मुंबई, 25 मार्च (भाषा) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को राज्य विधानसभा में कहा कि पानीपत की तीसरी लड़ाई मराठों की हार का नहीं, बल्कि उनकी बहादुरी का प्रतीक है।
‘अंतिम सप्ताह के प्रस्ताव’ पर विपक्ष की ओर से शुरू की गई चर्चा का जवाब देते हुए फडणवीस ने कहा कि राज्य सरकार उत्तर प्रदेश के आगरा में ‘शिव स्मारक’ (छत्रपति शिवाजी महाराज का स्मारक) का निर्माण कर रही है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा के पानीपत में भी एक स्मारक बनाने के लिए भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है, जहां 1761 में मराठों और (अफगान शासक) अहमद शाह अब्दाली के बीच पानीपत की तीसरी लड़ाई लड़ी गई थी।
इस पर विपक्षी दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार (राकांपा-सपा) के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने पूछा कि पानीपत में स्मारक क्यों बनाया जा रहा है, जहां अब्दाली ने मराठों को हराया था।
आव्हाड ने कहा, “पानीपत हमारी वीरता का प्रतीक नहीं है। यह मुझे हार की याद दिलाएगा। यहां अहमद शाह अब्दाली और (मराठा सेनापति) सदाशिवराव भाऊ के बीच युद्ध हुआ था। दुनिया में पराजय के लिए कोई स्मारक नहीं है।”
इस पर फडणवीस ने कहा, ‘‘पानीपत की लड़ाई मराठों की हार का नहीं, बल्कि बहादुरी का प्रतीक है।’’
ऐतिहासिक लड़ाई के बारे में बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मराठों की वीरता को दर्शाती है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में बादशाह मराठों को ‘चौथ’ (एक तरह का कर) दे रहा था और जब अब्दाली ने दिल्ली पर कब्जा किया, तो उसने (दिल्ली के बादशाह ने) मराठों को पत्र लिखकर दिल्ली को बचाने के लिए आने का आग्रह किया।
फडणवीस ने कहा कि मराठा दिल्ली गए और अब्दाली को हराया, जिसके बाद अफगान शासक भाग गया तथा यमुना नदी के किनारे डेरा डाला।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके बाद अब्दाली ने मराठों को पत्र लिखकर युद्ध-विराम की पेशकश की और कहा कि पंजाब, सिंध और बलूचिस्तान को उसका क्षेत्र माना जाए, जबकि देश का बाकी हिस्सा मराठों का रहेगा।
फडणवीस ने कहा, “मराठों का इस (संघर्ष) से कोई संबंध नहीं था, लेकिन उन्होंने कहा कि वे अब्दाली को एक इंच भी जमीन नहीं देंगे। मराठों ने देश के लिए लड़ाई लड़ी, ताकि तीनों क्षेत्र भारत का हिस्सा बने रहें।