दलीप ट्रॉफी की पारंपरिक प्रारूप में वापसी

0
duleep-trophy

कोलकाता, 22 मार्च (भाषा) भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) की शीर्ष परिषद ने शनिवार को दलीप ट्रॉफी के लिए पारंपरिक अंतर-क्षेत्रीय प्रारूप को फिर से शुरू करने का फैसला किया जिसमें प्रथम श्रेणी स्तर के टूर्नामेंट में छह टीमों के बीच मुकाबला होगा।

 अजीत अगरकर की अगुवाई वाली राष्ट्रीय चयन समिति ने पिछले साल रणजी ट्रॉफी (38 टीम) में खिलाड़ियों के प्रदर्शन के आधार पर चार टीमों ए, बी, सी और डी का चयन किया था जिसने चैलेंजर ट्रॉफी प्रारूप में प्रतिस्पर्धा की थी।

अब चार टीमों के प्रारूप की जगह उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम, मध्य और उत्तर-पूर्व क्षेत्र दलीप ट्रॉफी खिताब के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगे।

दलीप ट्रॉफी अंतर-क्षेत्रीय प्रथम श्रेणी प्रतियोगिता के तौर पर 1961-62 से 2014-15 तक खेला गया था।

पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ ने 2015 में एनसीए के प्रमुख के रूप में पदभार संभाला, तो उन्होंने दलीप ट्रॉफी को चैलेंजर ट्रॉफी प्रारूप में आयोजित करने का सुझाव दिया, जहां राष्ट्रीय चयनकर्ता इंडिया ब्लू, रेड, ग्रीन टीमों का चयन करते थे। इस प्रारूप को 2019 सत्र तक जारी रखा गया था।  

कोविड महामारी के कारण दलीप ट्रॉफी 2020 और 2021 सत्र में आयोजित नहीं की गई। इससे पहले 2022 और 2023 में क्षेत्रीय मीट के तौर पर इस घरेलू प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था।

पिछले साल (2024) एक बार फिर से इसके प्रारूप में बदलाव किया गया और राष्ट्रीय चयनकर्ताओं ने टीमों का चयन किया था।

 समझा जाता है कि खिलाड़ियों के विशाल पूल पर नजर रखने और सभी राज्य टीमों के प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को खुद को साबित करने का ज्यादा मौका देने के लिए बोर्ड ने पारंपरिक प्रारूप में वापसी की है।

इसका मतलब है कि हर क्षेत्र की एक बार फिर अपनी चयन समिति होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सभी पांच क्षेत्र (उत्तर पूर्व को छोड़कर, जिसके पास कोई राष्ट्रीय चयनकर्ता नहीं है) के राष्ट्रीय चयनकर्ताओं को उनकी क्षेत्रीय चयन समितियों का स्थायी आमंत्रित सदस्य बनाया जाता है या नहीं।

भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज और राष्ट्रीय चयनकर्ता देवांग गांधी का मानना है कि क्षेत्रीय प्रारूप चयनकर्ताओं को व्यापक प्रतिभा पूल को देखने का बेहतर अवसर देता है।

उन्होंने कहा, ‘‘देखिए प्रत्येक रणजी ट्रॉफी दौर में 18 मैच आयोजित किए जाते हैं। पांच चयनकर्ताओं में से एक हमेशा भारतीय टीम की ड्यूटी पर होता है। इसलिए अन्य चार चयनकर्ता चार मैच में ही मौजूद रह सकते हैं। इसका मतलब यह है कि वे एक बार में केवल आठ राज्यों के खिलाड़ियों पर नजर रखी जा सकती है। सभी मैचों को देखना संभव नहीं है, इसलिए क्षेत्रीय प्रणाली इतनी बुरी नहीं है। दलीप ट्रॉफी के इस प्रारूप से राष्ट्रीय चयनकर्ताओं के का काम थोड़ा आसान हो जायेगा।’’

सफेद गेंद (सीमित ओवरों की राष्ट्रीय प्रतियोगिता) की स्पर्धाओं के लिए एलीट और प्लेट ग्रुप प्रणाली

 

राष्ट्रीय सफेद गेंद टूर्नामेंट भी एलीट और प्लेट प्रणाली में खेले जाएंग। इससे पहले सत्र में 38 पुरुष टीमें, 37 महिला टीमें (सेना को छोड़कर) और 36 आयु वर्ग की टीमें (रेलवे और सेना को छोड़कर) मिश्रित प्रारूप में प्रतिस्पर्धा करती थीं।

आगामी सत्र (2025-26) से, सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी और 2024-25 सत्र से विजय हजारे ट्रॉफी की छह सबसे निचली घरेलू टीमें प्लेट ग्रुप में प्रतिस्पर्धा करेंगी, जबकि अन्य टीमें एलीट ग्रुप में भाग लेंगी।

एलीट ग्रुप की सबसे निचली टीम को प्लेट में रखा जाएगा और प्लेट ग्रुप चैंपियन को एलीट ग्रुप में पदोन्नत किया जाएगा।

 

 सभी बीसीसीआई मान्यता प्राप्त स्कोररों के लिए एकरूपता

 

बीसीसीआई यह भी चाहता है कि सभी राज्य संघ घरेलू और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट के दौरान अपने स्कोररों को उनकी ड्यूटी के लिए प्रतिदिन 15,000 रुपये का पारिश्रमिक दें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *