ईद से पहले बाजार में सलमान खान के ‘सिकंदर’ वाले कुर्ते-पायजामे की धूम

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नयी दिल्ली, 24 मार्च (भाषा) बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान की फिल्म ‘सिकंदर’ कुछ दिन बाद सिनेमाघरों में आएगी, लेकिन इस फिल्म के मशहूर गाने ‘जोहरा ज़बीं’ में उनका पहना गया काले रंग का कुर्ता-पायजामा ईद से पहले युवाओं के बीच खासी धूम मचा रहा है। मुस्लिम युवाओं में, गले से लेकर कंधों और पीछे के ऊपरी हिस्से पर चमकीले रंग की शानदार कढ़ाई वाला, इस तरह का कुर्ता पहनकर ईद मनाने की एक तरह से होड़ लगी हुई है।

इस बार ईद का त्योहार 31 मार्च या एक अप्रैल को पड़ सकता है। इसका फैसला चांद दिखाई देने पर होगा। सलमान खान की फिल्म ‘सिकंदर’ 30 मार्च को रिलीज़ हो रही है।

पुरानी दिल्ली के चितली कब्र इलाके में स्थित ‘एसएम कलेक्शन्स’ के फहीम ने बताया कि सलमान खान ने ‘सिकंदर’ में जो काले रंग का कुर्ता-पायजामा पहना है, वैसा ही कपड़ा हाल ही में बाजार में आया है और युवाओं ने इसे हाथों-हाथ लिया है।

उन्होंने बताया, कि इसकी कीमत सामान्य कुर्ते-पायजामे वाले कपड़ों से अधिक है। फहीम के मुताबिक, जहां सामान्य कढ़ाई वाले कुर्ते-पायजामे 1,000 से 1,500 रुपये में मिल जाते हैं, वहीं इस काले रंग के कपड़े की कीमत 2,800 रुपये तक है।

पुरानी दिल्ली के मटिया महल इलाके के अन्य दुकानदार मोहम्मद सलमान बताते हैं कि अभिनेता द्वारा पहने गए परिधान के अलावा, बाजार में पाकिस्तानी कढ़ाई वाले कुर्ते-पायजामे का कपड़ा भी अधिक बिक रहा है। उन्होंने बताया कि यह कपड़ा गुजरात के सूरत में ही बनता है, लेकिन अपनी कढ़ाई के कारण इसे ‘पाकिस्तानी’ नाम से जाना जाता है। इसकी कीमत 1,000-1,500 रुपये के बीच है और यह कई रंगों और डिजाइनों में उपलब्ध है।

भारतीय उपमहाद्वीप में कुर्ता-पजामा पहनने की परंपरा रही है। इस्लामी शिक्षाओं के अनुसार, ईद के दिन इत्र लगाना, साफ-सुथरे कपड़े पहनना और अच्छे से तैयार होना ‘सुन्नत’ (पैगंबर मुहम्मद की परंपरा) माना जाता है।

ईद पर विशेष नमाज़ के दौरान ज्यादातर मुस्लिम पुरुष कुर्ता-पायजामा पहनते हैं। यही वजह है कि बाजारों में इस पारंपरिक लिबास के विभिन्न डिजाइन और किस्में उपलब्ध हैं।

आम तौर पर लोग कपड़ा खरीदकर अपने नाप के अनुसार कुर्ता-पायजामा सिलवाना पसंद करते हैं, लेकिन मांग अधिक होने की वजह से अधिकतर दर्जियों ने नए ऑर्डर लेना बंद कर दिया है। इसलिए लोग अब सिले-सिलाए (रेडीमेड) कुर्ते-पायजामे भी खरीद रहे हैं।

जाफराबाद में टेलरिंग की दुकान चलाने वाले नवेद का कहना है कि समय कम होने की वजह से वह अब नए ऑर्डर नहीं ले रहे हैं। नवेद ने कहा, “हमें ईद से दो दिन पहले तक सभी ऑर्डर पूरे करने हैं, क्योंकि हमें और हमारे कारीगरों को भी ईद मनानी है।”

हालांकि, मौजपुर के विजय पार्क इलाके में टेलरिंग की दुकान चलाने वाले रईस अहमद अभी भी नए ऑर्डर ले रहे हैं। अहमद ने सात अतिरिक्त कारीगरों को काम पर लगाया है और वे 14 से 16 घंटे काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक कुर्ता-पायजामा सिलने में करीब तीन घंटे का वक्त लगता है।

जाफराबाद में ‘रेडीमेड’ कुर्ते-पायजामे का ऑनलाइन और ऑफलाइन कारोबार करने वाले अलतमश ने कहा कि उन्हें रोज़ाना 120 से अधिक ऑनलाइन ऑर्डर मिल रहे हैं, जबकि ऑफलाइन बिक्री 60-65 कुर्ते-पायजामों की हो रही है।

उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा मांग “पाकिस्तानी स्टाइल” के कुर्ते-पायजामे की है, जिसकी कीमत 1,500 रुपये से शुरू होती है। कढ़ाई वाले कुर्ते-पायजामों की कीमत 2,000-2,500 रुपये तक जाती है।

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