नयी दिल्ली, आठ मार्च (भाषा) अरबपति कारोबारी गौतम अदाणी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर कहा कि नेतृत्व की भूमिकाओं में महिलाओं का न सिर्फ स्वागत है, बल्कि ऐसा जरूरी भी है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं की प्रतिभा और अंतर्दृष्टि, ऐसे अमूल्य संसाधन हैं, जिन्हें बर्बाद नहीं किया जा सकता।
अदाणी समूह के चेयरमैन ने लिंक्डइन पर ‘बनासकांठा से बोर्डरूम तक: जिन महिलाओं से मेरी दुनिया को आकार दिया’ शीर्षक से एक पोस्ट में प्रभावशाली पदों पर बैठे पुरुषों को सलाह दी कि वे लैंगिक समानता को महिलाओं के मुद्दे के रूप में न देखें, बल्कि इसे एक मानवीय अनिवार्यता माने।
एशिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति ने अपनी तीन पोतियों के लिए कहा कि उनकी प्रतिभा का स्वागत खुले दरवाजे से होना चाहिए, अदृश्य बाधाओं से नहीं।
उन्होंने लिखा, ”लैंगिक समानता के बारे में मेरी समझ बोर्डरूम या नीतिगत बहसों में नहीं बनी। यह घर पर ही विकसित हुई, जहां मैं कई महिलाओं से घिरा हुआ था। उनकी ताकत और ज्ञान ने मेरे नजरिये को गहराई से प्रभावित किया।”
अदाणी ने कहा कि एक दशक पहले पहली पोती की वजह से उन्होंने प्रतिज्ञा की थी कि वह एक ऐसी दुनिया बनाने में मदद करेंगे, जहां उनकी पोती की आकांक्षाओं की कोई सीमा नहीं होगी, जहां उसकी आवाज किसी भी पुरुष की तरह ही सम्मान के साथ गूंजेगी।
उन्होंने आगे लिखा कि अब, तीन पोतियों के साथ यह वादा पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है।
अदाणी ने कहा कि गुजरात के बनासकांठा के रेगिस्तानी इलाकों में उन्होंने अपनी मां को अभाव को जीविका में और कठिनाई को सद्भाव में बदलते देखा।
उन्होंने लिखा, ”वह एक ऐसी शक्ति थी, जिसने हमारे बड़े संयुक्त परिवार को एक साथ रखा। वह अथक प्रयास, अडिग प्रेम, साहस और लचीलेपन का प्रतीक थीं।”
उन्होंने आगे कहा कि एक पति के रूप में वह अपनी पत्नी प्रीति के अदाणी फाउंडेशन के प्रति अटूट समर्पण से प्रेरित हुए।
अदाणी ने कहा कि उनकी पत्नी अदाणी फाउंडेशन की पहल के पीछे प्रेरक शक्ति बन गईं, जिसने पूरे भारत में लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया।
उन्होंने कहा कि अदाणी फाउंडेशन महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, स्थायी आजीविका और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में काम कर रहा है।