कर्नाटक के विकास मॉडल का अध्ययन दुनिया भर के अर्थशास्त्री, विश्वविद्यालय कर रहे हैं: थावरचंद गहलोत

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बेंगलुरु, तीन मार्च (भाषा) कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने सोमवार को कहा कि कर्नाटक सरकार विकास का एक अनूठा मॉडल विकसित कर रही है, जिसका अध्ययन दुनिया भर के अर्थशास्त्री और विश्वविद्यालय कर रहे हैं।

गहलोत ने यहां ‘विधान सौध’ में राज्य विधानमंडल के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए इस बात पर जोर दिया कि विकास का कर्नाटक मॉडल आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक शासन के लिहाज से जन-केंद्रित दृष्टिकोण पर आधारित है।

राज्यपाल के पारंपरिक अभिभाषण के माध्यम से सरकार ने अपनी कल्याणकारी योजनाओं, राज्य की वित्तीय स्थिति का बचाव करने का प्रयास किया तथा यह भी कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था की कोई गंभीर समस्या नहीं है। लेकिन ये वही मुद्दे हैं जिन पर विपक्ष सरकार की आलोचना करता रहा है।

विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्यपाल के अभिभाषण की आलोचना करते हुए इसे ‘सरासर झूठ’ बताया।

उसने कहा कि कर्नाटक में विकास ‘ठप’ हो गया है, लेकिन सरकार द्वारा तैयार किए गए अभिभाषण में कहा गया है कि राज्य प्रगति के पथ पर अग्रसर है।

राज्यपाल ने कहा, ‘‘…सरकार विकास में कर्नाटक का एक अनूठा मॉडल तैयार कर रही है। विकास के कर्नाटक मॉडल का मतलब है जन-केंद्रित आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक शासन बनाना। इसमें हरित ऊर्जा, महिला सशक्तीकरण आदि भी शामिल हैं।’’

राज्यपाल ने कहा कि कर्नाटक मॉडल का विश्व के विशेषज्ञ गहन अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने बताया, ‘‘ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने अपने ‘ह्यूमन राइट्स हब’ ब्लॉग में इस मॉडल को ‘अंधेरे में प्रकाश की किरण’ और ‘दुनिया के लिए एक खाका’ बताया है। संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख ने इस मॉडल के बारे में जानने के लिए व्यक्तिगत रूप से राज्य का दौरा किया और हमारे कार्यक्रमों की खुलकर प्रशंसा की।’’

सरकार की गारंटी योजनाओं का बचाव करते हुए गहलोत ने इन चिंताओं को दूर करने की चेष्टा की कि सरकार के इन महत्वाकांक्षी कल्याण कार्यक्रमों के कारण राज्य विकास में पिछड़ जाएगा और इसकी वित्तीय सेहत खराब हो जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने इन पूर्वानुमानों को झूठा साबित कर दिया है।’’

विभिन्न क्षेत्रों में राज्य की उपलब्धियों को सूचीबद्ध करते हुए राज्यपाल ने कहा कि कर्नाटक की आय बढ़ रही है तथा राज्य में निजी पूंजी रिकॉर्ड संख्या में आ रही है।

उन्होंने कहा कि कल्याणकारी कार्यक्रमों के कुशल क्रियान्वयन के कारण असमानता घट रही है। राज्यपाल ने कहा, ‘‘राज्य प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में दूसरे स्थान पर है। जीएसटी (माल एवं सेवा कर) की वृद्धि दर अच्छी है।’’

उन्होंने यह भी बताया कि सरकार के कल्याणकारी कार्यक्रमों के कारण राज्य में किसान परिवारों में आत्महत्या के मामलों में उल्लेखनीय कमी आई है।

राज्यपाल ने कहा कि बाबासाहेब आंबेडकर के माध्यम से हमारे पुरखों ने इस देश को एक बहुत ही मानवीय संविधान दिया है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि समाज ‘सामाजिक डार्विनवाद’ (समाज में सबसे योग्य का अस्तित्व में बने रहना) की ओर न जाए। संविधान असमानता को कम करने तथा लोगों के बीच आय के उचित वितरण को अनिवार्य बनाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस संबंध में गारंटी योजनाएं लागू की गई हैं। इसके लिए सालाना 52,000 करोड़ रुपये से अधिक के संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। मेरी सरकार के सत्ता में आने के बाद से पांच गारंटी योजनाओं के लिए 70,000 करोड़ रुपये सीधे लोगों के बैंक खातों में डाले गए हैं।’’

गहलोत ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कल्याणकारी कार्यक्रमों पर सालाना 90,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जा रहे हैं, जिससे विभिन्न विभागों द्वारा प्रत्यक्ष नकद अंतरण योजनाओं, सब्सिडी और प्रोत्साहनों के माध्यम से 1.25 करोड़ से अधिक परिवारों को लाभ मिल रहा है।

राज्यपाल ने अपने अभिभाषण में इस बात पर जोर दिया कि कर्नाटक को एक हजार अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए व्यापक और प्रभावी प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, स्वच्छता और टिकाऊ कृषि पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा राज्य का वित्तीय प्रबंधन अच्छी तरह से किया गया है, वित्त वर्ष 2024-25 में आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तीन तिमाहियों में राज्य का राजस्व संग्रह 1,81,908 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष की तुलना में दिसंबर के अंत तक राज्य की राजस्व प्राप्तियों में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘राज्यों द्वारा संग्रहित कुल जीएसटी कर के मामले में कर्नाटक देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है और इस साल दिसंबर के अंत तक राज्य का जीएसटी संग्रह साल-दर-साल 12 प्रतिशत बढ़ा है।’’

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