महाकुंभ के दौरान पानी की गुणवत्ता स्नान के लिए उपयुक्त थी : सीपीसीबी रिपोर्ट

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नयी दिल्ली, नौ मार्च (भाषा)केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी)को सौंपी अपनी नयी रिपोर्ट में कहा गया है कि सांख्यिकीय विश्लेषण के अनुसार प्रयागराज में हाल ही में संपन्न महाकुंभ के दौरान पानी की गुणवत्ता स्नान के लिए उपयुक्त थी।

सीपीसीबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि सांख्यिकीय विश्लेषण इसलिए आवश्यक था क्योंकि एक ही स्थान से अलग-अलग तिथियों और एक ही दिन में अलग-अलग स्थानों से एकत्र किए गए नमूनों में ‘‘आंकड़ों की भिन्नता’’ थी, जिसके कारण ये ‘‘नदी क्षेत्र में समग्र नदी जल की गुणवत्ता’’ को प्रतिबिंबित नहीं करते थे।

बोर्ड की 28 फरवरी की तारीख वाली इस रिपोर्ट को सात मार्च को एनजीटी की वेबसाइट पर अपलोड किया गया। बोर्ड ने 12 जनवरी से लेकर अब तक प्रति सप्ताह दो बार, जिसमें स्नान के शुभ दिन भी शामिल हैं, गंगा नदी पर पांच स्थानों तथा यमुना नदी पर दो स्थानों पर जल निगरानी की है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘विभिन्न तिथियों पर एक ही स्थान से लिए गए नमूनों के लिए विभिन्न मापदंडों जैसे पीएच, घुलित ऑक्सीजन (डीओ), जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) और फीकल कोलीफॉर्म काउंट (एफसी) के परिमाण में अहम बदलाव देखे गए है। एक ही दिन एकत्र किए गए नमूनों के लिए उपर्युक्त मापदंडों के परिमाण भी अलग-अलग स्थानों पर भिन्न होते हैं।’’

रिपोर्ट के मुताबिक जल में ऑक्सीजन की मात्रा या डीओ, जल में कार्बनिक पदार्थों को खंडित करने के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा को मापता बीओडी, तथा सीवेज संदूषण का सूचक एफसी जल की गुणवत्ता के प्रमुख संकेतक हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक विशेषज्ञ समिति ने ‘‘आंकड़ों में परिवर्तनशीलता’’ के मुद्दे की जांच की और कहा कि ‘‘आंकड़ा एक विशिष्ट स्थान और समय पर जल गुणवत्ता का तत्कालिक स्थिति को दर्शाता है और यह ऊपरी धारा में मानवजनित गतिविधियों (मानव क्रियाकलापों), प्रवाह की दर, नमूने की गहराई, नमूने का समय, नदी की धारा और धाराओं का मिश्रण, नमूना स्थान और ऐसे कई अन्य कारकों के आधार पर काफी भिन्न हो सकता है’’।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘परिणामस्वरूप, ये मान उस सटीक समय और स्थान पर जल गुणवत्ता मापदंडों को दर्शाते हैं, जहां से ये जल नमूने एकत्र किए गए थे, तथा ये नदी की समग्र विशेषताओं को पूरी तरह से प्रदर्शित नहीं कर सकते हैं, इसलिए, जरूरी नहीं है कि ये नदी के पूरे क्षेत्र में समग्र जल गुणवत्ता को प्रदर्शित करें।’’

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि परिवर्तनशीलता के कारण, प्रमुख मापदंडों के लिए विभिन्न निगरानी स्थानों के जल गुणवत्ता डेटा का सांख्यिकीय विश्लेषण 12 जनवरी से 22 फरवरी तक ‘‘सामूहिक स्नान’’ के 10 स्थानों पर किया गया और 20 दौर की निगरानी की गई।’’

रिपोर्ट में कहा गया है कि, ‘‘यह प्रस्तुत किया गया है कि उपर्युक्त सांख्यिकीय विश्लेषण के अनुसार, निगरानी किए गए खंडों के लिए पीएच, डीओ, बीओडी और एफसी का औसत परिमाण (आंकड़ों की केंद्रीय प्रवृत्ति) संबंधित मानदंडों/अनुमेय सीमाओं के भीतर है।’’

रिपोर्ट के अनुसार, एफसी का औसत परिमाण 1,400 था, जबकि स्वीकार्य सीमा 2,500 यूनिट प्रति 100 मिली है, जबकि डीओ पांच मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक के निर्धारित मानक के मुकाबले 8.7 था, तथा बीओडी 3 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम या उसके बराबर की निर्धारित सीमा के मुकाबले 2.56 था।

सीपीसीबी ने 17 फरवरी को एक रिपोर्ट में एनजीटी को सूचित किया कि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में विभिन्न स्थानों पर फीकल कोलीफॉर्म का स्तर स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता के अनुरूप नहीं था।

एनजीटी इस मामले की अगली सुनवाई सात अप्रैल को करेगी।

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