास्ते हमें तलाश करने की जरूरत है जो संसार की अच्छी समझ दें,संसार को बेहतर बनाने का तरीका सिखाये, हमारी शक्ति घटाने की बजाये जैसा कि नशे में होता है, वो हमें ताकतवर बनायंे। इसके लिए तो हमे बस अध्यात्म की राह पर ही चलना पड़ेगा। भारत ज्ञानियों, तीर्थंकरों, संतों और महात्माओं की भूमि है। जीवन जीने की उन्नत कला हमें यहीं से प्राप्त हो सकती है। होता यह है कि हम ज्ञान-अध्यात्म को बिना समझे टिप्पणी करने लगते हैं। एक बार इसे ईमानदारी से समझने का यत्न तो करना ही चाहिए हमें। हमारे यहॉं अध्यात्म का संपूर्ण साहित्य उपलब्ध है,उसे पढ़ें। थोड़ा परिचय ले।
जीवन का समाधान नशे में नहीं, ज्ञान में है। जीवन में जो अंधेरा है, वो ज्ञान की रोशनी से ही दूर हो सकता है। कमरे में अंधेरा हो तो हम रात में दरवाजा भी ढूंढ नहीं पाते, वहीं जब हम रोशनी करते है तो हर चीज हमें साफ-साफ दिखाई देने लगती है। फिर रात का अंधेरा भी बाधक नहीं बनता। इसलिए ज्ञान पथ का पथिक बनिए। जीवन सुगम हो जाएगा और नशे के लिए कोई स्थान नहीं बचेगा।

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