गांधीनगर, सात मार्च (भाषा) इलेक्ट्रॉनिक चिप बनाने में शामिल रसायनों एवं गैसों सहित आपूर्ति श्रृंखला के आसपास एक परिवेश को बढ़ावा देकर भारतीय सेमीकंडक्टर उद्योग का आकार वर्ष 2030 तक 40 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। उद्योग निकाय के शीर्ष अधिकारी ने शुक्रवार को यह संभावना जताई।
सेमीकंडक्टर उद्योग के निकाय ‘इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन’ (आईईएसए) के अध्यक्ष अशोक चांडक ने यहां आयोजित एक सम्मेलन में कहा कि भारत को सेमीकंडक्टर के वैश्विक केंद्रों से सीखने की जरूरत है क्योंकि यह एक बहुत ही जटिल प्रौद्योगिकी है।
चांडक ने कहा, “किसी भी चिप विनिर्माण से कम-से-कम 10 से अधिक देश जुड़े होते हैं। यह बहुत जटिल काम है। अगर हमें भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण को सफल बनाना है तो हमें आपूर्ति श्रृंखला का ध्यान रखना होगा जिसमें गैस, रसायन, सामग्री शामिल हैं। आपूर्ति श्रृंखला का ज़्यादातर हिस्सा उन संयंत्रों से जुड़ा होना चाहिए जो सेमीकंडक्टर का निर्माण करने जा रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि 2022 में आईईएसए ने सेमीकंडक्टर परिवेश से किए जाने वाले आधारभूत कार्यों पर एक रिपोर्ट जारी की थी और अब इसने एक रिपोर्ट में भारत के लिए विनिर्माण से जुड़े सभी मामलों का विवरण दिया है।
चांडक ने कहा, “हमारा मानना है कि दुनिया भर में आपूर्ति श्रृंखला से संबंधित बाजार 2030 तक बढ़कर 420 अरब डॉलर हो जाएगा और अगर हम 10 प्रतिशत हिस्सेदारी की आकांक्षा रखते हैं तो इसका मतलब है कि हम 40 अरब डॉलर के संभावित अवसर को देख रहे हैं। यह उसी समय हो सकता है जब कुछ वैश्विक कंपनियां भारत के लिए निर्माण करें और अपना आधार भारत में स्थानांतरित करेंगी।”
हालांकि इस रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा ढांचे के साथ भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग वर्ष 2030 तक 10 अरब डॉलर तक ही बढ़ सकता है। भारत को 2026-2027 तक मूल्य श्रृंखला में लगभग 15 लाख कुशल श्रमिकों और 50 लाख अर्द्ध-कुशल श्रमिकों की जरूरत होगी।
रिपोर्ट में प्रसंस्करण, उपकरण इंजीनियर, आईसी परीक्षण इंजीनियरों और क्षमता नियोजन प्रबंधकों जैसी भूमिकाओं के लिए कार्यबल की उच्च मांग की उम्मीद है।
आईईएसए रिपोर्ट के मुताबिक, अगले दो से पांच वर्षों में डिजाइन, विनिर्माण, प्रशिक्षण, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, रासायनिक और सामग्री इंजीनियरिंग, पैकेजिंग, परीक्षण और लॉजिस्टिक में कई नौकरियों के अवसर पैदा होने की उम्मीद है।
चांडक ने कहा कि वैश्विक हितधारकों की भारत के प्रति दिलचस्पी बढ़ रही है और यह यहां आयोजित 19वें आईईएसए विजन शिखर सम्मेलन में देखने को भी मिला। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में 30 से अधिक समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए, जिनमें टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स का पीएसएमसी और हाइमैक्स के साथ समझौता ज्ञापन भी शामिल है।