विश्व गुरू तो भारत ही होगा : धनखड़

0
jagdeep-dhankhar-raghav-chadha-1742890207

नयी दिल्ली, 25 मार्च (भाषा) राज्यसभा में मंगलवार को सभापति जगदीप धनखड़ ने विश्वास जताया कि विश्व गुरू तो भारत ही होगा।

शून्यकाल के दौरान उच्च सदन में आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा ने कृत्रिम मेधा यानी आर्टीफीशियल इंटेलिजेन्स का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि भारत की बड़ी आबादी एआई के कार्यबल का हिस्सा है फिर भी इस क्षेत्र में भारत को जितनी प्रगति करनी चाहिए थी, वह नहीं कर पा रहा है।

उन्होंने कहा कि आने वाले समय में विश्व गुरू वह होगा जिसके पास एआई की ताकत होगी इसलिए भारत को ‘मेक इन इंडिया’ के साथ साथ ‘मेक एआई इन इंडिया’ के मंत्र के साथ आगे बढ़ना होगा।

इस पर सभापति धनखड़ ने मुस्कुराते हुए कहा ‘‘विश्व गुरु तो भारत ही होगा।’’

राघव चड्ढा ने कहा कि आज का दौर एआई की क्रांति का युग है और अमेरिका के पास अपने चैटजीपीटी, जेमिनी, एन्थ्रॉपिक ग्रॉक जैसे मॉडल हैं वहीं चीन ने डीपसीक जैसा सबसे ज्यादा क्षमता वाला तथा सबसे कम लागत से बना एआई मॉडल तैयार कर लिया है।

उन्होंने कहा कि अमेरिका एवं चीन के पास अपने अपने स्वदेशी मॉडल हैं लेकिन भारत कहां है, उसका अपना जनरेटिव एआई मॉडल कहां है?

चड्ढा ने कहा कि वर्ष 2010 से 2022 तक दुनिया में जितने पेटेंट पंजीकृत हुए उनका 60 प्रतिशत हिस्सा अमेरिका ने और 20 फीसदी हिस्सा चीन ने हासिल किया वहीं भारत ने मात्र आधा प्रतिशत ही हासिल किया।

आप सदस्य ने कहा कि आज भारत दुनिया की सबसे बड़ी पांचवी अर्थव्यवस्था है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और चीन ने पिछले चार पांच साल में एआई पर खासी रिसर्च की और उसमें निवेश तथा प्रयोग किए।

उन्होंने कहा कि कुल एआई कार्य बल का 15 फीसदी हिस्सा भारतीय हैं। ‘‘भारत के पास प्रतिभा है, मेहनती लोग हैं, ब्रेन पॉवर है, डिजिटल अर्थव्यवस्था है, हमारे यहां 90 करोड़ से अधिक इंटरनेट उपभोक्ता हैं। फिर भी वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर एआई के संदर्भ में नजर रहीं आता। वह एआई उत्पादक बनने के बजाय एआई उपभोक्ता बन गया है।’’

आप सदस्य ने कहा कि करीब 15 फीसदी यानी लगभग साढ़े चार लाख भारतीय एआई के क्षेत्र में भारत से बाहर काम कर रहे हैं और एआई दक्षता में भारत की रैंक तीसरी है। उन्होंने कहा ‘‘इसका मतलब है कि भारत के पास प्रतिभा है।’’

चड्ढा ने कहा कि एआई के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए हमें स्वदेशी एआई चिप बनाने होंगे, एक समर्पित एआई इन्फ्रा कोष बनाना होगा, एआई रिसर्च अनुदान देना होगा, प्रतिभा पलायन रोकना होगा। ‘‘साथ ही एआई के स्वदेशी स्टार्टअप को बहुत बड़े पैमाने पर उपलब्ध डेटा तक पहुंच देना होगा जो माइक्रोसाफ्ट, मेटा और गूगल के पास है लेकिन भारत के पास नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि इसके साथ ही एआई के क्षेत्र में वित्तीय निवेश बढ़ाना होगा।

उन्होंने कहा कि अमेरिका अपने जीडीपी का साढ़े तीन फीसदी, चीन ढाई फीसदी जबकि भारत 0.7 फीसदी खर्च करता है।

आप सदस्य ने कहा कि यह मुद्दा आने वाले कल के भारत के लिए जरूरी है। ‘‘आने वाले समय में विश्व गुरू वह होगा जिसके पास एआई की ताकत होगी। इसलिए भारत को ‘मेक इन इंडिया’ के साथ साथ ‘मेक एआई इन इंडिया’ के मंत्र के साथ आगे बढ़ना होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *