नयी दिल्ली, 30 मार्च (भाषा) आभूषण विक्रेता पीसी ज्वेलर लिमिटेड ने इस वित्त वर्ष में अपने बैंक कर्ज को आधे से अधिक घटाकर लगभग 1,800 करोड़ रुपये कर दिया है। कंपनी ने बेहतर बिक्री एवं धन जुटाकर अगले साल मार्च तक कर्ज मुक्त होने का लक्ष्य रखा है।
कंपनी के प्रबंध निदेशक बलराम गर्ग ने पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत में यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा, ‘‘चालू वित्त वर्ष के अंत तक हमारा बैंक ऋण घटकर 1,775 करोड़ रुपये रह जाने की उम्मीद है। हम अपने बैंक कर्ज को और कम करने और मार्च, 2026 तक ऋण मुक्त होने का लक्ष्य बना रहे हैं।’’
सोने और चांदी के आभूषण बेचने वाली पीसी ज्वेलर के 15 राज्यों में 55 शोरूम हैं।
सितंबर, 2024 में पीसी ज्वेलर ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुवाई वाले 14 बैंकों के एक समूह के साथ एक समझौता किया था ताकि वह अपने बकाया ऋण को चुका सके। कंपनी पर 31 मार्च, 2024 तक लगभग 4,100 करोड़ रुपये का बैंक कर्ज था।
गर्ग ने कहा कि कंपनी को वित्त वर्ष 2025-26 में वारंट के तरजीही निर्गम के बदले निवेशकों से 1,500 करोड़ रुपये से अधिक मिलेंगे और इसका उपयोग बैंक ऋणों को चुकाने के लिए किया जाएगा।
पिछले साल अक्टूबर में 2,702.11 करोड़ रुपये के पूर्ण परिवर्तनीय वारंट का तरजीही निर्गम सफलतापूर्वक पूरा हुआ था।
गर्ग ने कहा कि कंपनी ने आज तक प्रासंगिक समयसीमा के अनुरूप बैंकरों को भुगतान किए जाने वाले नकद प्रतिफल का कुछ हिस्सा चुका दिया है। इसके अलावा कंपनी ने बैंकों को इक्विटी शेयर भी जारी किए हैं।
नकद भुगतान और इक्विटी शेयरों के निर्गम ने कंपनी को इस वित्त वर्ष में बैंक कर्ज को 55 प्रतिशत से अधिक कम करने में मदद की है।
कंपनी के समग्र व्यवसाय पर गर्ग ने कहा कि पीसी ज्वेलर ने वित्त वर्ष 2024-25 के पहले नौ महीनों में बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि हासिल की है, जिससे उसे लाभ कमाने में मदद मिली है।
गर्ग ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान कंपनी की बिक्री काफी प्रभावित हुई थी, लेकिन अब यह पटरी पर आ गई है, जबकि ब्याज लागत में काफी कमी आई है।
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-दिसंबर अवधि में पीसी ज्वेलर का एकीकृत परिचालन राजस्व एक साल पहले की समान अवधि के 556.91 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,545.58 करोड़ रुपये हो गया। पिछले पूरे वित्त वर्ष में कंपनी का परिचालन राजस्व 605.40 करोड़ रुपये रहा था।
अप्रैल-दिसंबर की अवधि में कंपनी का शुद्ध लाभ 482.92 करोड़ रुपये रहा। इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में कंपनी को 507.72 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था।