हैदराबाद, 16 मार्च (भाषा) केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने रविवार को आरोप लगाया कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन की यह आलोचना पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है कि मोदी सरकार दक्षिण भारत के साथ अन्याय कर रही है।
रेड्डी ने संसदीय क्षेत्रों के प्रस्तावित परिसीमन के मुद्दे पर स्टालिन की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक को भी राजनीति से प्रेरित बताया।
रेड्डी ने यहां संवाददाताओं से कहा कि तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव से पहले द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) अपने शासन और स्टालिन परिवार के कथित भ्रष्टाचार एवं तानाशाही रवैये के प्रति लोगों के विरोध से बचने के लिए “पुराने नाटक को नया रूप दे रही है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार, भारी कर, बिजली की दरों में वृद्धि और तमिलनाडु में सभी चुनावी वादों को लागू करने में असमर्थता के मद्देनजर द्रमुक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, हिंदी और परिसीमन के मुद्दे को गलत रूप में पेश कर लोगों को भड़काने की कोशिश कर रही है।
रेड्डी ने कहा कि द्रमुक शराब आपूर्ति के मामले में अपने नेताओं पर लगे हाल के आरोपों से भी ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही है।
उन्होंने दावा किया कि 1986 में जब केंद्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने शिक्षा नीति पेश की थी, तब द्रमुक ने इसका विरोध नहीं किया था।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तेलंगाना इकाई के अध्यक्ष रेड्डी ने कहा कि कांग्रेस सरकार की ओर से अतीत में शिक्षा पर नियुक्त कोठारी आयोग ने त्रि-भाषा फॉर्मूले को मजबूत किया था।
उन्होंने कहा कि तीन-भाषा प्रणाली ब्रिटिश काल में शुरू हुई थी और मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद किसी भी व्यक्ति या राज्य पर हिंदी थोपने का कोई मामला सामने नहीं आया है।
रेड्डी ने कहा कि मोदी सरकार देश में सभी क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने वाली पहली सरकार है और वह मातृभाषा में पढ़ाई पर जोर दे रही है।
उन्होंने कहा, “यह सब जानने के बावजूद कांग्रेस और द्रमुक चुनाव नजदीक आने पर दुर्भावनापूर्ण अभियान चलाना और कीचड़ उछालना शुरू कर देती हैं।”
केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की नयी शिक्षा नीति (एनईपी) देश में भाषाओं की विविधता को बढ़ावा देती है।
उन्होंने कहा कि स्टालिन की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक का कोई विरोध नहीं है, लेकिन गलत सूचना नहीं फैलाई जानी चाहिए।
स्टालिन, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की इस टिप्पणी का जिक्र करते हुए कि संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के बाद दक्षिण के हिस्से की लोकसभा सीटों में कमी आएगी, किशन रेड्डी ने कहा कि परिसीमन के लिए जनगणना कराना जरूरी है।
उन्होंने कहा, “जनगणना कब शुरू होगी, इस बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं है। केंद्र सरकार सभी वर्गों से विचार-विमर्श कर रही है।”