भारत, न्यूजीलैंड ने रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए

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नयी दिल्ली, 17 मार्च (भाषा) भारत और न्यूजीलैंड ने अपने रक्षा एवं सुरक्षा संबंधों को संस्थागत रूप देने के लिए सोमवार को एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने न्यूजीलैंड के अपने समकक्ष को उनके देश में कुछ गैरकानूनी तत्वों द्वारा भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दिए जाने पर चिंता से अवगत कराया।

मोदी और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने समग्र द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने, विशेष रूप से व्यापार, रक्षा, शिक्षा और कृषि के क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए व्यापक वार्ता की।

मोदी ने मीडिया को अपने वक्तव्य में कहा कि दोनों पक्षों ने रक्षा एवं सुरक्षा साझेदारी को मजबूत एवं संस्थागत बनाने का निर्णय लिया है तथा रक्षा उद्योग क्षेत्र में सहयोग के लिए एक खाका तैयार किया जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘हम दोनों आतंकवाद के खिलाफ एकमत हैं। चाहे वह 15 मार्च 2019 का क्राइस्टचर्च आतंकवादी हमला हो या 26 नवंबर 2008 का मुंबई हमला, किसी भी रूप में आतंकवाद अस्वीकार्य है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवादी हमलों के दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है।

मोदी ने कहा, ‘‘हम आतंकवादी, अलगाववादी और कट्टरपंथी तत्वों के खिलाफ मिलकर काम करना जारी रखेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस संदर्भ में, हमने न्यूजीलैंड में कुछ गैरकानूनी तत्वों द्वारा भारत विरोधी गतिविधियों के बारे में अपनी चिंता साझा की।’’

मोदी ने कहा कि भारत को विश्वास है कि उसे इन सभी ‘‘गैरकानूनी तत्वों’’ के खिलाफ न्यूजीलैंड सरकार से सहयोग मिलता रहेगा।

प्रधानमंत्री ने भारत और न्यूजीलैंड द्वारा पारस्परिक रूप से लाभकारी मुक्त व्यापार समझौते के लिए बातचीत शुरू करने के निर्णय का भी उल्लेख किया।

उन्होंने कहा, ‘‘इससे आपसी व्यापार और निवेश की संभावना बढ़ेगी। डेयरी, खाद्य प्रसंस्करण और फार्मा जैसे क्षेत्रों में आपसी सहयोग और निवेश को बढ़ावा मिलेगा।’’

मोदी ने कहा कि भारत और न्यूजीलैंड एक स्वतंत्र, खुले और सुरक्षित हिंद-प्रशांत क्षेत्र का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम विस्तारवाद की नहीं, बल्कि विकास की नीति में विश्वास करते हैं।’’

न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने और मोदी ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चुनौतीपूर्ण रणनीतिक दृष्टिकोण पर चर्चा की।

लक्सन ने कहा, ‘‘मैंने समृद्ध हिंद-प्रशांत में योगदान देने के लिए अपने-अपने हितों पर साझा चिंताओं को दूर करने की हमारी मजबूत प्रतिबद्धता दोहराई।’’

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