सुमन ने तो बस इतिहास का एक पन्ना पलटा है : अखिलेश यादव

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लखनऊ, 23 मार्च (भाषा) समाजवादी पार्टी (सपा) के राज्यसभा सदस्य रामजीलाल सुमन के सदन में गद्दार वाली टिप्पणी पर पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने उनका बचाव करते हुए रविवार को कहा कि भाजपा के लोग इतिहास के पन्ने पलट कर औरंगजेब की बहस छेड़ना चाहते हैं, तो सुमन ने भी तो तारीख का एक पन्ना ही पलटा है।

सुमन ने 21 मार्च को राज्यसभा में राणा सांगा को ‘गद्दार’ करार देते हुए कहा था कि हिंदू लोग सांगा की औलाद हैं। उनके इस बयान को लेकर खासा विवाद खड़ा हो गया है।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने समाजवाद के प्रणेता डॉ राम मनोहर लोहिया की जयंती के अवसर पर रविवार को यहां उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में सुमन की विवादित टिप्पणी के बारे में पूछे गए सवाल पर कहा, “इतिहास के पन्ने सभी लोग पलट रहे हैं। भाजपा वालों से पूछिए कि वे इतिहास का कौन सा पन्ना पलट रहे हैं? वह किस बात पर बहस कर रहे हैं? वे औरंगजेब पर बहस छेड़ना चाहते हैं।”

उन्होंने कहा, “अगर रामजीलाल सुमन जी ने इतिहास का कोई पन्ना पलट दिया है, जिस पन्ने पर अगर इस तरह के भाव लिखे होंगे। आज से 200 साल पहले हमने तो इतिहास नहीं लिखा।”

गौरतलब है कि सपा के राज्यसभा सदस्य रामजीलाल सुमन ने हाल ही में सदन को संबोधित करते हुए कहा था, “हिंदुस्तान का मुसलमान तो बाबर को अपना आदर्श नहीं मानता है। वो मोहम्मद साहब को अपना आदर्श मानता है। सूफी संतों की परंपरा को अपना आदर्श मानता है। लेकिन, मैं जानना चाहूंगा कि बाबर को कौन लाया था? बाबर को इब्राहिम लोदी को हराने के लिए राणा सांगा लाया था। तो अगर मुसलमान बाबर की औलाद है, तो तुम (हिंदू समाज) गद्दार राणा सांगा की औलाद हो। हम बाबर की तो आलोचना करते हैं। राणा सांगा की नहीं करते हैं।”

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, “भाजपा से समाजवादी पार्टी का निवेदन है कि इतिहास के पन्ने ना पलटे, क्योंकि अगर ऐसा होगा तो लोग यह भी याद करेंगे कि छत्रपति शिवाजी का जब तिलक होना था तो किसी ने हाथ से उनका तिलक नहीं किया था। सुनने में आ रहा है कि बायें पैर के अंगूठे से उनका तिलक किया गया था तो क्या भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस बात की आज निंदा करेगी?”

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “गैलीलियो ने कहा था की धरती घूम रही है और किसी का चक्कर लगा रही है। उस वक्त उसे सजा दे दी गई थी, जिससे उसकी मौत हो गई थी। उसके 400 साल बाद इटली के उस चर्च ने इस बात को लेकर माफी मांगी थी। अगर भाजपा छत्रपति शिवाजी महाराज को मानती है तो जिस तरह चर्च ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए माफी मांगी थी, क्या छत्रपति शिवाजी महाराज का बाएं पैर के अंगूठे से तिलक किये जाने के लिए वह माफी मांगेगी?”

 

 

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