धर्म से अलग भी हैं- नवरात्र के नौ नव आधार

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30 मार्च से चैत्र नवरात्र का प्रारंभ हो रहा है। नवरात्र हिंदू धर्म के सनातन एवं वैष्णव ही नहीं, अभी तो शैव विचारधारा को मानने वाले हिंदुओं का भी महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है जो चैत्र प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है । पहली दृष्टि से देखने पर नवरात्र केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नजर आते हैं लेकिन नवरात्रि केवल एक धार्मिक पर्व ही नहीं है बल्कि यह  आध्यात्मिक वैज्ञानिक, स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

नवरात्र उपवास से आत्मसंयम, स्वास्थ्य सुधार और मानसिक संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा मिलती है। यदि नवरात्र की परंपराओं को वैज्ञानिक नज़रिए से अपनाया जाए, तो यह हमें संपूर्ण रूप से एक सकारात्मक और संतुलित जीवन जीने की राह दिखाता है।

आई इन नवरात्रों में देखते हैं इसके विभिन्न पहलुओं का महत्व।

आध्यात्मिक दृष्टि से नवरात्र

नवरात्रि (नवरात्र) नौ दिनों तक माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की उपासना का पर्व है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह आत्म-शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का समय होता है, जब व्यक्ति ध्यान,पूजा, भजन और सत्संग के माध्यम से अपनी आत्मा को जागृत करता है।इन नौ दिनों में किए गए मंत्र जाप, हवन और ध्यान से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक प्रवृत्ति दूर होती है। शक्ति की देवी के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने से मन में साहस, आत्मविश्वास और धैर्य की वृद्धि होती है।

नवरात्र का वैज्ञानिक आधार
नवरात्र मुख्य रूप से सौर चक्र और मौसम परिवर्तन से जुड़ा है। यह समय ग्रीष्म से शरद (चैत्र नवरात्र) और वर्षा से शरद (शारदीय नवरात्र) के संक्रमण काल का होता है। इस समय शरीर की प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) कमजोर होती है, इसलिए उपवास रखने से शरीर को डिटॉक्स करने और पाचन तंत्र को सुधारने का अवसर मिलता है।

मंत्र उच्चारण और यज्ञ-हवन से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे पर्यावरण शुद्ध होता है और वायु में रोगाणुओं का नाश होता है।

नवरात्र और स्वास्थ्य
नवरात्रि के दौरान उपवास रखने से शरीर को एक नेचुरल डिटॉक्स मिलता है, जिससे पाचन तंत्र ठीक रहता है और हानिकारक टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं।इस दौरान सात्त्विक आहार (फल, दूध, साबूदाना, सिंघाड़ा आटा, कुट्टू आटा आदि) खाए जाते हैं, जो शरीर को हल्का और ऊर्जावान बनाए रखते हैं और शरीर की चयापचय को सुधारता है, जिससे वजन भी संतुलित रहता है और हृदय रोगों का खतरा कम होता है। नवरात्र में किए जाने वाले गरबा, डांडिया और दूसरे भक्ति नृत्य एक प्रकार का व्यायाम है, जो हृदय स्वास्थ्य और फिटनेस को बढ़ाता है।

नवरात्र और मनोविज्ञान
नवरात्र आत्म-अनुशासन और मानसिक शांति प्राप्त करने का समय है। ध्यान, प्रार्थना और व्रत मन को स्थिरता प्रदान करते हैं। इस दौरान भजन-कीर्तन, मंत्र जाप और धार्मिक गतिविधियों से डोपामाइन और सेरोटोनिन जैसे हार्मोन सक्रिय होते हैं, जो तनाव और अवसाद को कम करते हैं। परिवार और समाज के साथ मिलकर त्योहार मनाने से सामूहिक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे व्यक्ति के भीतर आत्मीयता और सकारात्मकता बढ़ती है। नवरात्र आत्म-निरीक्षण और आत्म-शुद्धि का अवसर प्रदान करते हैं जिससे व्यक्ति अपने विचारों और भावनाओं पर नियंत्रण पा सकता है।

नवरात्र का सामाजिक महत्व
नवरात्र सामाजिक एकता और सामूहिकता का उत्सव है जो सभी वर्गों और समुदायों को जोड़ता है। इसमें भजन-कीर्तन, गरबा, डांडिया और दुर्गा पूजा जैसे सामूहिक आयोजनों के माध्यम से लोग एक-दूसरे के करीब आते हैं।

नवरात्र में माँ दुर्गा की उपासना की जाती है, जो नारी शक्ति का प्रतीक हैं। इस अवसर पर कन्या पूजन और महिलाओं के सम्मान से समाज में महिलाओं के प्रति आदर और जागरूकता बढ़ती है।इस तरह नवरात्र  समाज में प्रेम, सौहार्द और सहयोग की भावना को बढ़ाता है। सामूहिक पूजा और भक्ति संगीत से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

 

धार्मिक सहिष्णुता:

भारत में विभिन्न समुदायों और संस्कृतियों के लोग नवरात्रि को अपने-अपने रीति-रिवाजों के अनुसार मनाते हैं, जिससे धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक विविधता को बल मिलता है। इससे धार्मिक एकता एवं सामाजिक एकता का भी विकास होता है।

राष्ट्रीय महत्व
 भारत एक संस्कृति प्रधान देश है जहां संस्कृत वैविध्य से संस्कृति और पर्यटन को बढ़ावा मिलता है। नवरात्र के दौरान देशभर में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें गुजरात का गरबा-डांडिया, बंगाल की दुर्गा पूजा, हिमाचल और उत्तराखंड की रामलीला आदि शामिल हैं। यह आयोजन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन को आकर्षित करते हैं।

नवरात्र से आर्थिक विकास:

 इस अवसर पर कपड़ा, आभूषण, फूड इंडस्ट्री, मूर्ति निर्माण, संगीत और पर्यटन से जुड़े व्यापार में भारी वृद्धि होती है। यह छोटे और बड़े व्यापारियों दोनों के लिए आर्थिक लाभ लेकर आता है।

राष्ट्रीय एकता का प्रतीक:

नवरात्र देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग रूपों में मनाई जाती है, लेकिन इसकी मूल भावना एक ही होती है—बुराई पर अच्छाई की जीत। यह पर्व सभी राज्यों को एक सांस्कृतिक सूत्र में पिरोता है। युवाओं में जोश और ऊर्जा भरता है। नवरात्रि के दौरान कई स्थानों पर भंडारे, अन्नदान, वस्त्रदान और जरूरतमंदों की सेवा की जाती है, जिससे समाज में दान और सेवा की भावना को बल मिलता है।

नवरात्रि केवल धार्मिक या आध्यात्मिक पर्व ही नहीं बल्कि यह समाज और राष्ट्र के उत्थान का भी एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह सामाजिक समरसता, आर्थिक उन्नति, सांस्कृतिक संरक्षण और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाता है।

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