भारत विज्ञान के लिए सर्वाधिक जीवंत स्थान: वैज्ञानिकों ने प्रधानमंत्री के ‘एक्स’ अकाउंट पर कहा

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प्रधानमंत्री-नरेंद्र-मोदी

नयी दिल्ली, आठ मार्च (भाषा) महिला दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सोशल मीडिया अकाउंट को संभालने वाली वैज्ञानिक एलिना मिश्रा और शिल्पी सोनी ने कहा कि भारत विज्ञान के लिए सबसे जीवंत स्थान है और अधिक महिलाओं को इस क्षेत्र में आगे आना चाहिए।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धियां हासिल करने वाली महिलाओं को सौंप दिए। परमाणु वैज्ञानिक मिश्रा और अंतरिक्ष वैज्ञानिक सोनी ने ‘एक्स’ अकाउंट से एक विशेष संदेश भेजा।

पोस्ट में कहा गया है, ‘‘अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, परमाणु प्रौद्योगिकी और महिला सशक्तीकरण… हम एलिना मिश्रा, एक परमाणु वैज्ञानिक और शिल्पी सोनी, एक अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं और हम महिला दिवस पर प्रधानमंत्री के सोशल मीडिया अकाउंट को संभालने के लिए रोमांचित हैं। हमारा संदेश है- भारत विज्ञान के लिए सबसे जीवंत स्थान है, हम अधिक महिलाओं से इस क्षेत्र में आगे आने का आह्वान करते हैं।’’

दोनों वैज्ञानिकों ने अपने-अपने क्षेत्रों में बढ़ते अवसरों पर प्रकाश डाला और कहा कि परमाणु और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत की प्रगति महिलाओं के लिए नए अवसर पैदा कर रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह कल्पना से परे था कि परमाणु प्रौद्योगिकी जैसा क्षेत्र भारत में महिलाओं के लिए इतने अवसर प्रदान करेगा। इसी तरह, अंतरिक्ष की दुनिया में महिलाओं और निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी भारत को नवाचार और विकास के लिए सबसे अधिक आकर्षक स्थान बनाती है! भारतीय महिलाओं में निश्चित रूप से प्रतिभा है और भारत के पास निश्चित रूप से सही मंच है!’’

भुवनेश्वर की रहने वाली एलिना मिश्रा की विज्ञान में रुचि अपने पिता से विकसित हुई और उन्हें भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र , मुंबई में काम करने के लिए चुना गया।

मध्य प्रदेश के सागर की शिल्पी सोनी ने 24 साल तक इसरो के साथ काम किया है और 35 से अधिक संचार और नेविगेशन मिशन में योगदान दिया है। उन्होंने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में नवाचार और आत्मनिर्भरता के महत्व पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘इसरो ने अत्यधिक जटिल और सुरक्षित ‘स्पेस ट्रैवलिंग वेव ट्यूब’ तकनीक को सफलतापूर्वक स्वदेशी बना दिया है, जो वैश्विक स्तर पर केवल कुछ ही देशों के पास उपलब्ध है। यह अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में भारत की एक बड़ी छलांग है।’’

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