बिहार : नीतीश कुमार ने चयनित करीब 50 हजार शिक्षकों को नियुक्ति पत्र सौंपा

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पटना, नौ मार्च (भाषा) बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को चयनित 51,389 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र सौंपे।

इन शिक्षकों की भर्ती बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) द्वारा शिक्षक भर्ती परीक्षा (टीआरई-3) के तीसरे चरण के तहत की गई है।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि तीन चरणों में भर्ती किए गए 2,68,548 शिक्षकों के अलावा, 42,918 अभ्यार्थियों ने प्रधानाध्यापकों की परीक्षा उत्तीर्ण की है और उन्हें अगले महीने नियुक्ति पत्र मिल जाएंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा पूर्व में पहले पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों द्वारा नियुक्त 2,53,961 शिक्षकों ने भी सरकारी कर्मचारी का दर्जा पाने के लिए योग्यता परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है।’’

कुमार ने कहा,‘‘अब राज्य में सरकारी शिक्षकों की कुल संख्या 5,65,427 हो जाएगी।’’उन्होंने कहा कि उनकी सरकार राज्य में शिक्षा क्षेत्र के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ राज्य बजट में शिक्षा का हिस्सा 22 प्रतिशत तक पहुंच गया है, और इसे और बढ़ाया जाएगा। शुरुआत से ही शिक्षा, खासकर लड़कियों की शिक्षा राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है।’’

बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि इन शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया पूर्ववर्ती महागठबंधन सरकार के दौरान शुरू हुई थी।

तेजस्वी यादव राज्य सरकार की नौकरियों में पिछड़े समुदायों के लिए 65 प्रतिशत आरक्षण लागू करने की मांग को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन के अवसर पर संवाददाताओं से बात कर रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी मांग है कि एससी (अनुसूचित जाति), एसटी (अनुसूचित जनजाति) और पिछड़े वर्गों (ओबीसी)के लिए आरक्षण 65 प्रतिशत तक बहाल की जाए। पिछली महागठबंधन सरकार ने जाति सर्वेक्षण के आलोक में वंचित जातियों के लिए कोटा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया था, जिससे कुल आरक्षण 75 प्रतिशत हो गया। हालांकि, पूरा मामला भाजपा और जदयू की वजह से कानूनी लड़ाई में उलझ गया।’’

राजद नेता ने कहा, ‘‘नीतीश कुमार आरक्षण चोर हैं। आज उन्होंने उन शिक्षकों को नियुक्ति पत्र बांटे, जिनकी नियुक्ति प्रक्रिया पिछली महागठबंधन सरकार के दौरान शुरू हुई थी। टीआरई-3 नियुक्तियों में आरक्षण लागू न होने से इन समुदायों के हजारों उम्मीदवार अवसर से वंचित हो गए।’’

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