यूपी की अर्थव्यवस्था में भी आई चमक, देश मे योगी-मोदी ब्रांड हुआ मजबूत

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भगवान भोलेनाथ की आराधना के पर्व महाशिवरात्रि पर अंतिम शाही स्नान के साथ ही करीब डेढ़ महीने तक चले महाकुंभ का भी समापन हो गया। करीब 144 साल बाद प्रयागराज के संगम तट पर आयोजित महाकुंभ से इस बार हिंदू एकता एवं सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का “अमृत” निकला है। पौराणिक काल में देवताओं के अमरत्व की तर्ज पर ही इस महाकुंभ से निकला “अमृत” हिंदू एकता के साथ-साथ राजनीतिक दृष्टि से भाजपा एवं अन्य हिंदूवादी दलों को मजबूत करेगा। वहीं, कथित बदहाल व्यवस्थाओं के नाम पर सनातन संस्कृति एवं सरकार को कोसने वाले राजनीतिक दलों के हिस्से में जनमानस की उपेक्षा का “गरल” चुनावी राजनीति में उनके प्रदर्शन को प्रभावित करेगा। इस अमृत से हिंदू एवं सनातनी एकता मजबूत हुई है। इसके साथ ही यूपी की अर्थव्यवस्था में चमक आई है और देश की जीडीपी में महाकुंभ का योगदान भी इन दिनों चर्चा में है। यही, नहीं महाकुंभ के एक निहितार्थ के रूप में देश और दुनिया में योगी और मोदी का ब्रांड और मजबूत हुआ है।

              प्रयागराज के संगम तट पर महाकुंभ यह आयोजन आर्थिक गतिविधियों का समागम भी साबित हुआ है। आर्थिक मामलों के  जानकारों का मानना है कि 45 दिनों तक चलने वाला महाकुंभ मेला देश की जीडीपी में एक प्रतिशत तक की वृद्धि कर सकता है। उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार महाकुंभ में आए करीब 66 करोड़ लोग पांच हजार रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से खर्च करें, तो इससे तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक का आर्थिक प्रभाव होगा। महाकुंभ के आर्थिक योगदान के अतीत पर गौर करें तो,वर्ष 2019 के कुंभ ने 1.2 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त जीडीपी का सृजन किया था। इस मेले में 24 करोड़ लोगों ने भाग लिया था, जो 2013 के मेला से दोगुना था। महाकुंभ के आयोजन के सरकारी जमा खर्च का विवेचन करें तो सरकार द्वारा इस मेले में 7,500 करोड़ रुपये खर्च किया गया है। इसमें राज्य सरकार का हिस्सा 5,400 करोड़ और केंद्र सरकार का हिस्सा 2,100 करोड़ रुपये का है।

         महाकुंभ का यह आयोजन राष्ट्र के सांस्कृतिक पुनर्जागरण के लिए भी याद किया जाएगा। 21वीं सदी में जहां देश में जाति और धर्म की राजनीति में बढ़ोतरी हुई, वहीं वोट बैंक की खातिर ही रही सही कसर कथित रूप से सेक्युलर कहे जाने वाले राजनीतिक दलों ने पूरी कर दी। इस कवायद का नतीजा यह हुआ कि लोकसभा चुनाव के पूर्व देश में जातिवाद के आधार पर मतदान करने की ख्वाहिश के चलते कई दल जुटे रहे और जाति के आधार पर गणना करने का मुद्दा सबसे ज्यादा चलन में रहा। इसके साथ ही भाजपा के उलट अन्य राजनीतिक दलों ने मुस्लिम तुष्टिकरण के नाम पर भी देश में जाति के साथ-साथ धर्म और मजहब का विमर्श भी सेट कर दिया। इसके चलते भी हिंदू एकता कमजोर हुई और हिंदू एकता के लिए प्राण वायु की आवश्यकता महसूस की जाने लगी। प्रयागराज में संगम तट पर जाति की यही कथित दीवारें टूटती दिखाई पड़ी, जहां पवित्र त्रिवेणी में लोगों ने अपनी जाति को बिसरा कर आस्था की डुबकी लगाई।

 

            महाकुंभ के इस आयोजन से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज सहित समूचे अवध तथा आसपास के इलाके में धार्मिक पर्यटन की गतिविधियों में तेजी आई। हालात ऐसे रहे कि प्रयागराज में संगम में डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालु पास के अयोध्या पहुंचे और रामलाल के दरबार में माथा टेका। वहीं, अयोध्या के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालु काशी में बाबा विश्वनाथ के दरबार में पहुंचे और अपनी हाजरी दर्ज कराई। इस धार्मिक यात्रा में श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र चित्रकूट धाम भी रहा। यही नहीं, देश के दूरस्थ इलाकों गुजरात, महाराष्ट्र,मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं कर्नाटक समेत अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों के श्रद्धालु श्री कृष्णा तीरथ मथुरा एवं वृंदावन भी पहुंचे और पूण्य लाभ अर्जित किया।  इस आयोजन में उत्तर प्रदेश में प्रयागराज, अयोध्या, काशी एवं चित्रकूट के साथमथुरा-वृंदावन के रूप में पंच तीर्थ का उदय हुआ, जो वर्तमान के साथ-साथ आने वाले समय में भी सनातन के “परचम” का बाहक बनेंगे।

            महाकुंभ का आयोजन जनसंख्या के लिहाज से भी विश्व का सबसे बड़ा जनसमाग बन गया है। बीते करीब डेढ़ महीने में प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में करीब 66 करोड़ लोगों ने डुबकी लगाई है। यह संख्या विश्व के करीब 190 देशों की कुल आबादी से अधिक है। इसके साथ ही महाकुंभ में नेपाल, भूटान, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, ब्रिटेन, अमेरिका, इटली और जापान जैसे देशों के नागरिक एवं राजनायिकों ने पर्व स्नान किया है। अगर भारत के जनसंख्या के आंकड़ों के हिसाब से महाकुंभ पर नजर डालें तो वर्तमान में देश की करीब 144 करोड़ जनसंख्या में से 116 करोड़ की आबादी हिंदू सनातन की है। इस लिहाज से लोगों का मानना है कि करीब 60 फ़ीसदी हिंदू आबादी कुंभ में डुबकी लगा चुकी है। इसका अर्थ यह हुआ कि हर दो में से एक हिंदू सनातनी कुंभ नगरी पहुंचा और पर्व स्नान किया। महाकुंभ के पौराणिक इतिहास एवं महत्व तथा लोगों की सहभागिता के चलते यूनेस्को पूर्व में ही महाकुंभ को विश्व विरासत का दर्जा दे चुका है।

           महाकुंभ के समापन के मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सफाई कर्मियों का सम्मान किया। यही नहीं, योगी द्वारा सफाई कर्मियों के लिए बोनस का भी ऐलान करके उनका आर्थिक दृष्टि से संबल प्रदान करने का काम भी है। करीब डेढ़ महीने तक श्रद्धालुओं के लिए बेहतर साफ-सफाई का जिम्मा उठाने वाले कर्मयोगियो के सम्मान के साथ-साथ योगी आदित्यनाथ ने उनके साथ एक ही जाजम पर बैठकर भोजन भी किया। महाकुंभ से आई सफाई कर्मियों का सम्मान और उनके साथ भोजन करने की तस्वीर सामाजिक समरसता  तथा अगड़ी, पिछड़ी ओर दलित जातियों के भेदभाव को मिटाने का एक जीवंत दस्तावेज है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की इस कवायद से विभिन्न जाति समूहों से ताल्लुक रखने वाले सरकारी कार्मिक के रूप में महाकुंभ की व्यवस्थाओं को संभालना भी एक अनुकरणीय एकता की मिसाल बनी है। प्रदेश के मुखिया का समाज के अंतिम छोर पर रहने वाले सफाई कर्मियों के साथ सेवा और सम्मान हिंदू एकता को संजीवनी देता दिखाई पड़ रहा है।

             महाकुंभ के आयोजन के रूप में यह संस्कृतिक पुनर्जागरण एवं राष्ट्रवाद के प्रति आवाम की अगाध श्रद्धा ही कही जाएगी कि महाकुंभ में पवित्र डुबकी के साथ-साथ श्रद्धालु महाकुंभ का पवित्र जल और वहां की मिट्टी लेकर अपने घर पहुंचे। लोगों का सनातन के प्रति आकर्षण और श्रद्धा का यह कृत्य उस समय और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जब महाकुंभ के आयोजन के साए में कांग्रेस एवं सपा सहित अन्य विपक्षी दलों द्वारा संगम के जल में गंदगी और नहाने योग्य नहीं होने का दुष्प्रचार चलता रहा। संगम का पवित्र जल कई वर्षों तक हिंदू सनातनियों के मंदिरों में पूजित रहेगा, वहीं संगम की मिट्टी भी तुलसी के पौधों के साथ-साथ घर के मुख्य द्वार और मंदिरों में स्थापित रहेगी। संगम का पवित्र जल और संगम की मिट्टी कई देशों तक लोगों को हिंदू धर्म के प्रति एक गर्व की अनुभूति करने के साथ-साथ सनातन के प्रति कुछ लोगों के दुष्प्रचार के प्रति भी उन्हें सावधान रखेगी। इस प्रकार यह कहना मुनासिब होगा कि महाकुंभ से हिंदू संस्कृति का पुनर्जागरण होने के साथ-साथ राष्ट्रवाद का “अमृत” निकला है, जो आने वाली कई सदियों तक हिंदू समाज को एकजुट रखेगा।

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