आटा मिलों के संगठन की गेहूं के आयात पर शुल्क घटाने की मांग

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पणजी (गोवा), 3 मार्च (भाषा) आटा मिलों के शीर्ष संगठन आरएफएमएफआई ने सोमवार को मांग की कि सरकार को घरेलू उपलब्धता बढ़ाने और मूल्य उतार-चढ़ाव पर अंकुश लगाने के लिए गेहूं पर आयात शुल्क को 0-10 प्रतिशत तक कम करने पर विचार करना चाहिए।

फिलहाल गेहूं पर मूल सीमा शुल्क 40 प्रतिशत है।

यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए रोलर्स फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (आरएफएमएफआई) के अध्यक्ष नवनीत चितलांगिया ने कहा कि देश में गेहूं की फसल की स्थिति अच्छी है और इसका बंपर उत्पादन होगा।

उन्होंने कहा कि फेडरेशन के अनुमान के अनुसार, रबी सत्र में उगाए जाने वाले गेहूं का उत्पादन अधिक रकबे और गर्मी सहन करने वाली उच्च उपज वाली किस्मों के उपयोग से पिछले वर्ष के 10.6 करोड़ टन से बढ़कर फसल वर्ष 2024-25 (जुलाई-जून) में 11 करोड़ टन होने की संभावना है।

सरकारी अनुमान के अनुसार, भारत ने 2023-24 में रिकॉर्ड 11.32 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन किया।

फेडरेशन ने कहा कि पिछले 4-5 वर्षों से उसके अनुमान सरकारी अनुमान से कम रहे हैं।

उत्पादन में वृद्धि के अनुमानों के बावजूद, चितलांगिया ने कहा कि सरकार को जून में खरीद सत्र समाप्त होने के बाद गेहूं पर आयात शुल्क कम करने पर विचार करना चाहिए।

उन्होंने कहा, “हम सरकार से इस वर्ष के खरीद सत्र के समाप्त होने के बाद गेहूं की उपलब्धता की स्थिति का आकलन करने का आग्रह करते हैं।”

फेडरेशन के अध्यक्ष ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और अन्य मुद्दों के कारण पिछले कुछ वर्षों में घरेलू उपलब्धता को लेकर बाजार में कुछ अनिश्चितताएं रही हैं, जिससे सट्टेबाजी होती है।

चितलांगिया ने आयात शुल्क कम करने की वकालत करते हुए कहा कि इससे ‘बाजार की सट्टेबाजी और मूल्य अस्थिरता’ को रोकने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा कि सरकार को आयात शुल्क 0-10 प्रतिशत तय करना चाहिए और दक्षिणी बंदरगाहों पर 20-30 लाख टन की छोटी मात्रा की अनुमति दी जा सकती है।

चितलांगिया ने तर्क दिया कि शुल्क में कटौती से घरेलू उपलब्धता से संबंधित अनिश्चितताओं को समाप्त करने में मदद मिलेगी।

फेडरेशन ने इस संबंध में खाद्य मंत्रालय को ज्ञापन दिया है।

चितलांगिया ने कहा कि अगले महीने की शुरुआत में गेहूं का बफर स्टॉक 1.0-1.1 करोड़ टन होगा, जो एक अप्रैल के 74.6 लाख टन के मानक से थोड़ा अधिक है।

फेडरेशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष धर्मेंद्र ने आयात का समर्थन किया और कहा कि उद्योग गेहूं के स्टॉक के लिए सरकार पर निर्भर नहीं रहना चाहता।

गेहूं रबी (सर्दियों में बोई जाने वाली) सत्र में उगाया जाता है। इस महीने के अंत से कटाई शुरू हो जाएगी।

आरएफएमएफआई के उपाध्यक्ष रोहित खेतान ने कहा कि सरकार को बिना किसी शर्त के गेहूं उत्पादों के निर्यात की अनुमति देनी चाहिए।

कंपनी अधिनियम के तहत 1940 में स्थापित आरएफएमएफआई आटा मिलिंग उद्योग के हितों का प्रतिनिधित्व करता है।