प्रधानमंत्री मोदी ने आरएसएस मुख्यालय का दौरा किया, संघ को भारतीय संस्कृति का ‘वट वृक्ष’ बताया

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नागपुर, 30 मार्च (भाषा)प्रधानमंत्री पद पर आसीन होने के 11 साल बाद पहली बार नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) मुख्यालय पहुंचे नरेन्द्र मोदी ने रविवार को आरएसएस को भारत की अमर संस्कृति का ‘वट वृक्ष’ बताया।

मोदी नागपुर में आरएसएस मुख्यालय का दौरा करने वाले दूसरे प्रधानमंत्री हैं। आरएसएस के एक पदाधिकारी ने बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 2000 में अपने तीसरे कार्यकाल के दौरान यहां का दौरा किया था। यह मोदी का भी शीर्ष पद पर तीसरा कार्यकाल है।

प्रधानमंत्री मोदी नागपुर में अपने व्यस्त कार्यक्रम के बीच सुबह आरएसएस मुख्यालय में डॉ. हेडगेवार स्मृति मंदिर का दौरा किया और संघ के संस्थापकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। वह दीक्षाभूमि भी गए, जहां डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने 1956 में अपने हजारों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था।

मोदी ने माधव नेत्रालय प्रीमियम सेंटर की आधारशिला भी रखी, जो माधव नेत्रालय नेत्र संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र का एक नया विस्तार भवन है। इस भवन का नाम आरएसएस के दिवंगत पूर्व प्रमुख माधवराव गोलवलकर के नाम पर रखा गया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘माधव नेत्रालय प्रीमियम सेंटर’ की आधारशिला रखने के बाद कहा, ‘‘आरएसएस के स्वयंसेवक देश के विभिन्न क्षेत्रों एवं हिस्सों में नि:स्वार्थ भाव से काम कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आरएसएस भारत की अमर संस्कृति और आधुनिकीकरण का वट वृक्ष है, जिसके आदर्श और सिद्धांत राष्ट्रीय चेतना की रक्षा करना है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘यह विशाल वटवृक्ष कोई साधारण वटवृक्ष नहीं है। आरएसएस सेवा का पर्याय है।’’

मोदी ने कहा कि पिछले 100 वर्षों में आरएसएस के अपने संगठन के साथ की गई ‘तपस्या’ का फल मिल रहा है, क्योंकि देश 2047 में ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य के करीब पहुंच रहा है।

उन्होंने कहा कि 1925-47 का समय संकट का समय था, क्योंकि देश आजादी के लिए संघर्ष कर रहा था और अब 100 वर्षों के बाद आरएसएस एक और मील के पत्थर की ओर अग्रसर है।

मोदी ने कहा,‘‘2025 से 2047 तक का समय महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमारे सामने बड़े लक्ष्य हैं। हमें अगले 1,000 साल के मजबूत और विकसित भारत की आधारशिला रखनी है।’’

उन्होंने रेखांकित किया राष्ट्र इस वर्ष संविधान की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है और आरएसएस अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर रहा है।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि माधव नेत्रालय ने लोगों के कल्याण के लिए कई वर्षों तक कड़ी मेहनत की है। यह संघ की निस्वार्थ सेवा की विचारधारा से प्रेरित है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह अच्छा नहीं लगता कि लोग स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित हैं; इसलिए आरएसएस स्वयंसेवकों ने माधव नेत्रालय में जरूरतमंदों को दृष्टि प्रदान करने के लिए निस्वार्थ भाव से काम किया है।’’

भागवत ने कहा कि आरएसएस के स्वयंसेवक अपने लिए कुछ नहीं चाहते, बल्कि समाज में दूसरों के लिए काम करते हैं। उन्होंने कहा कि आरएसएस के लिए सेवा ही जीवन का ध्येय है।

मोदी ने सुबह रेशिमबाग क्षेत्र में स्थित डॉ. हेडगेवार स्मृति मंदिर का दौरा किया और आरएसएस के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार और दूसरे सरसंघचालक एम.एस. गोलवलकर को समर्पित स्मारकों पर श्रद्धांजलि अर्पित की।

प्रधानमंत्री ने वहां मौजूद आगंतुक पुस्तिका में लिखा कि ये स्मारक भारतीय संस्कृति, राष्ट्रवाद और संगठन के मूल्यों को समर्पित हैं। उन्होंने लिखा, ‘‘भारतीय संस्कृति, राष्ट्रवाद और संगठन शक्ति के मूल्यों को समर्पित यह स्थली हमें राष्ट्र की सेवा में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। संघ के दो मजबूत स्तंभों का यह स्मारक देश की सेवा में समर्पित लाखों स्वयंसेवकों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जिन्होंने राष्ट्र की सेवा के प्रति खुद को समर्पित किया है।

उन्होंने लिखा, ‘‘हमारे प्रयासों से मां भारती का गौरव सदा बढ़ता रहे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं परम पूजनीय डॉ. हेडगेवार और पूज्य गुरुजी की यादों को संजोए स्मृति मंदिर का दौरा करके अभिभूत हूं।’’

मोदी के स्मृति मंदिर दौरे के दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी मौजूद थे।

प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘नागपुर में स्मृति मंदिर जाना एक बहुत ही खास अनुभव है। आज की यात्रा को और भी खास बनाने वाली बात यह है कि यह वर्ष प्रतिपदा के दिन हुई है, जो परम पूज्य डॉक्टर साहब की जयंती भी है।’’

उन्होंने कहा,‘‘मेरे जैसे अनगिनत लोग परम पूज्य डॉक्टर साहब और पूज्य गुरुजी के विचारों से प्रेरणा और शक्ति प्राप्त करते हैं। इन दो महानुभावों को श्रद्धांजलि देना सम्मान की बात थी, जिन्होंने एक मजबूत, समृद्ध और सांस्कृतिक रूप से गौरवशाली भारत की कल्पना की थी।’’

मोदी ने दीक्षाभूमि की सामाजिक न्याय और दलितों को सशक्त बनाने के प्रतीक के रूप में सराहना करते हुए डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के सपनों के भारत को साकार करने के लिए और भी अधिक मेहनत करने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।

उन्होंने कहा कि ‘‘विकसित और समावेशी भारत’’ का निर्माण करना संविधान निर्माता डॉ. आंबेडकर को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

मोदी दीक्षाभूमि स्थित स्तूप के भीतर गए और वहां रखी आंबेडकर की अस्थियों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम स्थल पर आगंतुक डायरी में लिखा, ‘‘मैं अभिभूत हूं कि मुझे नागपुर में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के पंचतीर्थों में से एक दीक्षाभूमि पर आने का अवसर मिला। यहां के पवित्र वातावरण में कोई भी व्यक्ति सामाजिक समरसता, समानता और न्याय के बाबासाहेब के सिद्धांतों को महसूस कर सकता है।’’

उन्होंने कहा कि दीक्षाभूमि लोगों को गरीबों, वंचितों और जरूरतमंदों के लिए समान अधिकारों और न्याय की प्रणाली के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।

मोदी ने कहा, ‘‘मुझे पूरा विश्वास है कि इस अमृत कालखंड में हम बाबासाहेब आंबेडकर के मूल्यों और शिक्षाओं के साथ देश को प्रगति की नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। एक विकसित और समावेशी भारत का निर्माण ही बाबासाहेब को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।’’

प्रधानमंत्री ने पिछली बार 2017 में दीक्षाभूमि का दौरा किया था। मोदी ने नागपुर में ‘सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड’ की गोला-बारूद फैक्टरी का भी दौरा किया और ‘अनआर्म्ड एरियल व्हीकल ’(यूएवी) के लिए एक हवाई पट्टी और ‘लोइटरिंग म्यूनिशन’ के परीक्षण के लिए एक सुविधा का उद्घाटन किया।

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