मणिपुर में मुश्किल दौर जल्द खत्म होगा : न्यायमूर्ति गवई

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चुराचांदपुर/इंफाल (मणिपुर), 22 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी आर गवई ने शनिवार को उम्मीद जताई कि जातीय संघर्ष से ग्रस्त मणिपुर में ‘‘मौजूदा कठिन दौर’’ कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के सहयोग से जल्द ही खत्म हो जाएगा तथा राज्य देश के बाकी हिस्सों की तरह समृद्ध होगा।

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले न्यायमूर्ति गवई ने आज मणिपुर का दौरा किया और जातीय संघर्ष से प्रभावित राज्य के लोगों से शांति एवं सद्भाव बहाल करने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया।

अधिकारियों ने बताया कि न्यायमूर्ति गवई ने उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन के साथ चुराचांदपुर जिले में एक राहत शिविर का दौरा किया और विस्थापित लोगों से मुलाकात की।

उन्होंने बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने जिले के लमका स्थित मिनी सचिवालय से एक कानूनी सेवा शिविर और एक चिकित्सा शिविर का भी ऑनलाइन माध्यम से उद्घाटन किया।

मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी. कृष्णकुमार और न्यायमूर्ति गोलमेई गैफुलशिलू भी मौजूद थे।

इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति गवई ने कहा, ‘‘हमारा देश विविधता में एकता का सच्चा उदाहरण है। भारत हम सबका घर है। हम जानते हैं कि आप सभी एक कठिन दौर से गुजर रहे हैं, लेकिन कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका सभी के सहयोग से यह दौर जल्द ही समाप्त हो जाएगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा संविधान एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। जब हम अपने देश की तुलना अपने पड़ोसी देशों से करेंगे, तो हमें महसूस होगा कि हमारे संविधान ने हमें मजबूत और एकजुट रखा है। संविधान पर भरोसा रखें… एक दिन मणिपुर में पूरी तरह शांति लौट आएगी और राज्य पूरे देश की तरह समृद्ध होगा।’’

उन्होंने राज्य के लोगों से शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने का आग्रह किया।

न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए), जिसके वे कार्यकारी अध्यक्ष हैं, ने विस्थापित व्यक्तियों को राहत सामग्री उपलब्ध कराने के लिए 2.5 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। इससे पहले भी 1.5 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई थी।

उन्होंने कहा कि बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए राज्य भर में 109 चिकित्सा शिविर स्थापित किए गए हैं।

न्यायमूर्ति गवई ने संघर्ष के कारण स्कूल छोड़ने वाले छात्रों को फिर से दाखिला देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों और जनता से आह्वान किया कि वे यह सुनिश्चित करें कि सभी छात्रों की शिक्षा पूरी हो सके।

इस बीच, अधिकारियों ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के प्रतिनिधिमंडल में शामिल और मेइती समुदाय से ताल्लुक रखने वाले न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह कुकी बहुल चुराचांदपुर नहीं गए, क्योंकि वहां वकीलों के एक संगठन ने उनके दौरे पर आपत्ति जताई थी।

मई 2023 से मेइती और कुकी-जो समुदायों के बीच जातीय हिंसा में अब तक 250 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।

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