राज्य निवेश अनुकूलता सूचकांक दो महीने में आने की उम्मीद: अरविंद विरमानी

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नयी दिल्ली, दो मार्च (भाषा) नीति आयोग के सदस्य डॉ. अरविंद विरमानी ने कहा है कि राज्यों के निवेश अनुकूलता सूचकांक के दूसरे चरण पर काम जारी है और इसके एक-दो महीने में जारी होने की उम्मीद है।

वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में प्रतिस्पर्धी सहकारी संघवाद की भावना को आगे बढ़ाने के लिए 2025 में ‘राज्यों का निवेश अनुकूलता सूचकांक’ (इन्वेस्टमेंट फ्रेंडलिनेस इंडेक्स ऑफ स्टेट्स) लाने की घोषणा की गई है। यह सूचकांक राज्यों को नियमों की समीक्षा के लिए प्रेरित करेगा, ताकि यह पता लगाया जा सके कि निवेश को क्या बाधित कर रहा है। इस पहल का उद्देश्य निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है।

वित्त मंत्रालय, नीति आयोग और उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के परामर्श से ‘राज्यों के निवेश अनुकूलता सूचकांक’ से संबंधित मानदंडों पर काम कर रहा है।

विरमानी ने पीटीआई-भाषा से विशेष बातचीत में कहा, ‘‘ सूचकांक तैयार करने का पहला चरण पूरा हो गया है। दूसरे चरण पर काम जारी है। इसमें उद्योग से सुझाव लिये जा रहे हैं। सूचकांक में उद्योग की राय महत्वपूर्ण है क्योंकि निवेश उन्हीं को करना है। सुझाव के आधार पर उसमें जरूरी सुधार किये जाएंगे।’’

यह पूछे जाने पर कि सूचकांक कब तक जारी होने की उम्मीद है, उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बारे में कोई निश्चित तिथि नहीं बता सकता। लेकिन एक-दो महीने में सूचकांक जारी होने की उम्मीद है।’’

विरमानी ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने हमें निर्देश दिया था कि सभी राज्यों को एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) और निजी निवेश का लाभ मिलना चाहिए। इससे कुल मिलाकर सभी राज्यों को लाभ होगा और निवेश तथा विनिर्माण बढ़ेगा। कुल मिलाकर राज्यों की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। इसमें जो उनकी मजबूती है, वे बता सकेंगे और जो कमियां हैं, उसे ठीक करने पर काम किया जाएगा।’’

इससे पहले, व्यय सचिव मनोज गोविल ने पीटीआई-भाषा से कहा था कि केंद्र के स्तर पर कई नियमन और सुधार किए गए हैं लेकिन कुछ निवेशकों को लगता है कि राज्य के स्तर पर भी इसी तरह के सुधारों की आवश्यकता है।

गोविल ने कहा, ‘‘इस सूचकांक के पीछे मुख्य विचार राज्यों का दर्जा तय करना और यह बताना नहीं है कि कौन अच्छा है या बुरा। इसका उद्देश्य राज्यों को अपने स्वयं के नियमों, विनियमों और प्रक्रियाओं पर गौर करने के लिए प्रेरित करना है। उन्हें यह पता लगाने में मदद करना है कि कौन से नियम निवेशकों को व्यावहारिक या कठिन लगते हैं…।’’

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