कोलकाता, तीन मार्च (भाषा) कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने मंगलवार को उम्मीद जताई कि भारत तीन-चार साल में लिथियम जैसे महत्वपूर्ण खनिजों की मांग को देश के भीतर ही पूरा करने में सक्षम होगा।
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के 175 वर्ष पूरे होने के अवसर पर कोलकाता में आयोजित समारोह के इतर संवाददाताओं से बातचीत में रेड्डी ने कहा कि राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन का उद्देश्य लिथियम जैसे खनिजों के खनन को बढ़ावा देना है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें मोबाइल फोन की बैटरी और सौर पैनलों के लिए लिथियम की जरूरत है। हमें उम्मीद है कि अगले तीन-चार वर्षों में हम देश के भीतर से लिथियम जैसे महत्वपूर्ण खनिजों की मांग को पूरा कर सकेंगे और यह काफी मददगार होगा।’’
मंत्री ने कहा कि ‘‘महत्वपूर्ण खनिज मिशन के लिए 32,000 करोड़ रुपये” खर्च करने की मंजूरी मिल गई है।
उन्होंने कहा कि जीएसआई राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन के उद्देश्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि इससे भारत को 2047 तक खनिज अन्वेषण में शीर्ष स्थान हासिल करने में मदद मिलेगी, ताकि ‘विकसित भारत’ के मिशन को साकार किया जा सके।
रेड्डी ने कहा कि जीएसआई लातिन अमेरिकी देश अर्जेंटीना के साथ मिलकर पांच लिथियम ब्लॉक पर काम कर रहा है।
उन्होंने कहा कि 1851 में स्थापना के बाद से, जब जीएसआई को कोयला भंडार की खोज के लिए अंग्रेजों द्वारा स्थापित किया गया था, इसने एक लंबा सफर तय किया है – विभिन्न प्रकार के खनिजों और प्राकृतिक गैस की खोज की है।
उन्होंने कहा, ‘‘केवल खनिजों की खोज ही नहीं, बल्कि जीएसआई ने बांध निर्माण, सुरंग निर्माण, विरासत को संरक्षित करने और आपदा की तैयारी में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।’’