शुल्क को लेकर चिंता के बीच वैश्विक रुख, वृहद आर्थिक आंकड़ों से तय होगी शेयर बाजार की दिशा

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मुंबई, नौ मार्च (भाषा) स्थानीय शेयर बाजारों की दिशा इस सप्ताह वैश्विक रुख, वृहद आर्थिक घोषणाओं और अमेरिकी शुल्क संबंधी घटनाक्रम से तय होगी। विश्लेषकों ने यह राय जताई है।

उन्होंने कहा कि बाजार प्रतिभागी विदेशी निवेशकों की गतिविधियों, भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिकी डॉलर तथा कच्चे तेल की कीमतों पर उनके प्रभाव पर भी बारीकी से नजर रखेंगे।

रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष-शोध अजीत मिश्रा ने कहा, “आगामी कारोबारी सप्ताह छुट्टियों के कारण छोटा रहेगा और बाजार भागीदार प्रमुख घरेलू घटनाओं की अनुपस्थिति में वैश्विक घटनाक्रमों पर बारीकी से नजर रखेंगे। इन कारकों में शुल्क वार्ता, भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिकी डॉलर तथा कच्चे तेल की कीमतों की चाल शामिल है।

उन्होंने कहा, “विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने नकदी बाजारों में अपनी बिकवाली धीमी कर दी है, लेकिन उनके रुख में कोई भी बदलाव बाजार की दिशा के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक बना रहेगा।”

मिश्रा ने कहा कि व्यापक आर्थिक मोर्चे पर, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर कड़ी नजर रखी जाएगी।

शुक्रवार को होली के अवसर पर शेयर बाजार बंद रहेंगे।

इस सप्ताह, अमेरिका और भारत के सीपीआई आंकड़े 12 मार्च को जारी होने वाले हैं।

पिछले सप्ताह बीएसई सेंसेक्स 1,134.48 अंक या 1.55 प्रतिशत चढ़ा और एनएसई निफ्टी 427.8 अंक या 1.93 प्रतिशत बढ़ा।

उन्होंने कहा कि अमेरिकी शुल्क में देरी और आगे की बातचीत की संभावना की रिपोर्ट के बाद वैश्विक भावना में सुधार हुआ, जिससे वित्तीय बाजारों को स्थिर करने में मदद मिली। इसके अलावा, कमजोर डॉलर और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने निवेशकों का भरोसा और बढ़ाया।

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, “घरेलू बाजार कई सप्ताह की बिकवाली के बाद पिछले हफ्ते आखिरकार बढ़त में बंद हुआ। इसकी मुख्य वजह चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर और उपभोग में सुधार है। चीन के प्रोत्साहन और कच्चे तेल की कम कीमतों के कारण धातु, पूंजीगत सामान और ऊर्जा क्षेत्रों ने बेहतर प्रदर्शन किया।”

नायर ने कहा, “डॉलर सूचकांक में गिरावट ने उभरते बाजारों के प्रति निवेशकों की धारणा को भी बेहतर बनाया, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आर्थिक नीतियों पर अनिश्चितता के कारण अमेरिकी बाजारों में गिरावट आई है। शुल्क के मोर्चे पर, लंबे समय से प्रतीक्षित शुल्क लागू किए गए, लेकिन बाद में उनके कार्यान्वयन में देरी करके वे पीछे हट गए, जिससे निवेशकों के बीच अनिश्चितता पैदा हो गई।”

विश्लेषकों के अनुसार, अमेरिकी शुल्क में देरी और आगे की बातचीत की संभावना की रिपोर्ट के बाद वैश्विक धारणा में सुधार हुआ, जिससे वित्तीय बाजारों को स्थिर करने में मदद मिली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा बैंकिंग प्रणाली में अतिरिक्त नकदी डालने के निर्णय ने भी बाजारों के लिए सकारात्मक गति को बढ़ाया।

नायर ने आगे कहा कि निवेशक पेरोल आंकड़ों और अमेरिकी मुद्रास्फीति पर भी कड़ी नजर रखेंगे ताकि ब्याज दरों पर फेडरल रिजर्व के अगले कदम के बारे में अधिक संकेत मिल सकें।

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