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परिवार में परस्पर प्यार एवं स्नेह परिवार की आधारशिला है। समय आने पर जब बच्चे पढ़ लिख कर आत्मनिर्भर हो जाते हैं तो माता पिता पुत्रा पुत्रियों के लिए योग्य वर की तलाश शुरू कर देते हैं। पहले यह कार्य नाई या पुरोहित करते थे लेकिन आजकल मैरिज ब्यूरो, कम्प्यूटर, मोबाइल व न्यूजपेपर करते हैं।
रिश्तेदार, मित्रा व पड़ोसियों के पास इतना समय नहीं कि वे आपके लिए उचित रिश्ते ढूंढते फिरें। वैसे भी हर कोई शादी में मध्यस्थता करने से डरता है कि यदि शादी सफल न हुई तो मध्यस्थ को काफी कुछ सुनना सहना पड़ता है।
वैसे तो विवाह के समय कुल, विद्या, आयु, स्तर, धन, पारिवारिक स्थिति देख कर शादी करनी चाहिए। अपने परिवार के स्टेटस वाला ही परिवार देखना चाहिए। लड़की का वर तलाश करते समय शरीफ खानदान और आत्मनिर्भर लड़का देखना चाहिए। कोठी कार देख कर निठल्ले वर से लड़की नहीं ब्याहनी चाहिए।
यदि कहीं नौकरी करती है तो उसी डिपार्टमेंट में नौकरी करने वाला वर ही तलाश करें। समाचार पत्रा में मेट्रिमोनियल विज्ञापन छपते हैं। उनमें तलाश करें। नौकरी वाली लड़की दुकानदार लड़के से अनमेल शादी प्रमाणित होती है।
वरपक्ष के लोग लालची न हों। अपनी जरूरतों का चिट्ठा खोलने वालों को तुरन्त चलता कर देना चाहिए। वैसे खानदानी समर्थ-एवं शरीफ लोग गलत अनुचित बात मुंह से निकालते ही नहीं। शादी से पहले मध्यस्थ पर निर्भर मत रहें।
कोशिश करें कि वर पक्ष से सीधा सम्पर्क कायम करके हर बात पर खुल कर बात कर लें। वर पक्ष के परिवार के प्रत्येक सदस्य का स्वभाव जान लिया जाए।
स्वयं भी छोटी ओछी लघु बात मत करें। इन सबसे पहले आपका स्वयं का लड़का या लड़की सभ्य, शिक्षा प्राप्त, आत्मनिर्भर हो तो श्रेयस्कर है।
लड़की को दहेज देना पाप नहीं लेकिन दहेज मांगना पाप है, अनुचित है। माता पिता अपनी सुविधा और सामर्थ्य के अनुरूप कन्या को उपहार स्वरूप देते है लेकिन अंधाधुंध अनुचित खर्च मत करें। वर या कन्या पक्ष के लोग माता पिता, वर वधु की सुविधा के लिए जो जुटाना हैं, जुटाएं ताकि नवविवाहित जोड़े को जीवन में स्थापित होने में कठिनाई न आए।
कन्या पक्ष में माता पिता व भाई बहिन बेटी के ससुराल में अनुचित हस्तक्षेप न करें। कोशिश करें कि नवविवाहित जोड़ा स्वयं एडजस्ट करे। वरपक्ष के माता पिता व भाई बहिन का अधिकार ज्यादा होता है। वे भी अपने अधिकार का अनुचित प्रयोग न करें।
सास मां बन जाए और बहू बेटी बन जाए तो सास-बहू की परिभाषा समाप्त हो जाएगी। घर में कलह न होगी। ससुर सास-बहू को बेटी मान कर माता पिता सदृश व्यवहार करें तो बहू को सास से डर न लगेगा। सास को बहू से डर न लगेगा। सास को अपनी सत्ता छिनती नज़र नहीं आएगी। ननद बहन बन जाए। भाभी ननद का उचित मान सम्मान करे तो ननद-भाभी के रिश्तों में माधुर्य आयेगा।
घर को स्वर्ग बनाना है, टूटने से बचाना है, वर को सास बहु वाला दो पाटन की चक्की में पिसने से बचाना है तो सास-बहू, मां बेटी बन जाएं। घर को टूटने से बचाएं। घर को स्वर्ग बनाएं। सुख शांति बनाए रखें।