छत्तीसगढ़ सरकार ने 2025-26 के लिए 1,65,000 करोड़ रुपये का बजट पेश किया
Focus News 3 March 2025 0
रायपुर, तीन मार्च (भाषा) छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओ पी चौधरी ने सोमवार को राज्य विधानसभा में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 1,65,000 करोड़ रुपये का बजट पेश किया और कहा कि यह ‘गति’ थीम पर आधारित है। इसमें सुशासन, बुनियादी ढांचे में तेजी, प्रौद्योगिकी और औद्योगिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष के बजट ने समावेशी विकास की नींव रखी थी, जबकि आज के बजट ने उस विकास यात्रा में अगला कदम प्रस्तुत किया है।
चौधरी ने बजट पेश करते हुए कहा कि पिछले वित्त वर्ष का बजट ज्ञान (गरीब, युवा, अन्नदाता और नारी) की थीम पर केंद्रित था, जबकि इस वर्ष के बजट का उद्देश्य ज्ञान के लिए ”गति” (सुशासन, त्वरित अधोसंरचना, प्रौद्योगिकी, औद्योगिक विकास) की थीम के तहत राज्य में प्रगति को आगे बढ़ाना है।
उन्होंने कहा कि ‘गति’ 2030 तक के मध्यकालिक लक्ष्य और 2047 तक के विकसित छत्तीसगढ़ के दीर्घकालिक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जरूरी है।
राज्य सरकार की नई पहलों पर प्रकाश डालते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि दूरदराज के क्षेत्रों में मोबाइल टावर संपर्क प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री मोबाइल टावर योजना शुरू की जाएगी। इसी तरह उन क्षेत्रों में ग्राम पंचायत से ब्लॉक और जिला स्तर तक सार्वजनिक परिवहन सेवाएं प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री परिवहन योजना के तहत धन उपलब्ध कराया जाएगा, जहां जनसंख्या के कम घनत्व के कारण सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध नहीं है।
चौधरी ने कहा, ”500 नई सहकारी समितियां बनाई जाएंगी, राज्य में राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (निफ्ट) की स्थापना की जाएगी। महानदी-इंद्रावती नदियों और सिकासार-कोडार नदियों को जोड़ने के लिए सर्वेक्षण किया जाएगा।”
उन्होंने कहा कि नवा रायपुर में मेडी सिटी, एजुकेशन सिटी और राष्ट्रीय शहरी प्रबंधन संस्थान की स्थापना की जाएगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि सभी ग्राम पंचायतों में यूपीआई (डिजिटल भुगतान) को बढ़ावा देने के लिए बजट में प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि बजट में कृषक उन्नति योजना के लिए 10 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जिसका उद्देश्य कृषि समृद्धि को बढ़ावा देना है। साथ ही ग्रामीण आवास को उन्नत करने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लिए 8,500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
उन्होंने कहा कि महतारी वंदन योजना और मुख्यमंत्री खाद्य सहायता योजना जैसी कल्याणकारी योजनाओं को भी क्रमशः 5,500 करोड़ रुपये और 4,500 करोड़ रुपये का पर्याप्त वित्त पोषण प्राप्त हुआ है, जो महिलाओं को सशक्त बनाने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को पुष्ट करता है।
इसके अतिरिक्त पांच एचपी तक के कृषि पंपों के लिए मुफ्त बिजली प्रदान करने के लिए 3,500 करोड़ रुपये अलग रखे गए हैं, जिससे किसानों पर वित्तीय बोझ कम होगा। इसके अलावा, लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के तहत नई सड़क निर्माण के लिए दो हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत गांव की सड़कों के लिए 845 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं और प्रधानमंत्री जनमन सड़क निर्माण योजना के तहत अत्यधिक पिछड़े आदिवासी क्षेत्रों को मुख्य सड़क से जोड़ने के लिए 500 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं।
मंत्री ने कहा कि छोटे व्यापारियों के सामने आने वाली चुनौतियों और कर अनुपालन बोझ को कम करने की आवश्यकता को समझते हुए, राज्य सरकार ने ई-वे बिल की सीमा 50 हजार रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये करने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार 25 हजार रुपये तक की पुरानी (10 साल से अधिक) वैट देनदारियों को माफ करके छोटे व्यापारियों का समर्थन करेगी, जिससे 40 हजार से अधिक व्यापारियों को मदद मिलेगी और 62 हजार से अधिक मुकदमे कम होंगे।
चौधरी ने कहा कि अचल संपत्ति लेनदेन पर स्टाम्प ड्यूटी पर उपकर हटा दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि प्रचलित मूल्यों पर सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 2024-25 में 5,67,880 करोड़ रुपये से बढ़कर 2025-26 में 12 प्रतिशत वृद्धि के साथ 6,35,918 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में प्रति व्यक्ति आय 9.37 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 1,62,870 रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है।
मंत्री ने कहा कि राजस्व बढ़ाने के लिए सरकार के सकारात्मक प्रयासों से वित्त वर्ष 2025-26 के लिए नए कर लगाए बिना या कर दरों में वृद्धि किए बिना राज्य के अपने राजस्व में 11 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है।
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 के लिए राज्य का पूंजीगत व्यय लगभग 26,341 करोड़ रुपये प्रस्तावित है, जो कुल बजट का 16 प्रतिशत और राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 4.14 प्रतिशत है।
वित्त वर्ष 2025-26 में राज्य का सकल राजकोषीय घाटा 22,900 करोड़ रुपये अनुमानित है, जिसमें से चार हजार करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय के लिए विशेष सहायता के रूप में शामिल हैं।
इसलिए राज्य का शुद्ध राजकोषीय घाटा 18900 करोड़ रुपये अनुमानित है, जो जीएसडीपी का 2.97 प्रतिशत है। यह एफआरबीएम अधिनियम में निर्धारित तीन प्रतिशत की सीमा के भीतर है।
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 में कुल राजस्व अधिशेष 2,804 करोड़ रुपये अनुमानित है।