अमेरिका में प्रवेश – लाखों का खर्च, ‘डंकी रूट’ फिर भी अधूरे सपने

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रामस्वरूप रावतसरे

अमेरिका में अवैध रूप से रहने गये 104 भारतीय वापस भारत आ गए हैं। इन्हें अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों ने गिरफ्तार करने के बाद सेना के प्लेन से भारत वापस भेजा। अमेरिका से वापस भेजे जाने वाले भारतीय पंजाब, हरियाणा, गुजरात, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के रहने वाले बताए जाते हैं। अमेरिका द्वारा उठाये गये इस कदम को लेकर राजनीतिक बहस भी तेज हो गई है। इसी के साथ ही विदेश जाने की ललक और इसके लिए अपनाए जाने वाले तरीकों को लेकर भी बात हो रही है। इस बीच ‘डंकी रूट’ फिर से चर्चा में आया है।

जानकार लोगों का कहना है कि ‘डंकी’ शब्द पंजाबी भाषा में उपयोग होता है। डंकी का अर्थ एक जगह से उछल कर दूसरी जगह जाना है लेकिन बीते कुछ समय में डंकी शब्द का अर्थ बदल गया है। ‘डंकी रूट’ नाम उस रास्ते को दे दिया गया है जिससे कोई भी व्यक्ति अवैध तरीके से भारत छोड़ कर दूसरे देश को जाता है। यह शब्द हालिया समय में अमेरिका जाने के अवैध रास्ते का नाम हो गया है। इस नाम से रील्स बनती हैं, वीडियो बनते हैं, फिल्म तक बनाई गई है। इसका अपना एक ‘पॉप कल्चर’ (संस्कृति) है।

    कई एजेंट डंकी रूट के जरिए भारतीयों को विदेश भेजने का वादा करते हैं। जो लोग डंकी का रास्ता चुनते हैं, सबसे पहले उनका पासपोर्ट और वीजा तैयार करवाया जाता है। डंकी का काम करने वाले एजेंट पैसा लेकर किसी यूरोपियन या फिर लैटिन अमेरिका के किसी देश का वीजा तैयार करवाते हैं। अधिकांश मौकों पर यह टूरिस्ट वीजा होता है। इसी के सहारे डंकी वालों को भारत से निकाला जाता है। इनको नेपाल, दुबई और किसी अन्य देश में कुछ दिन यात्रा करवा कर इनकी एक यात्रा की पूरी कहानी तैयार करवाई जाती है। इसके बाद डंकी रूट का सहारा लेने वाले लैटिन अमेरिकी देश पहुँचते हैं। इन देशों में भारतीय डंकी एजेंटों के सहायक होते हैं जो डंकी रूट लेने वालों को रास्ता बताते हैं और यहाँ अवैध तरीके से उनकी मदद करते हैं। कई बार यह लोग आपराधिक गैंग से जुड़े होते हैं। यह लोग इन्हें अमेरिका सीमा तक की यात्रा करवाते हैं। यह यात्रा जंगल, नदी और पहाड़ों से होकर गुजरती है। 40-50 किलोमीटर तक पैदल चलना भी पड़ता है। अमेरिका में घुसने के लिए सीमा लांघनी पड़ती है।

   अमेरिका में अवैध रूप से घुसने वाले लोग सबसे पहले किसी लैटिन अमेरिकी देश में हवाई यात्रा के जरिए पहुँचते हैं। यह देश ब्राजील, वेनेज़ुएला, बोलिविया, पेरू, कोलंबिया, निकारागुआ समेत कोई भी हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति ब्राजील पहुँचा है तो उसे यहाँ से सीमा पर करके कोलंबिया पहुँचना होगा। इसके लिए कभी कभार मानव तस्करी करने वाले गाड़ी उपलब्ध करवाते हैं। फिर उस व्यक्ति को पनामा में घुसाया जाता है। पनामा में अधिकांश लोगों को चुपके से जंगल पार करना होता है। इसके बाद निकारागुआ और गुआटेमाला होते यह लोग मेक्सिको पहुँचते हैं। मेक्सिको और अमेरिका आपस में सीमा साझा करते हैं। मेक्सिको की सुरक्षा एजेंसियों से बचते हुए यह यहाँ इकट्ठा होते हैं। अमेरिका और मेक्सिको की सीमा पर वर्तमान में ऊँची लोहे की बाड़ लगी हुई है। इसे पार करने के लिए रस्सियों का सहारा लिया जाता है। डंकी रूट लेने वाले लोग अमेरिकी सीमा फांद लेना एक उपलब्धि की तरह लेते हैं। इसकी फोटो भी सोशल मीडिया पर साझा होती है। इसका जश्न मनता है।

अमेरिका से वापस भेजे गए भारतीयों के अनुसार डंकी रूट के सहारे जो लोग घुसने में कामयाब हो जाते हैं, वह शरणार्थी का दर्जा पाने का प्रयास करते हैं। सीमा पार करते समय अगर किसी शरणार्थी को अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियाँ पकड़ लेती हैं, तो वह अपना रटा हुआ वर्जन उन्हें बताते हैं। वह दावा करते हैं कि भारत में उनके साथ उत्पीड़न हो रहा है और वह खाने-पीने तक को मोहताज हैं। वह दावा करते हैं कि शरण लेने के लिए अमेरिका पहुँचे हैं। डंकी रूट लेने वालों को यह पूरी स्क्रिप्ट पहले ही रटा दी जाती है। अमेरिका में पकड़े जाने पर ये लोग वकील की सहायता लेते हैं और मुकदमा लड़ कर शरणार्थी का दर्जा पाने का प्रयास करते हैं। जो लोग पकड़े नहीं जाते, वह उन लोगों के साथ घुल मिल जाते हैं, जो पहले इसी तरीके से अमेरिका पहुँच चुके हैं। कई मामलों में लोगों को वापस भारत भेज दिया जाता है। कई मामलों में अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियाँ इनके पैर में एक ट्रैकर लगा कर छोड़ देती हैं जिन्हें यह बाद में काट कर फेंक देते हैं।

जानकार लोगों का कहना है कि डंकी रूट बीते कुछ सालों में काफी पॉपुलर हुआ है। इसका प्रभाव सबसे पहले पंजाब और हरियाणा में आया। इसकी उन युवाओं में खासी पकड़ है, जो वैध तरीकों से विदेश जाने में अक्षम हैं। सामान्य तौर पर विदेश जाने के लिए वीजा लेना होता है। काम करने के लिए वीजा मिलने की प्रक्रिया काफी कठिन है। इसके लिए कई टेस्ट भी होते हैं। पढ़ाई में औसत छात्र इन्हें नहीं पार कर पाते। ऐसे में वह डंकी रूट को विकल्प के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। वर्तमान में हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से और गुजरात आदि में इसका काफी क्रेज बताया जाता है।

जो बायडेन के अमेरिका के राष्ट्रपति रहते हुए डंकी का इस्तेमाल काफी बढ़ गया था। लोगों ने समझा कि बायडेन प्रशासन इन अवैध प्रवासियों के प्रति नरम है, ऐसे में अमेरिका जाना कोई बुरा सौदा नहीं है। एक रिपोर्ट बताती है कि वर्तमान में अमेरिका में 7.25 लाख भारतीय अवैध रूप से रह रहे हैं।

डंकी रूट को लेकर अब तक सामने आई रिपोर्ट के अनुसार इस काम में 30 लाख से 50 लाख का निवेश होता है। गुजरात से जाने वाले एक परिवार ने दावा किया है कि उनसे इस काम के 1 करोड़ तक लिए गए। पंजाब और हरियाणा से सामने आए डंकी के मामलों में देखा गया है कि युवा अपने खेत-जमीन बेच कर इन पैसों का इंतजाम करते हैं। कई रिश्तेदारों से भी उधार लेकर अमेरिका को जाते हैं। डंकी रूट लेकर जाने वालों को उम्मीद होती है कि एक बार अमेरिका में पहुँचने के बाद वह महीने का 3 लाख तक बचा सकते है। ऐसे में उन्हें डंकी रूट पर खर्च होने वाली यह धनराशि बहुत छोटी लगती है। इसीलिए सारे कष्ट उठा कर भी युवा अमेरिका जाते हैं। कई मौकों पर इनसे डंकी के नाम पर ठगी भी हो जाती है। डंकी वाले एजेंटों का यह जाल हरियाणा पंजाब के गाँव-गाँव तक फ़ैल चुका है। बड़े बड़े सुहाने सपने दिखाए जाने के बाद लोग अपना पैसा लगाने से नहीं डरते।

जो बायडेन के खिलाफ चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प ने इन अवैध प्रवासियों को एक बड़ा मुद्दा बनाया था। ट्रम्प का कहना था कि लगातार अवैध रूप से घुस रहे प्रवासी अमेरिका के संसाधनों का गलत फायदा उठा रहे हैं। उन्होंने वादा किया था कि अमेरिका का राष्ट्रपति बनने पर अवैध प्रवासियों पर वह कड़ा एक्शन लेंगे। उनके राष्ट्रपति बनने के बाद तेजी से अमेरिका में इन अवैध तरीके से घुसने वालों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है। कई देशों के अवैध अप्रवासी वापस भेजे जा रहे हैं। इसी कड़ी में भारत में भी पहली खेप के रूप में 104 लोग आए हैं।

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