आधुनिक जीवन शैली का अभिशाप-गैस्ट्रिक समस्या

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ग्रैस्ट्रिक को आम भाषा में बदहजमी कहा जाता है। आधुनिक जीवन शैली ने इस समस्या को बढ़ावा दिया है। गैस्ट्रिक बीमारी का सीधा संबंध खानपान से है। जो लोग भोजन में चटपटा, तला, मिर्च मसालेदार, खट्टा, नींबू, संतरा, आदि का सेवन अधिक करते हैं उन लोगों में यह समस्या जल्दी जन्म ले लेती है।
इनके अलावा जो लोग अधिक चाय, काफी, चाकलेट, शराब का अधिक सेवन करते हैं, वे भी इस रोग से ग्रसित हो जाते हैं। खानपान के अलावा तनावग्रस्त रहने वाले लोग भी इसकी गिरफ्त में आ जाते हैं।
गैस्ट्रिक रोगी खट्टी डकारें, खाना या एसिड मुंह में आ जाने के कारण अक्सर परेशान रहते हैं। कभी-कभी तो छाती के निचले भाग में दर्द महसूस होता है और उलटी आने को मन करता है। कुछ लोगों को गले में खरखराहट महसूस होती है और सांस फूलने की भी शिकायत होती है। ऐसे में रोगी की परेशानी बढ़ जाती है और स्वभाव भी चिड़चिड़ा होने लगता है।
लगातार बदहजमी बने रहने से खाने की नली का निचला भाग सिकुड़ सकता है। गैस्ट्रिक की समस्या को हल्का न समझते हुए समय रहते इसका उपचार करवाना उचित है। उपचार के साथ अपनी जीवनशैली में भी बदलाव लाकर इससे छुटकारा पाना ही हितकर है।
गैस्ट्रिक रोगियों को बचाव के लिए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि रोग उग्र रूप न ले पाये।
दिन भर में मुख्य आहार 2 बार के स्थान पर 3-4 बार थोड़ी मात्रा में करें।
तनाव, जल्दबाजी, हड़बड़ी न करें। गुस्से पर काबू रखें। काम को तसल्ली से निपटाएं।
सोने से 3-4 घंटे पहले ही रात का खाना खा लें ताकि खाना पचाने के लिए पेट को समय मिल सके।
स्वभाव से यदि आप जल्दबाज हैं तो योग क्रिया का अभ्यास कर स्वभाव में बदलाव लायें और मेडिटेशन का सहारा लें।
बोतलबंद पेय या भोजन का प्रयोग न करें। खाना खाते समय बीच में पानी न पिएं। वैसे दिन में पानी 8-10 गिलास पिएं।
रात्रि में गैस्ट्रिक की समस्या से बचने के लिए पलंग-चारपाई के सिरहाने वाली तरफ से 6 इंच ऊंचा रखें। उसके लिए सिरहाने वाली तरफ लकड़ी का टुकड़ा, ईंट आदि लगायें। ऊंचा तकिया भी रख कर सो सकते हैं।
भोजन में चाय, कॉफी, चाकलेट, पिपरमेंट का सेवन बहुत कम मात्रा में करें। तेज मसालेदार, तला हुआ, गरम मसाले वाला, खटाई वाला भोजन न करें।
शराब, सिगरेट, बीड़ी, तंबाकू, पान, पान मसाले का सेवन न करें।
संतरा, नींबू, टमाटर भी इस रोग को बढ़ाते हैं। इनका सेवन कम से कम कम करें।
सकारात्मक सोच रखें। जीवन को नीरस न बनाएं। खुश मन ही तन को सुखी रख सकता है।
नियमित व्यायाम करें। वसा की मात्रा कम करें।
गैस्ट्रिक की शिकायत अधिक दिन तक बनी रहे तो चिकित्सक से सलाह कर दवा लें ताकि समय रहते उस पर नियंत्रण  पाया जा सके।

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