मुंबई, 24 मार्च (भाषा) बाजार नियामक सेबी ने निदेशक मंडल के सदस्यों और अधिकारियों के हितों के टकराव, संपत्ति, निवेश और देनदारियों से संबंधित खुलासे की व्यापक समीक्षा करने के लिए सोमवार को एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने का फैसला किया।
उच्चस्तरीय समिति को गठन की तारीख से तीन महीने के भीतर अपनी सिफारिशें पेश करनी होंगी। इस रिपोर्ट को विचार के लिए सेबी के निदेशक मंडल के समक्ष रखा जाएगा।
इस समिति में संवैधानिक या वैधानिक या नियामकीय निकायों, सरकारी/ सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र और शिक्षा जगत में प्रासंगिक पृष्ठभूमि और अनुभव रखने वाले प्रतिष्ठित व्यक्तियों और विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के नवनियुक्त चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने निदेशक मंडल की यहां हुई बैठक में लिए गए इस फैसले की जानकारी दी।
पांडेय ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘उच्चस्तरीय समिति का उद्देश्य हितों के टकराव, खुलासे और संबंधित मामलों के प्रबंधन के लिए मौजूदा ढांचे को बेहतर बनाने के लिए व्यापक समीक्षा करना और सिफारिशें करना है, ताकि निदेशक मंडल के सदस्यों और अधिकारियों के पारदर्शिता, जवाबदेही और नैतिक आचरण के उच्च मानक सुनिश्चित किए जा सकें।’’
पूंजी बाजार नियामक की तरफ से यह कदम अदाणी मामले में हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में पूर्व सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच के खिलाफ लगाए गए हितों के टकराव के आरोपों की पृष्ठभूमि में उठाया गया है।