अमरावती, 22 मार्च (भाषा) आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष वाई एस शर्मिला ने शनिवार को दावा किया कि जनसंख्या के आधार पर परिसीमन से दक्षिणी राज्य ‘‘महत्वहीन’’ हो जाएंगे और इससे ‘‘अपूरणीय क्षति’’ होगी।
शर्मिला ने संकल्प लिया कि ऐसी संभावना को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। शर्मिला ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह की कवायद से ‘‘दक्षिण भारत की कीमत पर भारतीय राजनीति में उत्तर भारत का प्रभुत्व मजबूत होगा।’’
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि दक्षिणी राज्यों का परिसीमन का विरोध “राजनीति से जुड़ा नहीं है, बल्कि लोगों के अधिकारों की लड़ाई है।”
शर्मिला ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘‘अगर संसद की सीट जनसंख्या के आधार पर विभाजित की जाती हैं, तो दक्षिण को अपूरणीय क्षति होगी। उत्तर भारत का वर्चस्व और बढ़ेगा, जबकि दक्षिणी राज्य महत्वहीन हो जाएंगे।’’
कांग्रेस नेता शर्मिला ने कहा कि ऐसी स्थिति नहीं आनी चाहिए कि दक्षिणी राज्य राजस्व में अधिक योगदान दें जबकि उत्तरी राज्य फैसले लें। शर्मिला ने कहा, ‘‘हम परिसीमन की आड़ में दक्षिण को सीमित करना बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम जनसंख्या के आधार पर पुनर्वितरण को पूरी तरह से खारिज करते हैं।’’
आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यदि केंद्र के मौजूदा प्रस्ताव के तहत अकेले उत्तर प्रदेश के लिए संसद की सीट में 143 की वृद्धि होती है, तो तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लिए कुल वृद्धि केवल 144 होगी।
उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या यह भेदभाव नहीं है? अगर उत्तर प्रदेश और बिहार की सीट की संख्या में कुल 222 की बढ़ोतरी होती है, जबकि पूरा दक्षिण सिर्फ 192 सीट तक सीमित रहता है, तो क्या यह दक्षिण भारत के साथ अन्याय नहीं है?’’ परिसीमन के खिलाफ दक्षिणी राज्यों के अभियान को पूर्ण समर्थन देने की घोषणा करते हुए शर्मिला ने दावा किया कि केवल एकजुट लड़ाई ही “तानाशाह मोदी को एक सबक सिखा सकती है।”
शर्मिला के अनुसार, ‘‘राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सहयोगी एवं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू और उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण की परिसीमन पर चुप्पी लोगों के साथ विश्वासघात है।’’
उन्होंने साथ ही वाईएसआरसीपी (युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी) प्रमुख वाई एस जगन मोहन रेड्डी के रुख की आलोचना करते हुए कहा कि यह मोदी के साथ उनके गठबंधन को दर्शाता है।
शर्मिला ने सभी राजनीतिक दलों से मतभेदों को दूर करने का आग्रह करते हुए तेदेपा, जनसेना और वाईएसआरसीपी से परिसीमन का विरोध करने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया।