उमंग से भरा एक नाजुक दौर है गर्भावस्था

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मां बनना हर महिला की जिंदगी का एक सपना होता है और गर्भावस्था एक ऐसा समय होता है जब एक नए मेहमान के आने की खुशी तो होती ही है, साथ ही एक डर भी होता है क्योंकि पहली बार गर्भधारण करते समय कई आशंकाएं भी होती हैं।
यह एक ऐसा नाजुक दौर होता है जब अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है क्योंकि इस समय गर्भवती महिला को अपने स्वास्थ्य के साथ-साथ उस नए मेहमान के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना होता है। इसलिए अपने खान-पान पर विशेष ध्यान दें और डॉक्टर से नियमित परामर्श लेती रहें।
गर्भावस्था के दौरान भोजन की मात्रा और स्तर दोनों में वृद्धि होती है, तभी मां और गर्भ में पल रहे शिशु को पर्याप्त आहार प्राप्त हो सकता है। इस अवस्था में पौष्टिक आहार का सेवन बहुत आवश्यक है। अगर आप अच्छी व पौष्टिक खुराक ले रही हैं तो गर्भस्थ शिशु को अपनी आवश्यकता के अनुसार खुराक मिलती रहेगी। गर्भावस्था में अपने व गर्भस्थ शिशु दोनों की उचित देखभाल के लिए निम्न बातों को ध्यान में रखेंः-
 गर्भधारण का पता चलते ही सबसे पहले अपनी डॉक्टर का चयन करें जिससे आप नियमित नौ महीने तक अपनी जांच करवाएंगी। अपनी डॉक्टर न बदलती रहें। अगर आपकी डॉक्टर के पास आपके बारे में पूर्ण जानकारी होगी तो प्रसव के दौरान अधिक समस्या नहीं आएगी।
 गर्भावस्था में तनावरहित रहने का प्रयत्न करें। खुश रहने का प्रयत्न करें। तनाव का आपके स्वास्थ्य पर तो बुरा प्रभाव पड़ेगा ही, साथ ही आपके गर्भ में पल रहे शिशु का स्वास्थ्य भी प्रभावित होगा।
 गर्भावस्था के दौरान अनेक शारीरिक परिवर्तन होते हैं। उनको लेकर व्यर्थ की शंकाएं न पालें। किसी भी शंका के समाधान के लिए अपनी डॉक्टर से परामर्श करें।
 डॉक्टर के कहे अनुसार अपनी नियमित जांच करवाती रहें। डॉक्टर द्वारा कहे गए टेस्ट भी समय पर करवाएं। ब्लड प्रेशर, मूत्रा परीक्षण, खून की जांच आदि डॉक्टर के परामर्श के अनुसार करवाती रहें।
 गर्भावस्था के दौरान किसी भी दवाई का सेवन डॉक्टर से बिना पूछे न करें। प्रायः बुखार, बदन दर्द, सर दर्द आदि की दवाएं बिना डॉक्टरी सलाह के ही ले ली जाती हैं पर गर्भावस्था में इनके सेवन से कई साइड इफेक्टस हो सकते हैं और गर्भस्थ शिशु पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए कोई भी तकलीफ होने पर अपनी डॉक्टर से सलाह लें।
 गर्भावस्था के दौरान सफर आदि पर जाने से पहले अपनी डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें क्योंकि आपकी थोड़ी सी असावधानी आप और आपके शिशु को प्रभावित कर सकती है।
 गर्भावस्था में कुछ महिलाएं इतनी एहतियात बरतती हैं कि उन्हें लगता है कि इस अवस्था में बेड रेस्ट ही करना चाहिए पर ऐसा नहीं है। एहतियात बरतना आवश्यक है पर बिल्कुल निष्क्रिय जीवन शैली अपना लेना नुक्सानदायक हो सकता है, इसलिए अपने डॉक्टर से परामर्श लेकर चुस्त रहने की कोशिश करें। इस अवस्था में डॉक्टर हल्के व्यायाम करने की भी सलाह देती है। वह भी करती रहें। सैर करना लाभदायक व्यायाम है।
 भावी शिशु की जिम्मेदारी संभालने के लिए मां का शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ होना बहुत आवश्यक है, इसलिए अपने आहार की ओर विशेष ध्यान दें। संतुलित व पोषक तत्वों से भरपूर भोजन लें। फल, हरी सब्जियां जूस आदि नियमित लें। बाहर का खाना कम खाएं और बासा भोजन बिल्कुल न लें।
 गर्भावस्था के दौरान उलटियां आदि भी काफी आती हैं, इसलिए कोशिश करें कि थोड़ी-थोड़ी मात्रा में कुछ समय के अंतराल में भोजन ग्रहण करती रहें।
गर्भावस्था में अतिरिक्त प्रोटीन व कैलोरी की आवश्यकता होती है, इसलिए दालों, अनाज व अंकुरित दालों आदि का सेवन अवश्य करें।
 गर्भावस्था में बच्चे की हड्डियों व दांतों केे निर्माण के लिए अधिक कैल्शियम की आवश्यकता होती है इसलिए दूध, हरी पत्तेदार सब्जियां व दालों का सेवन करें। कैल्शियम की गोली का सेवन करने को भी इसी लिए डॉक्टर कहते हैं।
 गर्भावस्था में रक्त निर्माण के लिए मां के शरीर से बच्चा लौह तत्व का बड़ी मात्रा में उपयोग करता है इसलिए आयरन की आवश्यकता भी बढ़ जाती है। लौहतत्व युक्त खाद्य पदार्थो का सेवन करें। फोलिक एसिड और विटामिन बी 12 भी आवश्यकता की पूर्ति के लिए भी डॉक्टर गोलियों का सेवन करने को कहते हैं।
 गर्भावस्था के दौरान ढीले-ढाले वस्त्रा पहनें जो आरामदेह हों।
 सिगरेट और अल्कोहल का सेवन हर व्यक्ति के लिए नुक्सानदायक है परन्तु गर्भावस्था में तो इसका सेवन बहुत ही हानिकारक हो सकता है और शिशु पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए धूम्रपान व अल्कोहल का सेवन न करें।
 गर्भावस्था में पर्याप्त आराम करें। पर्याप्त नींद लेना बहुत महत्त्वपूर्ण है।

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