नयी दिल्ली, पांच मार्च (भाषा) पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने वास्तविक लैंगिक समानता के लिए प्रौद्योगिकी में समानता सुनिश्चित करने की तत्काल जरूरत पर बुधवार को बल दिया।
महिला सशक्तिकरण पर ‘इंडो-अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स कॉन्फ्रेंस’ को संबोधित करते हुए ईरानी ने एआई (कृत्रिम मेधा) प्रणालियों में अंतर्निहित प्रणालीगत पूर्वाग्रहों पर प्रकाश डाला और इन असमानताओं को दूर करने के लिए सामूहिक प्रयास का आह्वान किया।
उन्होंने हितधारकों से आग्रह किया कि वे महिला सशक्तिकरण की आधारशिला के रूप में डिजिटल समानता को प्राथमिकता दें।
ईरानी ने कहा, “एआई के युग में, यह पुरुष का महिला से मुकाबला या महिला का पुरुष से मुकाबला नहीं है। यह मानवता का मुकाबला है कि एआई हमारे साथ क्या करेगा।”
उन्होंने एक शोध का हवाला दिया, जिससे पता चलता रहै कि दुनिया भर में 133 एआई प्रणालियों में से 44 फीसदी एआई प्रणालियां लिंग-समावेशी नहीं हैं।
ईरानी ने एआई-संचालित वित्तीय प्रणालियों में लैंगिक पूर्वाग्रह का एक उल्लेखनीय उदाहरण साझा किया।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता ने कहा, ‘‘ एक महिला जिसकी आय, कर रिटर्न और वित्तीय स्थिति उसके पति के समान है, उसे उसके पति से 10 फीसदी कम ऋण सीमा की पेशकश की गई। एक अन्य महिला की ऋण सीमा उसके पति की तुलना में 20 गुना कम निर्धारित की गई, जबकि उसकी वित्तीय स्थिति समान थी।”
पूर्व मंत्री ने एआई-संचालित उपभोक्ता व्यवहार के माध्यम से महिलाओं के मनोवैज्ञानिक तौर पर प्रभावित किए जाने की ओर भी ध्यान आकर्षित किया।
ईरानी ने डिजिटल युग में उपभोक्ता व्यवहार, विशेषकर महिलाओं पर इसके प्रभाव का गहन अध्ययन करने का आग्रह किया।
पूर्व मंत्री ने वित्तीय समावेशन में भारत की प्रगति की सराहना की तथा ‘जन धन योजना’ और ‘मुद्रा’ ऋण योजना जैसी पहलों का हवाला दिया, जिनके बारे में उन्होंने कहा कि इनसे लाखों महिलाएं सशक्त हुई हैं।
ईरानी ने भारत से प्रौद्योगिकी में समानता सुनिश्चित करने में अग्रणी भूमिका निभाने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा, “यह एक ऐसा देश है जिसने दुनिया को शून्य दिया और आईटी सेवाओं में विश्व में अग्रणी है। आइए हम ऐसा देश बनें जो दुनिया को दिखाए कि प्रौद्योगिकी में समानता कैसे हासिल की जाए।”
ईरानी ने बताया कि वैश्विक स्तर पर एआई पेशेवरों में केवल 22 फीसदी महिलाएं हैं, तथा नेतृत्व की भूमिकाओं में केवल 17 प्रतिशत महिलाएं हैं।