
बीमारी कहकर नहीं आती। पता नहीं घर के किसी सदस्य को कब क्या दिक्कत हो जाए, इसलिए आपातकालीन स्थिति के लिए कुछ दवाएं घर में जरूर रखनी चाहिए। छोटी-मोटी बीमारियां इनसे ठीक हो जाती हैं।
पैरासिटामोल – बुखार, सिरदर्द और बदनदर्द आदि के इलाज के लिए पैरासिटामोल टैबलेट काफी असरकारक होती है। बच्चों के लिए सिरप और शिशुओं के लिए यह ड्राप्स के रूप में भी मिलती है।
डिस्प्रिन – किसी वयस्क को छाती में दर्द हो और हार्ट अटैक का अंदेशा हो तो अस्पताल या चिकित्सक के पास ले जाने से पहले दो टेबलेट डिस्प्रिन पानी में घोल कर पिला सकते हैं।
एलरिड व सर्दी-खांसी की अन्य दवाएं -दृकई लोगों को एलर्जी के कारण नाक से पानी बहने लगता है, छींकें आने लगती हैं और तेज जुकाम हो जाता है। ऐसे में एलरिड, सिट्रीजीन, एविल जैसी दवाएं दे सकते हैं। एलर्जी के कारण रैशेज होने पर भी ये दवाएं काम करती हैं। खांसी होने पर बच्चों को टिक्सीलिक्स, बड़ों को चेरीकोफ आदि दवाएं दें। विक्स, स्ट्रेपसिल्स आदि चूसने वाली दवाएं भी घर में रखें जो गले की खराश से निजात दिलाती हैं।
एंटी डायरिया और वामिटिंग टैबलेट- दृ पेट दर्द के साथ लूज मोशन हो गए हों तो रोकने जैसी दवा ले सकते हैं। उल्टी होने पर डोमेस्टल एवं सिर चकराने पर स्टेमेटिल टेबलेट ली जा सकती है। साथ ही इलेक्ट्राल पाउडर के सैशे भी घर में हर वक्त रखें जो डिहाइड्रेशन से बचाव करेंगे।
एंटासिड -दृकई बार भोजन करते ही सीने में जलन, अपच, मुंह में खट्टी डकार आना, बेचैनी आदि समस्याएं होने लगती हैं। ऐसे में डाइजीन या जेलुसिल जैसी एंटासिड दवाएं ले सकते हैं। ये अम्ल को शांत कर देती है।
पेट दर्द- साधारण पेट दर्द होने या मासिक के दौरान पेट में दर्द होने पर तात्कालिक आराम के लिए स्पास्मोप्रोक्सिवन या मेफ्टाल स्पास जैसी दवाएं ली जा सकती हैं।
नेजल ड्राप – जुकाम से नाक बंद होने पर तीव्र बेचैनी हो जाती है और दम घुटने लगता है। ऐसे में ओट्रिविन या नैसोक्लियर जैसी ड्राप नाक में डालकर राहत पा सकते हैं। सोलस्प्रे भी अच्छी दवा है।
आंख और कान की ड्राप्स -दृ
आपातकालीन स्थिति के लिए जेंटिसिन, ओफ्लाक्स या सिप्लाक्स जैसी ड्राप्स घर में जरूर रखें। आंखों में जलन, दर्द, कुछ गिर जाने या कान में दर्द होने पर इनकी दो बूंदें डालें तो काफी राहत मिल सकती है। हां, इन्हें एक बार खोलने के बाद महीने भर के भीतर ही इस्तेमाल करना चाहिए।
एंटीसेप्टिक क्रीम, मलहम एवं बैंडेज दृ घर में बरनाल, सोफ्रामाइसिन, बोरोप्लस, सिल्वर एक्स जैसी मलहम एवं डेटाल व सेवलान जैसे एंटीसेप्टिक लोशन जरूर रखें। इसके अलावा रूई, गाज पट्टियां व बैंडेज आदि भी एक डिब्बे में रखें। छोटी-मोटी चोट में ये काफी उपयोगी साबित होती हैं।
सबसे महत्त्वपूर्ण
ये दवाएं फौरी तौर पर राहत के लिए हैं। बीमार होने पर रोगी को चिकित्सक के पास अवश्य ले जाएं। स्वयं इलाज करने की कोशिश न करें.
घर में डायबिटीज, हार्ट डिजीज, मिर्गी, अस्थमा का कोई मरीज हो तो उसकी समुचित दवाएं हर वक्त तैयार रखें।
नजदीकी अस्पताल, एंबुलेंस सेवा एवं चिकित्सकों के फोन नंबर एवं पते भी हर वक्त आसानी से मिलने वाली जगह पर नोट करके रखें।
पैरासिटामोल – बुखार, सिरदर्द और बदनदर्द आदि के इलाज के लिए पैरासिटामोल टैबलेट काफी असरकारक होती है। बच्चों के लिए सिरप और शिशुओं के लिए यह ड्राप्स के रूप में भी मिलती है।
डिस्प्रिन – किसी वयस्क को छाती में दर्द हो और हार्ट अटैक का अंदेशा हो तो अस्पताल या चिकित्सक के पास ले जाने से पहले दो टेबलेट डिस्प्रिन पानी में घोल कर पिला सकते हैं।
एलरिड व सर्दी-खांसी की अन्य दवाएं -दृकई लोगों को एलर्जी के कारण नाक से पानी बहने लगता है, छींकें आने लगती हैं और तेज जुकाम हो जाता है। ऐसे में एलरिड, सिट्रीजीन, एविल जैसी दवाएं दे सकते हैं। एलर्जी के कारण रैशेज होने पर भी ये दवाएं काम करती हैं। खांसी होने पर बच्चों को टिक्सीलिक्स, बड़ों को चेरीकोफ आदि दवाएं दें। विक्स, स्ट्रेपसिल्स आदि चूसने वाली दवाएं भी घर में रखें जो गले की खराश से निजात दिलाती हैं।
एंटी डायरिया और वामिटिंग टैबलेट- दृ पेट दर्द के साथ लूज मोशन हो गए हों तो रोकने जैसी दवा ले सकते हैं। उल्टी होने पर डोमेस्टल एवं सिर चकराने पर स्टेमेटिल टेबलेट ली जा सकती है। साथ ही इलेक्ट्राल पाउडर के सैशे भी घर में हर वक्त रखें जो डिहाइड्रेशन से बचाव करेंगे।
एंटासिड -दृकई बार भोजन करते ही सीने में जलन, अपच, मुंह में खट्टी डकार आना, बेचैनी आदि समस्याएं होने लगती हैं। ऐसे में डाइजीन या जेलुसिल जैसी एंटासिड दवाएं ले सकते हैं। ये अम्ल को शांत कर देती है।
पेट दर्द- साधारण पेट दर्द होने या मासिक के दौरान पेट में दर्द होने पर तात्कालिक आराम के लिए स्पास्मोप्रोक्सिवन या मेफ्टाल स्पास जैसी दवाएं ली जा सकती हैं।
नेजल ड्राप – जुकाम से नाक बंद होने पर तीव्र बेचैनी हो जाती है और दम घुटने लगता है। ऐसे में ओट्रिविन या नैसोक्लियर जैसी ड्राप नाक में डालकर राहत पा सकते हैं। सोलस्प्रे भी अच्छी दवा है।
आंख और कान की ड्राप्स -दृ
आपातकालीन स्थिति के लिए जेंटिसिन, ओफ्लाक्स या सिप्लाक्स जैसी ड्राप्स घर में जरूर रखें। आंखों में जलन, दर्द, कुछ गिर जाने या कान में दर्द होने पर इनकी दो बूंदें डालें तो काफी राहत मिल सकती है। हां, इन्हें एक बार खोलने के बाद महीने भर के भीतर ही इस्तेमाल करना चाहिए।
एंटीसेप्टिक क्रीम, मलहम एवं बैंडेज दृ घर में बरनाल, सोफ्रामाइसिन, बोरोप्लस, सिल्वर एक्स जैसी मलहम एवं डेटाल व सेवलान जैसे एंटीसेप्टिक लोशन जरूर रखें। इसके अलावा रूई, गाज पट्टियां व बैंडेज आदि भी एक डिब्बे में रखें। छोटी-मोटी चोट में ये काफी उपयोगी साबित होती हैं।
सबसे महत्त्वपूर्ण
ये दवाएं फौरी तौर पर राहत के लिए हैं। बीमार होने पर रोगी को चिकित्सक के पास अवश्य ले जाएं। स्वयं इलाज करने की कोशिश न करें.
घर में डायबिटीज, हार्ट डिजीज, मिर्गी, अस्थमा का कोई मरीज हो तो उसकी समुचित दवाएं हर वक्त तैयार रखें।
नजदीकी अस्पताल, एंबुलेंस सेवा एवं चिकित्सकों के फोन नंबर एवं पते भी हर वक्त आसानी से मिलने वाली जगह पर नोट करके रखें।