नयी दिल्ली, 27 मार्च (भाषा) विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि आज के तेजी से बदलते दौर में भारत और रूस एक “जटिल भू-राजनीतिक परिदृश्य” से गुजर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि “बहुध्रुवीय व्यवस्था के युग” में दोनों देशों के बीच अधिक सहयोग की आवश्यकता है।
‘रूस और भारत: एक नए द्विपक्षीय एजेंडे की ओर’ सम्मेलन को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि “भारत और रूस के बीच खास और विशेष रणनीतिक साझेदारी को प्रगाढ़ बनाना विदेश नीति की एक साझा प्राथमिकता बनी हुई है।”
सम्मेलन का आयोजन रूसी अंतरराष्ट्रीय मामलों की परिषद (आरआईएसी) और मॉस्को में स्थित भारतीय दूतावास ने किया है।
जयशंकर ने कहा कि भारत, रूस के साथ अपने संबंधों को “बेहद महत्व देता है” और दोनों देश “इस गहरी मित्रता को प्रगाढ़ करने और सहयोग के नये आयाम तलाशने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
विदेश मंत्री ने कहा, “ऐतिहासिक जुड़ाव और विश्वास व पारस्परिक सम्मान की दीर्घकालिक परंपरा पर आधारित इस संबंध का गतिशील विश्व व्यवस्था की पृष्ठभूमि में निरंतर विस्तार हो रहा है।”
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भी इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं।
जयशंकर ने कहा, “भारत और रूस ने पारस्परिक लाभ के लिए नए अवसरों को तलाशने और क्षेत्रीय व वैश्विक स्थिरता तथा समृद्धि में योगदान करने की असाधारण क्षमता का प्रदर्शन किया है।”
उन्होंने कहा कि भारत-रूस कूटनीतिक संबंध उच्च स्तरीय विचार-विमर्श, मजबूत संस्थागत तंत्र और एक-दूसरे के मूल हितों के प्रति प्रतिबद्धता पर आधारित है।
विदेश मंत्री ने कहा, “आज तेजी से बदलती दुनिया में, भारत और रूस एक जटिल भू-राजनीतिक परिदृश्य में आगे बढ़ रहे हैं। बहुध्रुवीयता के युग में दोनों देशों के बीच अधिक सहयोग की आवश्यकता है।”
उन्होंने आगे कहा कि ऊर्जा, रक्षा और असैन्य परमाणु सहयोग जैसे क्षेत्र पारंपरिक रूप से “हमारे संबंधों में प्रमुख रहे हैं”, लेकिन व्यापार, प्रौद्योगिकी, कृषि, फार्मास्यूटिकल्स, कनेक्टिविटी और डिजिटल अर्थव्यवस्था “सहयोग के नये क्षेत्र” के रूप में उभर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत और रूस ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब अमेरिकी डॉलर तक ले जाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है।