नयी दिल्ली, 24 मार्च (भाषा) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद पवार) की सांसद सुप्रिया सुले ने देश में कर व्यवस्था को लेकर नागरिकों के अंदर डर होने का दावा करते हुए सोमवार को कहा कि भारत के विकास के लिए ऐसी कर प्रणाली की जरूरत है जिससे लोगों में भय नहीं हो।
सुले ने लोकसभा में वित्त विधेयक, 2025 पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा, ‘‘कर को लेकर हमेशा आशंका का माहौल क्यों रहता है? भारत के विकास के लिए अच्छी कर प्रणाली होनी चाहिए।’’
उन्होंने अपने से पूर्व भाषण देने वाले भाजपा सांसद निशिकांत दुबे पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘सत्तापक्ष की ओर से बार-बार गड़े मुर्दे उखाड़े जाते हैं। हम उनसे कुछ अच्छी बातें सुनने की अपेक्षा कर रहे थे, लेकिन वे केवल पिछले पांच दशक की बात करते रहते हैं।’’
उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि दुनिया और भारत चुनौतीपूर्ण समय से गुजर रहे हैं और अनिश्चितता की स्थिति है, ऐसे में सत्तापक्ष और सरकार को सब कुछ अच्छा बताने के बजाय विनम्रतापूर्वक बताना चाहिए कि चुनौती से भविष्य में किस तरह निपटा जाएगा।
सुले ने कहा कि आज विनिर्माण कम है, खाद्य मुद्रास्फीति उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रही है, रोजगार की स्थिर अच्छी नहीं है, पूंजी प्रवाह निराशाजनक है और निर्यात 10.9 प्रतिशत कम हुआ है।
उन्होंने कहा कि कार और बाइक बाजार 17 प्रतिशत तक नीचे गिरा है और लोग इसके पीछे खरीदने की क्षमता कम होने और अर्थव्यव्था की स्थिति खराब होने का हवाला देते हैं।
सुले ने जीएसटी में कई सुधार की जरूरत बताते हुए कहा कि सरकार वास्तव में ‘एक राष्ट्र, एक कर’ की व्यवस्था कब लाएगी।
उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादों पर ‘यूनिलेटरल जीरो टेरिफ’ के मुद्दे पर सरकार को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए कि ऐसा होगा या नहीं।
चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के गुरजीत सिंह औजला ने कहा कि यह सरकार गरीबों की मदद करने के बजाय केवल 200 अरबपतियों की सहायता कर रही है। उन्होंने देश में आयकर आतंकवाद बढ़ने का दावा किया।
वाईएसआरसीपी के पीवी मिथुन रेड्डी ने सवाल किया कि पोलावरम परियोजना की क्षमता कम करने की बात हो रही है, यदि ऐसा है तो सरकार की क्या योजना है उसे बताना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकार को विशाखापत्तनम इस्पात संयंत्र की विनिवेश की खबरों पर भी स्पष्टीकरण देना चाहिए।
शिवसेना (उबाठा) के अनिल देसाई ने कहा कि सरकार की धनधान्य कृषि योजना आपूर्ति शृंखला में ढांचागत सुधार नहीं प्रदान करती, वहीं खेती पर जलवायु परिवर्तन के असर को लेकर भी उसके पास कोई योजना नहीं है।
आईयूएमएल के ईटी मोहम्मद बशीर ने भी जीएसटी प्रणाली को लेकर कहा कि इससे कर व्यवस्था को सरल बनाने की बात कही गई थी, लेकिन यह गलत साबित हुई।