नयी दिल्ली, 25 मार्च (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को लोकसभा में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित विपक्ष के कई सदस्यों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह बात पूरी तरह निराधार है कि जीएसटी प्रगतिशील नहीं है।
उन्होंने वित्त विधेयक, 2025 पर चर्चा का जवाब देते हुए यह भी कहा कि कॉरपोरेट कर में कटौती से निवेश में बढ़ोतरी हुई है।
उनके जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से वित्त विधेयक को मंजूरी दी।
सीतारमण ने कहा, ‘‘यह सच नहीं है कि कॉरपोरेट कर में कटौती से बड़े कारोबारी समूहों को फायदा हो रहा है।’’
उन्होंने कहा कि इससे कई कारोबारी इकाइयों का फायदा हुआ है और निवेश बढ़ाने में भी मदद मिली है।
उन्होंने कहा कि यह आरोप निराधार है कि जीएसटी प्रगतिशील नहीं है।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘सबसे अमीर 20 प्रतिशत नागरिक परिवार के स्तर पर 41.4 प्रतिशत जीएसटी का योगदान देते हैं जो कुल जीएसटी का 14.2 फीसदी है, जबकि नीचे के 50 प्रतिशत लोग 28 प्रतिशत जीएसटी का योगदान देते हैं जो कुल जीएसटी का 9.6 फीसदी है। इसलिए यह दलील गलत है कि जीएसटी प्रगतिशील नहीं है।’’
उनके मुताबिक, सबसे गरीब 50 फीसदी लोगों को 7.3 फीसदी औसत प्रभावी दर का सामना करना पड़ता है, जबकि जीएसटी से पहले की व्यवस्था में ऐसा नहीं था।
उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद एक संवैधानिक संस्था है और वित्त मंत्रियों का समूह जीएसटी की दरों पर फैसला करता है।
सीतारमण ने कहा कि मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, गिरजाघर और दरगाह जीएसटी से पूरी तरह मुक्त हैं।
उन्होंने वित्त विधेयक का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘हमने इस वित्त विधेयक के जरिये कई कदम उठाए हैं…यह कारोबारी सुगमता और कर में राहत से जुड़े हैं।’’
वित्त मंत्री ने कहा कि वेतनभोगी करदाताओं को 12.75 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कर से राहत दी गई है।